उत्तराखंड में सब्जियों फलों के भाव रोज तय किया जाना चाहिए देहरादून में पहले अनाज महंगा ओर सब्जियों के भाव कम थे । जिससे दून वासी सब्जियों का ज्यादा सेबन करते थे तो बुद्धिमान तंदुरुस्ती बनी रहती थी। परंतु जबसे राज्य बना तब से सब्जियों का खाना का आकाल पड़ गया ।देहरादून के कृषि की जो जमीन यह वह कंक्रीट जंगल तब्दील होगईं ।मंडीके भाव अंदर कुच्छ ओर है बाहर कुच्छ ओर जो सारस र गलत है। इनकी निगरानी के लिये वहां स्थिति कार्यलय में कर्मचारियों की तैनाती करने की आवश्यकता है सब्जी की दरोंमे तय लिष्ट से ज्यादा पर बिक्री नही कर पांएगे सब्जी मे गिरावट हर समय रह पाएगी गिरवाट रहने से आम आदमियों की जेब सब्जी खरीदने में जी नही चुराएंगे ।जड़ों में 1982 में कलकत्ता से भेंण्डी की सब्जी आती थी परन्त मंहंगी नही लगती थी। आज 4गुने रेट पर सब्जी मंडी के बाहर विक रही है।