उत्तराखंड में स्थित टिहरी गढ़वाल पूर्व टिहरी रियासत का ऐतिहासिक लिखवार गाँव बड़ा मकान मंदिर के नीचे तीसरी पंगती में बड़ा जिसके पूर्व की ऒर 2 कमरों की छवाई टूट गयी झाड़ि जम गई। सिंघौली के संधि से पूर्व का निर्मित है। इसमें टेहरी रियासत के राजा को छिपा कर रखा गया था 400 साल से ज्यादा पुराना मकान है। यह माकन 2सबसे बड़े भूकम्प बर्ष 1904 एवम बर्ष 1991 को झेलते हुये, आज तक इसलिये खड़ा कि इसकी चिनाई छोटे पत्थरों से हो रखी है बाहर की बाहर की चारों तरफ़ की दीवार 28 इंच की हैं ।अंदर की 18 इंच चौड़ाई की है खिड़की की (लंबाई) ऊंचाई,चौड़ाई से ज्यादा हैं नीब की दीवार की चौड़ाई 33 इंच गहराई 11 फिट से ज्यादा है ।बताया जाता है कि इसकी सीडी के नीचे गुप्त रास्ता था जो बर्तमान मोटर सड़क के पास पानी के स्रोत पर निकलता था वह अब दब गया है।
बड़े मकान के ऊपर वाली पन्गत में दाएं मकानों के बीच इष्ट देव बटूकुभैरव का चबूतरा है इसके ऊपर बकरी ने बाघ को मार गिराया है। यह सिद्ध स्थान है। इसके ऊपर दादी ,माँ ,बहुएं नहीं बैठती हैं । साथ ही चबूतरे के ऊपर लिया गया निर्णय की कार्यवाही बड़े मकान की तिबार के ऊपर बैठकर करने से कोर्ट कचहरी, सरकार का निर्णय गांव वासियों के हित में रहा है ।§
लिखवार गावँ धार्मिक गावँ होने के नाते वहां धर्म दिखाई भी देता है ।वर्ष 1986-87 में जब प्रतापनगर में भयंकर सुखा पड़ा उस समय संपादक द्वारा रोजगार देने के लिये गंगायमुना ग्रामीण बैंक लिखवार गाँव खुलवाने के चलते भवन निर्माण कराया ।जिस समय सूखे के चलते पानी के स्रोत सुख गए थे । इस सूखे पड़ने की जानकारी टिहरी बांध के निर्माण में बेहिसाब से किये गए विस्फोटक पदार्थों की सामग्री के विष्फोट से उड़ी धूल से गर्मी व सूखे से होने वाले नुकसान से वर्ष 1985 में मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ,कृषि मंत्री शिव बालक पासी को पत्र लिखा गया था। उस समय मकान की नीब में 35 यल.पी.यम.पानी के स्रोत पानी के मिलने पर आश्चर्य से कम नहीं था।श्री विष्णु भगवान के रूप मे प्रकट होकर जनता को अच्छे कार्य करते रहने का संदेश दिया , सरकार ने पिछले पत्रों को देखते हुए पत्र पहाड़ों की गूंज के प्रधान संपादक डॉ गणेश पैन्यूली की जीरो ग्राउंड रिपोर्ट तब सँवाददाता रहते हुए अमर उजाला में प्रकाशित करने पर विकास खंड प्रतापनगर के भदूरा से 40 किलो गेंहू बाटने सरू किया जो जन भगीदारी के असहयोग से प्रशासन ने रोक दिया। जनता के भूखे होने का अंदाजा लगाया जा सकता है तो यहां हम कैसे सूखे,ओले गिरने ,जंगली जनबरो से फसलों के नुकसान को झेलते हुए जीवन यापन करेंगे। इसके ध्यान में रखते हुए देश विदेश में घूम घूम कर पर्यावरण को बचाने की जन जन को सचेत रहने की जानकारी देरहे पर्यावरण विद सुंदरलाल बहुगुणा जी से आग्रह किया, कि यहां के सूखे की स्थिति में जीवन यापन करने के लिए राय देने के लिए कोटालगावँ विकास मेले में मुख्यातिथि के लिए आग्रह किया ।अपने व्यस्तता के चलते बहुगुणा जी ने आग्रह स्वीकार करते साथ में स्विट्जरलैंड केअर्थशास्त्री एवं पत्रकार साथ लाये ।उन्होंने जो बताया कि यहां पर जो हमारी गावँ के बाहर जगह जगह तीन महीने पशुओं को पालने की छाने हैं उसमें शौचालय आदि की सुभिधा के साथ साथ सुरक्षा का बाताबरण हो तो इन छानो से 6 महीने में विदेशी पर्यटकों को आमंत्रित कर लोगो को अच्छा रोजगार मिल सकता है। प्रतापनगर के विकास के लिए यह मुख आधार बनाया जा सकता है। शराब टिंचरी वह अपराध की जननी है ।नाति दादा के उम्र वालों के साथ टिंचरी, दारू साथ पीरहा है दारू बांट ने का चलन से अपने स्वार्थ के साथ साथ समाज मे पशुओं की श्रेणी में जाने की तैयारी सुरु होगई है । भयंकर सूखे में निकले पानी से लाखों चलते राह गिर ,गंगोत्री धाम से लंबगांव चमियाला मोटर मार्ग की.मी 9 पर निर्मल जल से प्यास तो बुझाते ही है।साथ ही भगवान बिष्णु के रूप में साथ भी लेजाते है ।अब जनता के साथ साथ श्री केदारनाथ जाने वाले तीर्थ यात्रियों को लाभ दे रहा है। कुछ यात्रियों ने इस पानी मे भगवान श्री बद्रीनाथ की कृपा का आशीर्वाद माना है। धार्मिक गावँ के निवासियों की सद्भावना से ही ऐसी अछि घटना समाज में अच्छे कार्य करने के लिये, शिक्षा पाने के लिये कलयुग में भगवान जन्म देता है। हमारे राष्ट्र के निर्माता अभियन्ता ओं के हृदय में अच्छे मजबूत कार्य करने की प्रबृति बनाने के लिए उनमे जन्म ले सके। आजके अभियन्ता 400वर्ष पूर्व में काम करने वाले साधारण मिस्त्री के सामने कहाँ खड़े हो सकते हैं ।यह सोच विकसित करने की आवश्यकता है ।इस भवन को यूनेस्को संस्थान को ,भारत सरकार को हेरीटेज के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है।
गावँ समुद्र तल से 1720मी0ऊँचाई।गॉव 85’डिग्री के कोण पर बसा है।गांव के ऊपर से पुरे गावँ की फोटो ग्राफर फोटोग्राफ कैमरे में कैद कोई नहीं कर सकता है ।गावँ के पीछे गावँ का 400 वर्ष पूर्ब अपना पोषित अपनी खेती के बीच में है अपना घना जंगल है। ऋघु वेद में वर्णण है कि वनस्पति में देवताओं का वास होता है। पू .खेती ,प.खेती, उत्तर मे खेती ,द०खेती है। इसको बढ़ाने में हमारे गावँ के पूर्व प्रधान प्रातः स्मरणीय स्व परमानंद पैन्यूली मेरे पिता श्री की अहमभूमिका रही स्व 0 पूर्णा नंद पैन्यूली को वन सेवक नियुक्त करके दिया था। स्व0 पूर्णा नंद जी ने43 वर्ष सेवा से सुरु में जंगल से सुर में 9 दिन की चारा पति की कास्त होती थी जो उन्होंने बढ़ाई 111 दिन की चारा पति जंगल से गांव वालेे लाते रहे है। प्रधान स्व लक्ष्मी प्रसाद स्व संग्राम सेनानी जी ने राशन की सरकारी गले की दुकान खुलवाई। प्रतापनगर आरगड के फैगुल, ढुङ्ग मंदार, केमर आदि सारे छेत्र के लोगों की बीमारी का इलाज गांवँ के वैद्य करते थे ।रियासत में
उपचार करने से इनकी प्रसिद्धि रही स्व श्री ऋषि राम वैद्य ,स्व श्री धर्मानंद वैद्य ,स्व रूप राम वैद्य,स्व श्री दया राम वैद्य,बन्यानि में बच्चों के पेट मे जोंक की दवाई आज भी दिनेश प्रसाद पैन्यूली पूर्व प्रधान के यहाँ पर मिलाती है।नुकीली पति (पाइन ट्री )के जंगल के होने से आकाशीय विजली ,बादल फटने की घटनाये हुआ करती थी। 3 जून 1988 की रात्री 3बजे आबकी गावँ के पास बादल फटने से बाढ़ से आबादी में तावहीँ मचा दी । जब भारतीय संचार निगम का टॉवर लगा है।तब से गावँ की आवादी आकाशिय बिजली गिरने से सुरक्षित है। इसके लिए सांसद स्वर्गीय महराजा मानवेन्द्र साह एवं महराजा मनुजेंद्र साह सांसद श्रीमती माला राज लक्ष्मी साह के मानवीय संवेदना शीलता के लिए जनता आभारी है। धन तेरस पर धन्वन्तरि जी के जन्मदिन पर शत नमन ।