नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया), उत्तराखंड की हरिद्वार इकाई की नई कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह का शुभारंभ आज हरिद्वार स्थित प्रेस क्लब भवन में किया। इस अवसर पर कार्यकारिणी के सभी सदस्यों को शपथ प्रेम चंद अग्रवाल अध्यक्ष विधानसभा उत्तराखंड दिलायी।
इस अवसर पर नवनिर्वाचित कार्यकारिणी के सदस्यों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए अग्रवाल ने कहा कि यहां शपथ ग्रहण कर कार्यकारिणी के सभी सदस्य अपने उत्तरदायित्वों के निर्वहन के लिए अपनी एक नई टीम के साथ कार्य करने के लिए तैयार हैं। यह कार्यकारिणी सामाजिक, राजनैतिक व नैतिकता के गिरते स्तर के कारणों एवं उनके समाधान के लिए पत्रकारों को इस बारे में प्रसार करने के लिए प्रेरित करे। कार्यकारिणी के नये सदस्यों से आह्वान किया कि वे सरकार व प्रशासन के बीच, प्रशासन व समाज के बीच तथा समाज व सरकार के बीच एक कड़ी का कार्य करे।
इस अवसर पर समाज व देश के प्रति जब मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना होती है, मन व्याकुल होता है, छटपटाहट होती है तब आप जैसे विचारवान व्यक्ति की लेखनी चलनी प्रारंभ हो जाती है। व्यवसायिकता के इस दौर में एक समाचार पत्र के रूप में मुखर ओर निर्भीक होकर पाठकों तक खबरें पहुचना एक चुनौती से कम नही है। पत्रकारिता देश का चौथा स्तम्भ कहलाता है। एक पत्रकार ही समाज को सही दिशा दिखाता है। लोगों की जन समस्याएं अपनी कलम द्वारा सामने लाकर उन्हें दूर करने में अपनी भूमिका बखूबी निभाता है ।इस अबसर पर अग्रवाल का यूनियन ने अभार व्यक्त किया है।
वहीं दूसरी ओर विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल ने बहादराबाद में आर्य इंटर कॉलेज व आर्य कन्या इंटर कॉलेज का 95 वार्षिक उत्सव धूमधाम से मनाया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर 31 कुंडिय यज्ञ के आयोजन पर यज्ञ से पूरे ब्रह्मांड की शुद्धि होती है। वैदिक यज्ञ से मोक्ष प्राप्त होता है।* वेदों का पढ़ना, सुनना तभी सार्थक है जब वेदानुकुल आचरण करें।
वार्षिक उत्सव की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि महार्षि दयानंद सरस्वती को आर्य समाज के संस्थापक के रूप में जाना जाता है. उन्होंने अपना सारा जीवन मानव कल्याण और विश्व की एकता के प्रति समर्पित किया. अपने विचारों व्यक्ति में ऊर्जा का नया संचार करने की क्षमता रखने वाले महापुरुषों में से एक स्वामी दयानंद सरस्वती भी एक हैं। स्वामी दयानंद जी ज्ञान मार्ग के प्रणेता थे। वेद के प्रकाश में सत्य को पा करके, सत्य के प्रकाश को आने वाली पीढ़ियों को परिचित कराने का स्वामी दयानंद जी ने प्रयास किया था। हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में सबसे अधिक योगदान आर्य समाज का रहा है। स्वामी दयानंद के प्रयासों से हमारी राजभाषा हिंदी ने विश्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रथम भाषा का दर्जा प्राप्त किया। हम ऐसे महापुरुषों के सदा ऋणी रहेंगे,जिनके विचारों द्वारा केवल हमारा नैतिक उत्थान होता है अपितु विश्व पटल पर हमारी गौरवमय पहचान भी बनाते है।
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