लिखवार गावँ टिहरी गढ़वाल जीतमणि पैन्यूली, पहाडोंकीगूँज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र एवं न्यूज पोर्टल वेब चैनल की विशेष पहल है कि देश दुनिया की भूख किसानों के प्रयास से मिटती है ।
या यूं कहिये कि दुनिया की भूख किसान ही मिटाने के लिए जीवन खपा देता है।इनके संस्कारों से विश्व में भारत के लिए भारत माँ कहते हैं।
माँ विश्व में किसी भी देश को नहीं कहते हैं।भगवान श्री कृष्ण ने घुटनों के बल चल कर भारत की माटी को चाट कर अपनी भूख की जिज्ञासा शांत कर हमें भारत माँ को महान बनाने के लिए सन्देश गोपालक किसान नंद लाल के घर से दिया है।
पत्र लिखकर किसानों की पहल वर्ष2011 से करता आरहा है।किसान की फसल बन्दर, जङ्गली जानबर ,ओला वृष्टि, सूखे,आंधी तूफान से नष्ट होजाया करती है। उन्हें 50,000/हैक्टर छति पूर्ति एवं 30,000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाय।
केंद्र एवं सभी राज्य सरकारों को समाचार पत्र के माध्यम से समय समय पर लेख के माध्यम से देश को मजबूत राष्ट्र बनाने के लिए किसानों को नगद राशि देकर मजबूत बनाने का प्रयास करते आरहा है।
परन्तु मात्र दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार ने पत्र का संज्ञान लेते हुए किसानों कोवर्ष 2015 -2016 में 50000 हजार रुपए वर्षा से फसल नष्ट होने पर फसल की छति पूर्ति देने का काम किया ।
उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार ने अपने संसाधन से वर्ष 2015 -2016 में 1500रुपये परिवार देने का काम कर किसानों में आस सरकार का जुमेदार होने की जगाइ है।
केंद्र सरकार ने 6000 रुपये 8.69करोड़ किसानों को देकर पहल किसान सम्मान निधि देकर की है।अभी ओर किसानों को इस कार्यक्रम में जोड़ने की कार्यवाही करने की आवश्यकता है। पत्र का स्पष्ट रूप से कहना है
कि किसानों को 30,000 हजार प्रति हेक्टेयर सम्मान राशि देकर ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन रुकेगा ,आंतक बाद,नक्सल बाद काबू होगा। साथ साथ देश का जीडीपी 16 % दो साल के अंदर पहुंचा दिया जाएगा ।
सरकार ने बीमा कम्पनी को प्रोत्साहित किया है।उन्होंने जो धन राशि सरकार से ली है वह भी किसान को नहीं मिल पाई है ।वह बैंक में व्याज के लिए भी पूरी नहीं हुई है।
लगभग 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बीमा कंपनीयों को दिया गया है। जबकि किसान सम्मान राशी 6000 रुपये 8.69करोड़ किसानों को ₹5214 करोड़ साल भर में दी जा रही है ।
बीमा कंपनीयों छह गुणा राशी सरकार देरही है।
किसानों को ₹30000 प्रोत्साहित करने के लिए, किसान सम्मान राशि दिया जाय तो देश मे सर्वप्रथम कृषि उत्पादन अच्छी गुणवत्ता का पैदा होने लगेगा। पलायन रुकेगा, अपराध पलायन से हो रहे हैं देश में कम होंगे। देश का निचले प्रथम हिस्से की बुनियाद मजबूत होगी।
सरकार को ₹30,000हजार करोड़ किसानों को सम्मान राशि के लिए प्रतिवर्ष देने की योजना बनानी चाहिए। कितने भी संकट देश पर आएंगे तो देश मजबूत होकर खड़ा दिखाई देगा।
पशुपालन बढ़ेगा तभी नकली दूध, मवा, खाद्य पदार्थों से जीवन बचेगा। देश की आंतरिक सुरक्षा पर होने वाले खर्चे में कमी आएगी। देश की 70%आवादी का जीवन स्तर सुधारने का काम आसानी से होगा।
देश दुनिया को अनाज पैदा करने वाले किसान अन्नदाता ही बचाये रखगें। उनको बढ़ाने के लिए कार्य किया जाना चाहिए
किसानों की फसलो का रुपये सरकार कई साल तक दबाये बैठे रहती है।
किसान बिजली के बिलों का भुगतान नहीं कर पाते हैं।फसल सही हुई तो भाव कम होने लगते हैं।किसान को एक फसल तैयार करने के लिए 9 महीने पहले से तैयारी करनी पड़ती हैं।
अब अगले सीजन में गेहूँ बोना है तो अच्छा मन पसंद का बीज अभी से रखना पड़ेगा।
बीज में मिलावट के चलते सरकारी बीज से किसानों को कम ही लाभकारी होता है। इस मिलावट से किसानों को खेती से बिमुख करने का काम हो रहा है।
आज रासायनिक उर्वरकों से खेती की जैविक शक्ति छीण हो चुकी है।उसको पशुधन का मूत्र ही बचाने में सहायक है।
इन सब परिस्थितियों को देखते हुए सबका साथ सबका विकास सही मायनों में 70 प्रतिशत आवादी को खेती से जोड़े रखने से होगा।
धान का बीज अक्टूबर में किसानों ने रखें हुए रहते हैं। किसानों के लिए सरकार को सीधे सीधे उनको खाते में नगद राशि देने का काम किया जाना चाहिए।
बेईमानी करने वाले लोगों से किसानों को फसल एवं उसका सही विपणन नहीं होने से फसल का लाभः नहीं मिल पाता है।
तो उनको देनदारी से घर परिवार की माली हालत में आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ता है।
किसानों को बैंक परेशान करता है क्योंकि वह घर छोड़कर कहीं नहीं जाता। दुकानदार मुद्रा लोन लेकर देने को राजी नहीं है ।उसका बैंक वाले कुछ नही कर सकते हैं।जबतक ऐसा भेद भाव देश के नागरिकों के साथ सरकार कराएगी तो देश कहाँ जाएगा इसका अंदाजा अंधा भी लगाएगा।
सरकार को दृढ़ इच्छाशक्ति से किसान सम्मान निधि को 30 हजार करोड़ से ज़्यादा करने की योजना बनाकर बजट में प्रतिवर्ष 20%बढ़ोतरी के साथ करना चाहिए।
हजारों ,सैकड़ों एकड़ के बड़े किसानों के लिए फसल बीमा राशि लाभदायक सिद्ध हो सकती है। अब देखना है कि नीति आयोग संज्ञान लेता हैं।