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पलायन के कारण बढ़ा मानव व वन्यजीव संघर्षः डाॅ. हरक

Pahado Ki Goonj

मंत्री पलायन रोकने पर उठाए सवाल
देहरादून। मानव-वन्यजीव संघर्ष के लिहाज से देश में सबसे ज्यादा सेंसेटिव संभवतः उत्तराखंड ही है। यहां हालत इतनी गंभीर है कि चार दिन में दो आदमखोर तेंदुओं को मारने की नौबत आ गई है। तेंदुए ही नहीं भालू और हाथी भी आबादी में घुसकर लोगों पर हमले कर दे रहे हैं। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उत्तराखंड सरकार के पास मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है। प्रदेश के वन मंत्री हरक सिंह रावत इसके लिए जानवरों की बढ़ी संख्या और पलायन को जिम्मेदार बता रहे हैं। चिंताजनक बात तो यह है कि रिवर्स पलायन के वादे करने वाली त्रिवेंद्र रावत सरकार का आधा कार्यकाल बीतने के बावजूद पलायन रोकने की भी ठोस पहल अभी तक नजर नहीं आई है।
बीते शुक्रवार को पिथौरागढ़ में एक आदमखोर गुलदार को शिकारियों ने मारा तो सोमवार को पौड़ी में भी दो बच्चियों की जान लेने वाला गुलदार शिकारियों की गोली खाकर मारा गया। इसी तरह बागेश्वर में आतंक का पर्याय बने गुलदार को आदमखोर घोषित करने की मांग की जा रही है और उसकी तलाश जारी है। ये सिर्फ बानगी भर हैं उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष की लेकिन सरकार के पास इससे बचने की कोई ठोस योजना नहीं है।
कोटद्वार की 11 वर्षीय हाल ही में राखी रावत अपने भाई को बचाने के लिए गुलदार से भिड़ गई थी। कोटद्वार की 11 वर्षीय हाल ही में राखी रावत अपने भाई को बचाने के लिए गुलदार से भिड़ गई थी।
वन मंत्री हरक सिंह रावत को बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष के पीछे पलायन एक वजह नजर आती है। कोटद्वार में हरक सिंह रावत ने कहा कि मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ने की वजह जानवरों की संख्या बढ़ना है तो ही गांवों में बढ़ता पलायन भी है।
वन मंत्री ने कहा कि गांवों से हो रहे पलायन के कारण खेती खत्म हो रही है और इसकी वजह से जानवर आबादी के करीब आते जा रहे हैं। वन कानूनों के चलते स्थानीय लोगों का जंगलों से संबंध भी कम हुआ है और यह भी वजह है कि जंगली जानवर अब आबादी की तरफ आ रहे हैं।
लेकिन वन मंत्री ने यह नहीं बताया कि पलायन की एक बड़ी वजह जंगली जानवरों का बढ़ता आतंक भी है। दरअसल तेंदुओं, भालुओं, जंगली सूअरों, बंदरों की वजह से पहाड़ों में खेती करना न सिर्फ खतरनाक हो गया है बल्कि घाटे का भी सौदा बन गया है।
इसकी वजह से भी पहाड़ों में खेती कम हो रही है और पलायन बढ़ रहा है। दरअसल यह एक ऐसा विषचक्र बन गया है जिसे तोड़ने के लिए सरकार को ठोस पहल करनी होगी लेकिन पिछले ढाई साल में तो ऐसा होता दिखा नहीं है। बता दें कि कुछ दिन पहले पलायन को लेकर हरक सिंह रावत ने कहा थी कि ढाई साल से सरकार योजनाएं बना रही थी और अब जल्द ही उन्हें लागू करेगी।

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