देहरादून पहाडोंकीगूँज,
साल का आखिरी सू्र्य ग्रहण आने वाला है। यह सूर्य ग्रहण दिवाली के अगले दिन पड़ रहा है। सिर्फ कुछ राज्यों को छोड़कर ये सूर्य ग्रहण पूरे भारत में दिखेगा। इस सूर्य ग्रहण का सूतक लगभग 12 घंटे पहले लग जाएगा। इस सूर्य ग्रहण का असर सारी राशियों पर पड़ने वाला है। जानते हैं कि राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा।इस बार दिवाली का त्योहार खत्म होते ही सूर्य ग्रहण पड़ेगा।
पंडित बिजेन्द्र पैन्यूली हाथीबड़कला काली माता मंदिर के अनुसार, इस साल का जो सूर्य ग्रहण पड़ रहा है, वह 25 अक्टूबर को होगा. सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लग जाएगा. सूर्य ग्रहण विशेष तौर पर कष्ट दाई माना जाता है. हालांकि, ये समय विशेष तौर पर पूजा तर्पण, पित्र कार्य, तंत्र कर्म के लिए सबसे फलदायी माना जाता है. ग्रहण के आरंभ होने पर स्नान करके जप करें।ग्रहण समाप्ति के बाद दान करें. उससे ग्रहण के पुण्य फल प्राप्त होते हैं।
सूर्य ग्रहण के मध्य के कष्ट आपको नहीं प्राप्त होते हैं।
भारत में सूर्य ग्रहण की तारीख और समय।
भारत में ये सूर्य ग्रहण दिन में 2 बजकर 29 मिनट से आरंभ हो जाएगा और लगभग 4 घंटे 3 मिनट तक चलेगा।इस बार सूर्यास्त होने के बाद भी ग्रहण होगा। शाम 6 बजकर 32 मिनट पर ग्रहण की समाप्ति होगी।
इस सूर्यग्रहण का प्रभाव संपूर्ण भारत में सभी लोगों के ऊपर यह विशेष तौर पर पड़ने वाला है। यह सूर्य ग्रहण भोम मासी अमावस्या पर पड़ रहा है।
उस दिन राज भंग कराने का कार्य हो सकता है। युद्ध भड़काने का कार्य भी हो सकता है। इस सूर्य ग्रहण के प्रभाव से कहीं दंगे और कहीं रोग की वृद्धि देखने को मिल सकती है। इस सूर्य ग्रहण का अलग अलग राशियों पर प्रभाव पड़ा है जैसे- जहां मेष वृष मिथुन कर्क राशि की बात करें तो कर्क को छोड़कर पहली तीनों राशियों पर चिंता है। मेष राशि जिन महिलाओं की हैं, उनके पति को विशेष कष्ट हो सकता है. जहां कर्क राशि वालों को विशेष तौर पर धन लाभ होगा। सिंह राशि वालों को कार्य सिद्धि मिलेगी यानी आप समझ लीजिए जैसे कोई कार्य बहुत समय से रूका है, इस धन की वजह से उनको पुण्य प्राप्त होने वाला है। कन्या राशि वालों को धन हानि, दुर्घटना का योग बन रहा है। वही वृश्चिक राशि को धन हानि होने को संभावना बन रही है। धनु राशि को ये सूर्य ग्रहण उन्नति और लाभ देगा। दोनों राशियों के लिए समान रहने वाला है।
ये सूर्य ग्रहण कहीं लाभ और कहीं हानि करेगा। परंतु इस सूर्य ग्रहण में एक शुभ अवसर भी है। इस दिन दिए हुए गुरु मंत्रों का जाप करें और अपने इष्ट देवता की साधना करें। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य ग्रहण पड़ रहा है या पितृदोष पड़ा है। वो लोग नदी तट के ऊपर जाप करके स्नान करें। विशेष तौर पर जिन लोगों की कुंडली में सूर्य राहु का ग्रहण योग है या सूर्य शनि का विशेष योग पड़ा हुआ है। ऐसे लोग विशेष तौर पर दान करें, जिससे उनका जीवन सुखमय रहेगा।
भारत के इन राज्यों में दिखेगा साल का अंतिम सूर्य ग्रहण।
साल का यह अंतिम सूर्य ग्रहण यूरोप, नॉर्थ ईस्ट अफ्रीका और वेस्ट एशिया में दिखेगा। भारत में साल के इस अंतिम सूर्य ग्रहण को नई दिल्ली, बेंगलुरू, कोलकाता, चेन्नई, उज्जैन, वराणसी और मथुरा में दिखाई देगा. जबकि, मेघालय के दाईं और असम राज्य के गुवाहाटी के आसपास के बाएं हिस्सों में ये सूर्य ग्रहण नजर नहीं आएगा।
सूर्य ग्रहण 2022 की लाइव स्ट्रीमिंग
साल के इस दूसरे और अंतिम सूर्य ग्रहण को आप। अपने घरों में दूरदर्शन पर भी देखसकते हैं
सूर्य ग्रहण के दिन क्या नहीं करना चाहिए
सूर्य ग्रहण के समय सिर्फ वृद्ध, गर्भवती स्त्रियां और बालकों को छोड़कर सभी लोगों को सोना, खाना-पीना से बचना चाहिए। गर्भवती स्त्रियों को तो विशेष तौर पर पूरे ग्रहण में एक स्थान पर बैठना चाहिए। साथ ही बैठकर हनुमान चालीसा आदि का पाठ कर सकते हैं। उससे ग्रहण असर उनके ऊपर प्रभावहीन रहेगा।
रोगी को किसी भी प्रकार से परेशान होने की आवश्यकता नहीं है वह औषधि भी ले सकते हैं, जल भी ग्रहण कर सकता है. बस इस समय भोजन अवश्य ना करें. इस समय पक्का अन्न खराब होने का खतरा होता है। इसलिए पक्का अन्न उस दौरान ना बनाकर रखें। दूध आदि में कुशा या तुलसी दल डालने से वह विकिरण से मुक्त हो जाते हैं। जिन लोगों को विशेष तौर पर तंत्र साधना करनी हो उनके लिए यह बड़ा ही सुंदर अवसर है। वह लोग अपने गुरु के दिए हुए मंत्रों का जाप करें।
सूर्य ग्रहण को समय सूर्य भगवान की पूजा करने से इस समय निश्चित लाभ प्राप्त होगा. ग्रहण का दुष्प्रभाव आपके ऊपर नहीं पड़ेगा। इस समय आपके गुरु से मिले हुए मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। जो तंत्र विद्या के जानकार है जो तांत्रिक विधि से जाप पूजन कर सकते हैं। जो लोग साधक हैं उन लोगों को ऐसे समय में मंत्रों को पुनः स्थापित करना चाहिए। सामान्य जन को गायत्री मंत्र का मन ही मन उच्चारण करने चाहिए। विद्यार्थी और गर्भवती स्त्रियों के लिए सर्वोत्तम है हनुमान चालीसा। उन्हें सुंदरकांड का पाठ भी करना चाहिए.
सूर्य ग्रहण के दौरान बंद रहेंगे चारधाम सहित छोटे-बड़े मंदिर, 12 घंटे पहले लग जाएगा सूतक पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि 25 अक्तूबर शाम 05 बजकर 32 मिनट तक ग्रहण काल रहेगा। इसलिए ग्रहणकाल तक चारों धाम सहित छोटे बड़े सभी मंदिर बंद रहेंगे। बताया कि सूतक 12 घंटे पहले प्रारंभ हो जाएगा। प्रदेश के प्रसिद्ध चारधाम, यमुनोत्री , गंगोत्री ,केदारनाथ, बदरीनाथ, समेत अन्य मंदिरों में 25 अक्तूबर को श्रद्धालु दर्शन नहीं कर पाएंगे। सूर्य ग्रहण के कारण चारधाम के कपाट बंद रहेंगे।
सुबह चार बज कर 26 मिनट पर कपाट बंद हो जाएंगे और शाम साढ़े पांच बजे बाद खुलेंगे।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि सूर्य ग्रहण पर 25 अक्तूबर को 12 घंटे पहले सूतक प्रारंभ हो जाएगा, इसके चलते बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री मंदिर समेत अन्य छोटे-बड़े मंदिर बंद रहेंगे। शाम को 5 बजकर 32 मिनट तक ग्रहण काल रहेगा, जिसके बाद ही मंदिर के कपाट खुलेंगे।ग्रहण काल के दौरान मंदिरों में दर्शन, पूजन, आरती नहीं होगी।आपको बता दें कि
19 नवंबर को बदरीनाथ, 27 अक्तूबर को केदारनाथ व यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हो रहे हैं। 26 अक्तूबर को गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होंगे। अब तक चारधामों में 44 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।
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देश मे उत्तराखंड के अखबार की खबर का संज्ञान सुप्रीम कोर्ट में लेने से उत्तराखंड का सम्मान बढ़ा।
पहाड़ों की गूंज पर माननीय न्यायाधीश का सत्यापन अब सुप्रीमकोर्ट में गूंजेगी
अपील कर्ता साथियों का पत्र
आदरणीय जीतमणि पैन्यूली
प्रमुख सम्पादक
पहाडों की गूंज
आपको व आपके अखबार के पाठकों को दिपावली पर बहुत बडा तौफा पहले ही भेज रहा हूँ ताकि समय पर सभी को जानकारी हो जाये ।
मैंने अपनी तरफ से पुरी खबर हेडलाईन व डिटेल के साथ आपको भेज रहा हूँ और साथ में पहले प्रकाशित करी (कीगई)खबरों की कापी भी ताकि आप खबर के साथ उनका प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल कर सके ।
इसके प्रमाण के रूप में मैं अन्य दो और ई-मेल फोर्वड कर सकता हूँ एक मैंने सुप्रीमकोर्ट को भेजा हैं और दुसरा जनहित याचिका लगाने वाले वकील अश्वीन कुमार उपाध्याय को भेजा हैं ।
आप इनको मोबाइल (8010174535) पर काल कर अपनी रिकार्डिंग के साथ रश्म अदायगी कर सकते हैं कि उन्हें यह ई-मेल मिल गया होगा । आप अपना ई-मेल आईडी मुझे भेजे ।
आपसे अनुरोध हैं कि यह खबर 01 नम्बर 2022 से पहले प्रकाशित करे ताकि सुप्रीमकोर्ट की सुनवाई से पहले न्यायाधीशों को विश्लेषण करने का समय मील जाये ।
इसके साथ प्रकाशन की एक कापी मुझे जरूर भेजे ताकि आगे और भी प्रक्रिया में जोड सकू ।
आप हेडलाइंस व मेटर को अपने हिसाब से व्यवस्थित करने के लिए पूर्णतया स्वतंत्र व अन्तिम निर्णायक हैं ।
आपको दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
शैलेन्द्र कुमार बिराणी
युवा वैज्ञानिक
मित्रों डॉक्टर कितना अच्छा है दवा खराब है तो मरीज ठीक नहीं हो सकता?, इन्जियर अच्छा मटीरियल खराब तो पुल, भवन नहीं ठीक हो सकता?
नेतृत्व करने वाले कितने अच्छे हो कानून कमजोर है तो कुछ नहीं कर सकते हैं? इसलिए अब आजादी में कानून शक्त बनाने के लिए लड़ने की आवश्यकता है । वह मीडिया ही करा सकता है।
आने वाली खबरों में आंदोलन करने का इंतजार किजयेगा।
आप देश के लोकतंत्र चौथे स्तंभ सभी प्रकार के मीडिया को संवैधानिक व्यवस्था का अंग बनाने लिए लाइक एंव शेयर किजयेगा। जीतमणि पैन्यूली
सम्पादक
देश मे पहाड़ों की गूंज पर न्यायाधीश का सत्यापन अब गूंजेगी सुप्रीमकोर्ट में
आपका दैनिक अखबार( न्यूज पोर्टल) सदैव सच्चाई को बिना डर व राग लपेट के अखबारों को आप तक पहुचां रहा हैं । इसी कडी के रुप में शुक्रवार 04 जुलाई, 2021 के प्रकाशन में शैलेन्द्र कुमार बिराणी के वैज्ञानिक-विश्लेषण “मीडिया के इस्तेमाल की जंग में जन्तन्त्र का दांव” प्रकाशित करा व बताया भारतीय मीडिया का न तो कोई संवैधानिक चेहरा हैं न उसे कोई कानूनी अधिकार के रूप में जवाबदेही दे रखी हैं ।
इसे अब सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस के. एम. जोसेफ और ह्रषिकेश राय की पीठ ने बुधवार 21सितम्बर 2022 को हेट स्पीच पर सुनवाई के दौरान स्वीकार किया की इलेक्ट्रानिक मीडीया, प्रिंट एवं सोशियल में भी कई कोई कंट्रोल की व्यवस्था नहीं हैं । इसके लिए सरकार एक नियामक संस्था बनाये । इस मामले की अगली सुनवाई 23 नवम्बर, 2022 को होगी ।
राष्ट्रपति महोदय को 2011 से मालुम हैं –
युवा वैज्ञानिक शैलेन्द्र कुमार बिराणी ने अपने आविष्कार की फाईल के साथ यह सच्चाई देश के राष्ट्रपति को 19 अगस्त, 2011 को ही ग्राफिक्स के साथ भेज दिया था (Letter Ref. No. P1/D/1908110208) इस पर राष्ट्रपति सचिवालय की मोहर व आधिकारिक दस्तावेज उनके पास मौजूद हैं।
कौनसा संवैधानिक चेहरा नहीं हैं –
भारतीय लोकतंत्र के चार स्तम्भ माने जाते हैं पहला विधायीका जिसका चेहरा संसद हैं, दुसरा कार्यपालिका जिसका चेहरा प्रधानमंत्री कार्यालय हैं, तिसरा न्यायपालिका जिसका चेहरा उच्चतम न्यायालय हैं व चौथा स्तम्भ पत्रकारिता जिसका कोई चेहरा नही हैं । इसे धन बल, बाहु बल, सत्ता के डर, बाजारवाद के स्वार्थ के रूप में जो चाहे, जैसा चाहे इस्तेमाल करता हैं ।
मीडियाकर्मियों व विशेष रूप से खबरी चैनलों पर संवैधानिक व कानूनी रूप से देश व देशवासियों के प्रति कोई जवाबदेही नहीं हैं । इस कारण जो जैसा चाहे अपनी मर्जी का राग चलाता हैं ।
हमने पिछले प्रकाशन में इसको विस्तार से बताया ही नही अपितु किस तरिके से काम लोकतान्त्रिक तरिके से होगा व भी बताया ।
डॉ शैलेन्द्र कुमार बिराणी ने पहाडोंकीगूँज खबरों के बाद अपने पूरी कार्यवाही से हमें अबगत कराया । हमने पहाडोंकीगूँज में उनका प्रकाशन किया था उसके बाद इस ऐतिहासिक मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की सोचते हुए,
पत्रकारों को संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए पहाडोंकीगूँज के संपादक ने कोरोना काल मे अपने निवास स्थान लिखवार गांव भदूरा टिहरी बांध प्रभावित प्रतापनगर तहसील में
गंगोत्री से केदारनाथ धाम लम्बगांव कोटाल गाँव केमुण्डा खाल चमियाला मोटर मार्ग के 166 कि.मी. पर स्थित ऐतिहासिक स्थलअपने घर पर सुबह6 बजे से11 बजे 30 मई 2020से5 जून 2020
पर 30 मई2020से 5 जून 2020 तक दो मांगो को लेकर किया था एक मे श्री बद्रीनाथ मंदिर की पूजा ब्यबस्था को सरकार से सही तरीके से कराने और दूसरी मांग पत्रकारों को संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए मौनव्रत धरना प्रदर्शन किया। जिसके फल स्वरूप बद्रीनाथ मंदिर की पूजा व्यबस्था सही 31 मई को हुई।संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए धरना प्रदर्शन मौनव्रत जारी रखा गया था। जिसके फल स्वरूप प्रधानमंत्री मोदी ने संज्ञान लेते हुए 110 देशों राष्ट्र प्रमुखों के सम्मेलन में पत्रकारों को ज्यादा अधिकार देने,शक्तिशाली बनाने के लिए कहा है
इसके आगे क्या?
डॉoशैलेन्द्र कुमार बिराणी ने पहाडों की गुंज खबर डिटेल, उनके पास मौजूद दस्तावेज इस मामले की जनहित याचिका लगाने वाले सुप्रीमकोर्ट के वकील अश्वीन उपाध्याय को भेज दी हैं । इसके साथ ही रजिस्टार सुप्रीमकोर्ट को ई-मेल कर सारी जानकारी मुख्य न्यायाधीश व दोनों न्याया
धीशों तक पहुचानें का अनुरोध करा हैं । इसके साथ सुप्रीमकोर्ट बार काउंसिल के सभी वकीलों को जानकारी भेज कर सहयोग का अनुरोध करा हैं आखिरकार लोकतंत्र देश के सभी नागरिकों का हैं और सभी को उसमें जीना हैं । मुख्य न्यायाधीश यू. यू .ललित और जस्टिस एस. रवींद्र भट हेट स्पीच के ही दुसरे मामले में सुनवाई 1 नवम्बर को करेंगे जिसके याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी हैं ।
भारत सरकार को कोई परेशानी नहीं –
9-10 दिसम्बर, 2021 को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाईडेन ने लोकतंत्र को लेकर वर्चुअल मीटिंग करी थी जिसमें 110 देशों के प्रमुखों ने भाग लिया था इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल हुये व उन्होंने सभी को मीडिया को अधिक अधिकार व शक्तिशाली बनाने की बात कहीं । इस तरह के संवैधानिक चेहरे से सरकार को अधिक खुशी होगी क्योंकि प्रधानमंत्री ने दुनिया को जो बात कहीं उसे उन्होंने करके बताया कोई जुमलेबाजी नहीं करी ।
इसी तरह चले तो आगे मामला कहां तक जा सकता हैं –
हेट स्पीच व मीडिया से सम्बद्धित सभी मामलों का यह एक ही उपाय हैं जिससे पहले मीडियाकर्मियों को ही जवाबदेही बनाकर निष्ठावान लोगों को आगे बढाया जाये | इसके पश्चात् कोई गलती हो तो कार्यपालिका का कानूनी दबाव व अदालतों का दण्डित करने का मार्ग खुल जायेगा ।
यदि अभी के मार्ग पर चलते रहे तो पहले सरकार या अदालत मीडिया श्रेत्र के कुछ विशेषज्ञों का चयन कर एक कमेटी बना देगी जो नियामक संस्था के निर्माण की रूपरेखा देगी जो पूर्णतया कार्यपालिका या सरकार के अधिन होगी । इस रिपोर्ट के आधार पर एक संस्था बनाने से पहले सरकार नानकुर करेगी व बाद में अदालत को ढाल बनाकर स्वीकार कर लेगी ।
इसके बाद राजनैतिक खेल में, पूंजीवाद के चेक से व राजनैतिक पार्टियों से गठित होने वाली सरकारें सबकुछ अपने नियंत्रण मे ले लेगी और पूरी कवायत शून्य पर आ जायेगी । इस बात की सम्भावना की पुष्टि न्यायाधीशों द्वारा सरकार पर करी कठोर टिप्पणी से होती हैं । जब सबकुछ 2011 होने पर भी 2022 खत्म होने के नजदिक आ गया तब जाकर लोकतंत्र व समाज में बुरा असर पडने के कारण डूंडने पड रहे हैं ।
न्यायाधीशों से क्यों उम्मीद हैं –
मुख्य न्यायाधीश यू .यू .ललित का अल्प समय वाला कार्यकाल पूरा होने आया हैं । इस मामले पर भी यह उनकी आखरी सुनवाई होगी | माननीय राज्यसभा की सदस्यता से बडा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश का संवैधानिक पद बडा होता हैं व कार्यपालिका और न्यायपालिका के मध्य के फासले को स्पष्ट कर हमेशा के झगडें को खत्म करना चाहेंगे । दूसरे मामले में न्यायाधीश के.एम.जोसेफ हैं जिन्होंने उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहते हुए वहां के राष्ट्रपति शासन को हटाया और सच का आधार बनाया कि राष्ट्रपति कोई राजा नहीं हैं । इनकी लोकतंत्र पर स्पष्ट ज्ञान को देखते हुए लगता हैं कि परिणाम अवश्य निकलेगा क्योंकि 11 वर्षों के अधिक समय से सच राष्ट्रपति महोदय के पास हैं जो एक व्यक्ति की निरसता से देश का हर नागरिक दुष्परिणाम भोग रहा हैं व दुनिया का सबसे बडा लोकतन्त्र बर्बाद हो रहा हैं ।