चन्द्रशेखर पैन्यूली देहरादून:देश के लिए स्वतन्त्रता संग्राम की लड़ाई में जीवन का हर-क्षण और शरीर का हर कण कैसे मातृभूमि को अर्पित कर सकते हैं उसकी उत्कृष्ट प्रतिमूर्ति शहीदे आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के रूप में इस देश ने देखी।
राष्ट्रप्रेम और मातृभूमि के लिए समर्पण की इस अनोखी मिसाल ने वर्षों से देश के युवाओं को प्रेरित किया है। और आगे भी करते रहेंगे।
देश की आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले इन महान बलिदानियों के हम देशवासी सदैव ऋणी रहेंगे। जिस देश को आजाद कराने के लिये हंसते हंसते फांसी के फंदे पर देश प्रेमीयों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी वह देश आज अपनी स्वतंत्रता को जीवित रहने के लिए छट पटा रहा है।आज देश स्वार्थी लोगो के हाथों का खिलौना लोकतंत्र को बनाने के लिए ज़बाब देहि संमाप्त करने के लिए राज करने वाले नेता कार्य कर रहे हैं। यह लोकतंत्र को कमजोर करने का कार्य रोकने वालों को रोकने के लिए पुनः
शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान देने वालों की आवश्यकता आन पड़ी है । शहीद भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु देश के सच्चे सपूतों को उनके बलिदान दिवस (23 मार्च 1931)पर पहाड़ों की गूंज परिवार की ओर से उन्हें कोटि-कोटि नमन।