उत्तराखंड में घपला घुटालो को उ.प्र.रा.नि.निगम द्वारा बढ़ावा देने वाले कई की मौज विभागों की मौज है।उत्तराखंड अलग राज्य इसलिए मातृ शक्ति के बलिदान से बना कि यहां पहले 3 पी लेकर अधिकारी, कर्मचारियों को भेजा जाता था जो अपना समय काटते के चलते घपले करजाते थे।अब राज्य बने 17 वर्ष होगये पर अधिकारी घपलों को करने वाले जो हैं उन्हीं को उत्तराखंड में इज्जत से देखा जारहा है ।उत्तराखंड का ऐसा सायद कोई विभाग बचा हो जिसमें घुटालो की लंबी सूची नहीं हो ।विकास के लिये अबस्थापना जिम्मेदारी उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम को सौंपी उनकी कोई भी परियोजना समय से पूरी होने का सवाल ही नहीं है ।साथ ही 3-3 बार के आगणन से भी कार्य पूरे नहीं किये गये ।भ्र्ष्टाचार का आलम यह है कि एक अधिशासी अभियंता /जी यम के ठिकानों पर 5 साल के कार्य काल मे अरबो की सम्पत्ति घपलों को अंजाम देकर जोड़कर रखने पर मोज से रह कर हमें कर्जदार बनाने में लगे हैं जिस सिडकुल 8 आठ सौ करोड़ का घपले की बात हो रही है ।
- उसमें घटियापन के निर्माण से उत्तराखंड की बदनामी ही मोल मिली।जबकि उत्तराखंड राज्य का अपना ब्रीडकुल आई टी आई के सामने सहारनपुर मार्ग पर अपने भवन में अपने सही निर्माण कार्य करने की एजेंसी होने का प्रमाण देरहा है पर हमारे शासन के अधिकारियों से मिली भगत होने के चलते ब्रीडकुल को कार्य नहीं मिल पा रहे हैं ।घपलों को करने वाले निगम अधिकारियों ने जिस कार्य की स्वीकृति भी नहीं है वह भी करदिये।इसका मतलब साफ है कि घुटालो की कमी उत्तराखंड में होने वाली नहीं है ।अपनी निर्माण एजेंसी उत्तराखंड में पराये लगरहि है