यह मामला जनहित याचिका करने वाले ग़रीब नागरिक के अधिकार एवं आत्म सम्मान की रक्षा करने से सम्भव हो
दमोह : जिले के सबसे बड़े प्रशासनिक मुखिया यानी कलेक्टर की सरकारी गाड़ी और उनके दफ्तर का फर्नीचर कुर्क किया जाएगा. यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर होगी.
दरअसल इस आदेश की वजह एक जनहित याचिका है, जो पिछले 32 सालों से चल रही है और उस पर फैसला देते हुए ये आदेश पारित हुआ है. मामले के अनुसार, दमोह के एक व्यक्ति सुशील जैन ने सन 1987 में पशु चिकित्सा विभाग में निकली नौकरी के लिए आवेदन किया था, लेकिन सरकारी तंत्र ने लापरवाही करते हुए उसकी योग्यता को दरकिनार करते हुए कम अंक वालों की नियुक्ति कर दी.
इसे लेकर सुशील जैन ने 32 साल पहले दमोह कोर्ट में याचिका दायर की. कोर्ट ने फैसला सुशील के पक्ष में किया, लेकिन सरकार मामले को खींचती गई और पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में मामले को ले गई.
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 को आदेश देते हुए मध्यप्रदेश सरकार को 20 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति राशि सुशील जैन को देने का आदेश दिया, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी जब सरकार ने ये राशि पीड़ित को नहीं दी तो एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन के लिए पीड़ित सुशील ने दमोह कोर्ट में शरण ली और कोर्ट की अवमानना मानते हुए अब कोर्ट ने ये आदेश दिया है कि दमोह के कलेक्टर की सरकारी गाड़ी और उनके चेंबर का फर्नीचर कुर्क कर पीड़ित सुशील को 20 लाख की राशि दी जाए.
इस आदेश के बाद प्रशासनिक हलके में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं, न्याय के लिए भटक रहे सुशील के मुताबिक फ़िलहाल वो सिर्फ 20 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति राशि से संतुष्ट नहीं हैं, बल्कि उसे अपनी नौकरी भी चाहिए है, जिसके लिए उसने फिर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाईं है, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.सभार