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12 नवंबर को खरना के बाद से ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा. खरना के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं और पुरुष दिनभर के उपवास के बाद शाम को स्नान कर विधि-विधान के साथ रोटी और गुड़ की खीर को प्रसाद के रूप में बनाते हैं।
व्रतियां मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद तैयार करती हैं और जलावन के रूप में आम की लकड़ी का उपयोग करती हैं. इसके बाद भगवान भास्कर की पूजा की जाती है और प्रसाद के रूप में केला, गुड़ की खीर, रोटी और अन्य चीजें चढ़ाई जाती हैं. वहीं, पारन तक व्रतियां नमक, चीनी के साथ ही लहसून और प्याज भी नहीं खाती हैं.
छठ पूजा की तिथियां-
नहाय-खाय – 11 नवम्बर 2018
खरना – 12 नवम्बर 2018
सूर्यास्त अर्घ्य – 13 नवंबर 2018
सूर्योदय अर्घ्य – 14 नवम्बर 2018
बेहद खास है छठ पूजा
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हर देवी- देवता की पूजा के लिए अलग-अलग तारीख निर्धारित की गई है. लेकिन छठ में सूर्य का षष्ठी के दिन पूजन अनोखी बात है. सूर्यषष्ठी व्रत में ब्रह्म और शक्ति दोनों की एक साथ पूजा की जाती है. इसलिए छठ व्रत करने वालों को दोनों की पूजा का फल मिलता है, यही बात इस छठ पूजा को सबसे खास बनाती है.जाने
भारतीय पंचांग के अनुसार कार्तिक मास में दीपावली यानी अमावस्या के 6 दिन बाद शुरू छठ का पर्व शुरू होता है। पूजा का आरंभ पहले दिन नहाय खाय के साथ होता है। छठी देवी को सूर्य देव की मानस बहन माना गया है, इसलिए इस मौके पर भगवान भास्कर की अराधना पूरी निष्ठा व परंपरा के साथ की जाती है। यह पर्व पूर्वी भारत में काफी प्रचलित है और मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में पूरी आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। दो दिन तक बिना पानी पिए यह व्रत रखा जाता है। छठ की पूजा में साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसके साथ ही कुछ पूजा सामग्री ऐसी होती है, जिनके पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता। आप भी जानिए ऐसी 5 विशेष चीजों के बारे मे –
बांस की टोकरी
छठ की पूजा में बांस की टोकरी का विशेष महत्व होता है। बांस को आध्यात्म की दृष्टि से शुद्ध माना जाता है। इसमें पूजा की सभी सामग्री को रखकर अर्घ्य देने के लिए पूजा स्थल तक लेकर जाते हैं।
प्रसाद के लिए ठेकुआ
छठ में ठेकुए का प्रसाद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। गुड़ और आटे से मिलाकर ठेकुआ बनता है। इसे छठ पर्व का प्रमुख प्रसाद माना जाता है। इसके बिना छठ की पूजा को भी अधूरी माना जाता है।
गन्ने का महत्व
छठ की पूजा में गन्ने का भी विशेष महत्व माना जाता है। अर्घ्य देते वक्त पूजा की सामग्री में गन्ने का होना सबसे जरूरी समझा जाता है। गन्ने को मीठे का शुद्ध स्रोत माना जाता है। गन्ना छठ मैय्या को बहुत प्रिय है। कुछ लोग गन्ने के खेत फलने-फूलने की भी मनौती मांगते हैं।
केले बिना पूजा अधूरी
छठी माई की पूजा करने में केले का पूरा गुच्छ मां को अर्पित किया जाता है। केले का प्रयोग छठ मैय्या के प्रसाद में भी किया जाता है।
पानी वाला नारियल
अर्घ्य देने के लिए जुटाई गई सामग्रियों में पानी वाला नारियल भी महत्वपूर्ण माना जाता है। छठ माता को इसका भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में वितरित भी किया जाता है। छठ मैय्या के भक्ति गीतों में भी केले और नारियल का जिक्र किया जाता है।
डाभ नींबू भी है जरूरी
खट्टे के तौर पर छठ मैय्या को डाभ नींबू भी अर्पित किया जाता है। यह एक विशेष प्रकार का नींबू होता है जो अंदर से लाल और ऊपर से पीला होता है। इसका स्वाद भी हल्का खट्टा मीठा होता है।
चावल के विशेष लड्डू
चावल के लड्डू जो एक खास प्रकार के चावल से बनाए जाते हैं। इस चावल की खूबी यह होती है कि यह धान की कई परतों में तैयार होता है जिससे यह किसी भी पक्षी द्वारा भी झूठा नहीं किया जा सकता है। मान्यता है कि किसी भी तरह से अशुद्ध प्रसाद चढ़ाने से छठ मैय्या नाराज हो जाती हैं, इसलिए इनके प्रसाद का बड़ा ध्यान रखा जाता है।-
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