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जाने माने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सचिदानंद पैन्यूली 92 वर्ष में निधन से शोक की लहर

Pahado Ki Goonj

लिखवार गावँ, टिहरी गढ़वाल, बड़े दुःख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं माने जाने पत्रकार,सम्पादक स्वामी रामतीर्थ पत्रिका केसाथ साथ जन सत्ता ,हिंदू स्थान दैनिक समाचार पत्र में लंबे समय तक सेवा देते रहे आदरणीय डॉ सचिदानंद पैन्यूली जी का आज तड़के 3:40 am पर उनके गंगानगर,ऋषिकेश स्थित आवास पर निधन हो गया,वे 92 वर्ष के थे,उनकी अन्त्येष्टि आज 10 am बजे पूर्णानन्द घाट ऋषिकेश में किया जाएगा,ये जानकारी उनके सुपुत्र श्री सम्पूर्णानन्द पैन्यूली जी ने दी,डॉ सचिदानंद पैन्यूली दिवंगत सांसद एवं टिहरी प्रजामण्डल के प्रथम अध्यक्ष,टिहरी रियासत के विलय में जन प्रतिनिधि के रूप में हस्ताक्षर करने वाले

एवं हिमाचल प्रदेश के दोबार कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए वहाँ उनके मार्गदर्शन से विकास की मजबूत नीवरखने से विकास दिखाई दे रहा है, रहे स्वाधीनता संग्राम सेनानी आदरणीय श्री परिपूर्णानन्द पैन्यूली जी के  माजिले भाई थे,दोनों ही भाइयों ने टिहरी जनक्रांति और स्वाधीनता संग्राम में मिलकर बढ़ चढ़कर भाग लिया।आज दिवंगत हुए डॉ सचिदानंद पैन्यूली जी विद्वान,कर्मठ और जुझारू  समाज  सेवी व्यक्ति थे,टिहरी बाजार में वर्षों तक इनकी स्टेशनरी की दुकान भी रही,डॉ सचिदानंद जी की अनेक विषयों पर गहरी पकड़ थी,वो एक कुशल वक्ता भी थे,ये बड़ा दुःखद संयोग है कि गत वर्ष 13 अप्रैल को उनके बड़े भाई दिवंगत सांसद परिपूर्णानन्द पैन्यूली जी का निधन देहरादून में हुआ था,और पिछले ही महीने 12 मार्च को उनकी धर्मपत्नी का निधन हुआ था,उनके सुपुत्र श्री संपूर्णानंद पैन्यूली जी ने भावुकता के साथ ये बात बताई कि एक माह के भीतर ही माता पिता दोनों चल बसे,डॉ सचिदानंद पैन्यूली जी के दादाजी श्री राघवानंद पैन्यूली राजशाही में पटवारी  थे तो इनके पिताजी राजशाही में जाने माने इंजीनियर थे,इनके पिताजी ने लिखवार गॉव,बनियाणी से जाकर छोलगॉव में अपना निवास बनाया था क्योंकि छोलगॉव टिहरी के निकट था,और हमारे लिखवार गॉव,बनयानी से इनको टिहरी आने जाने में अधिक समय लग जाता था।डॉ सचिदानंद जी स्वाधीनता आंदोलन में जेल में भी रहे, उन्होंने टिहरी शहर में स्वामी रामतीर्थ  ट्रष्ट में सचिव पद का निर्वाहन करते हुए टिहरी की अलग पहचान के साथ साथ नई टिहरी  बादशाह थौल स्थित स्वामी रामतीर्थ स्नाकोत्तर महाविद्यालय  नाम का ऑटोनोमस संस्थान की स्थापना कर गढ़वाल विश्व विद्यालय की कार्य परिषद में रहकर अच्छे कार्यों का सृजन किया ।आज वो सदैव के लिए हमारे बीच से चले गए,आजकल कोरोना नामक महामारी के चलते हम चाहकर भी उनकी अन्त्येष्टि में शामिल नही हो सकते हैं, क्योंकि उनका निधन ऋषिकेश में हुआ और हम अपने लिखवार गॉव में है,हमारे कुल के एक और श्रेष्ठ,कर्मठ और जुझारू व्यक्तित्व का जाना हमारे लिए तो एक अपूर्णीय क्षति तो है कि बल्कि समाज और राज्य,देश के लिए भी एक बड़ी क्षति है,धीरे धीरे हमारे महान पूर्वज हमसे दूर होते जा रहे हैं,लेकिन ऐसे महान क्रांतिकारियों के किये कार्य सदैव जिंदा रहेंगें।ये हमारा सौभाग्य है कि इन क्रांतिकारियों के जीवन के आखिरी क्षणों में इनका आशीर्वाद हमे प्राप्त हुआ।
हमारे गॉव के पूर्व प्रधान,पहाड़ो की गूंज के सम्पादक श्री जीतमणी पैन्यूली जी ने उनके निधन की खबर देते हुए बताया कि उनके रिश्ते के चाचाजी यानी डॉ सचिदानंद पैन्यूली ने देश की स्वतंत्रता के बाद भी अपने लेखन से समाजसेवा में बड़ी भूमिका निभाई,वो यूपी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगठन के महामंत्री भी रहे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किये जिसकी प्रशंसा श्री शील भद्र याजि अध्यक्ष अखिल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगठन एवं

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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का संदेश

प्रधानमंत्री श्री चन्द्रशेखर जी ने भी की थी।मैं अपनी तरफ से ,अपने समस्त ग्रामवासियों की तरफ से महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और हमारे मार्गदर्शक,रहे डॉ सचिदानंद पैन्यूली जी के निधन पर अपनी शोक संवेदना प्रकट करता हूँ ,प्रभु अपने श्री चरणों महान आत्मा को स्थान दे एवं उनके परिवार को ईश्वर इस दुःख को सहने की शक्ति ईश्वर दे ऐसी कामना करता हूँ,ऐसे महान पूर्वजों का आशीर्वाद सदैव हमें आगे बढ़ने की शक्ति देता रहे,इनके कार्य हमारे लिए सदैव प्रेरणीय, पूज्यनीय और अविस्मरणीय रहेंगे।
(फोटो उनके सुपुत्र श्री सम्पूर्णानन्द पैन्यूली जी द्वारा साभार)
ॐ शान्ति, शान्ति ॐ
चन्द्रशेखर पैन्यूली
प्रधान,लिखवार गॉव।

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