पत्रकारों के लिए क्यों जरूरी हैं, मीडिया का संवैधानिक चेहरा
देहरादून, भोपाल,मीडिया का संवैधानिक चेहरा न होना व जवाबदेही वाले कानून से वंचित रखना हर पत्रकार के लिए सच, निष्ठा व ईमानदारी से निर्भीक, स्वतन्त्र होकर राष्ट्रहित में संविधान के तहत लोकतंत्र को बनाये रखने का कार्य करना असम्भव हो गया हैं | इसे देश व विदेश में सम्मानित जगत विजन की सम्पादक विजया पाठक के राष्ट्रपति महोदया को लिखे पत्र से एक उदाहरण के तौर पर समझ सकते हैं |
इन्होंनें अपनी पत्रिका में 05 अक्टुम्बर, 2022 को पृष्ठ क्रमांक 6 से 17 तक आवरण कथा में “छतिसगढ सरकार के संरक्षण में चल रहा प्रदेश में आनलाईन सट्टा? की हेडलाइन के तहत प्रमाण सहित खबर प्रकाशित करी थी | इसके बाद से उन पर दबाव बनाना शुरू हो गया |
25-12-2022 यानी कल कई पुलिस वाले वर्दी में उनके भोपाल स्थित आफिस में जाते हैं और उनकी अनुपस्थिति में स्टाफ के लोगों को धमकाते हैं और उनके लिए धमकी देकर जाते हैं | इस पर विजया जी का कहना हैं कि यदि उनकी खबर में कोई गलती हैं, झूठ फैलाया गया हैं तो आईपीसी के तहत उन पर वैधानिक कार्यवाही करें, इसपर उन्हें कोई आपत्ति नहीं हैं परन्तु बिना किसी ठोस वारंट, आधिकारिक सूचना और असंवैधानिक तरिके से उनके कार्यालय में घुसकर परिवार, सहकर्मियों में भय उत्पन्न करना उनके जनता के हित में पत्रकारिता धर्म को निभाने से रोकना हैं |
यदि मीडिया का संवैधानिक चेहरा होता तो पत्रकारों को उसके तहत सुरक्षा मीलती व इस तरह कोई भी पुलिस वाला दुस्साहस नहीं कर पाता | जिस तरह विधायिका का चेहरा संसद हैं और उसके सभापति की अनुमति के बिना पुलिस या कोई भी जांच ऐजेंसी किसी भी सांसद पर कार्यवाही नहीं कर सकती हैं | इसी तर्ज पर राज्यों में भी विधायकों को सुरक्षा मीली हुई हैं |
महामहिम राष्ट्रपति महोदया के पास शैलेन्द्र कुमार बिराणी की भेजी फाईल के रूप में कोरोना वायरस जैसे दूसरे खतरनाक वायरसों को पैदा होने से रोकने के उपाय के साथ मीडिया के संवैधानिक चेहरा नही होने की सच्चाई अन्तिम फैसले के लिए 2011 से अटकी पड़ी हैं |
इस फाईल पर अन्तिम फैसला अतिशीघ्र लेने के लिए मैं अखबार पहाडों की गुंज का सम्पादक 01 जनवरी, 2023 से पैदल सद्भावना यात्रा देहरादून से शुरू कर दिल्ली तक जाऊंगा | आप सभी पत्रकारों के साथ विजया जैसी व पेंशन, पगार, बिमारी में ईलाज और अपराधीयों द्वारा पत्रकार की हत्या जैसी कोई भी घटना हो तो राष्ट्रपति के नाम पत्र में पुरी डिटेल के साथ मुझे भेजे, मैं इसे राष्ट्रपति महोदया को सौपकर आऊंगा | यदि हो सके तो यात्रा के दौरान स्वयं जुडकर पत्रकारों के हित के लिए हौंसला अफसाई करें | जीतमणि पैन्यूली सम्पादक
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