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शिवालिक कॉलेज में तीन दिवसीय कृषि प्रदर्शनी एवं कार्यशाला का आयोजन।

Pahado Ki Goonj

शिवालिक कॉलेज में तीन दिवसीय कृषि प्रदर्शनी एवं कार्यशाला का आयोजन।

देहरादून। ।

देहरादून के शिवालिक कॉलेज के कैम्पस में तीन दिवसीय कृषि प्रदर्शनी एवं कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि, उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं शोध केन्द्र (यूसर्क) के निदेशक प्रो० (डॉ०) अनिता रावत, शिवालिक कॉलेज के वाईस चेयरमैन अजय कुमार, कॉलेज के निदेशक प्रो० (डॉ०) प्रहलाद सिंह और डीन ऐग्रीकल्चर डॉ० रमेश चन्द्रा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो० (डॉ०) अनिता रावत ने पर्वतीय क्षेत्रों में हो रहे पलायन की समस्या पर चिंता व्यक्त की और कहा कि पलायन से पारम्परिक ज्ञान, संस्कृति तथा भाषा का हास हो रहा है जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि की अपार सम्भावनाएँ हैं।
उन्होंने अपने सम्बोधन में यूसर्क द्वारा किये जा रहे कार्यों का जिक्र करते हुए स्वरोजगार के लिए युवा छात्र-छात्राओं का आवाहन किया।
शिवालिक कॉलेज वाईस चेयरमैन अजय कुमार ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में लगभग 70 प्रतिशत ग्रामीण युवा बेहतर नौकरी तथा रोजगार की तलाश में गाँव से शहर की ओर बढ़ रहा है जिससे गाँव की जनसंख्या घट रही है, एवं ग्रामीण अर्थव्वस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पढ रहा है। बाजार में जैविक उत्पादों की दिनों-दिन मॉग बढ रही है। जो कि किसान बन्धुओं के लिए आय बढाने का एक सुनहरा अवसर दे रहा है क्योंकि जैविक खेती से न केवल पर्यावरण पर अनुकूल प्रभाव पढता है, बल्कि राष्ट्रीय एवं अनर्राष्ट्रीय बाजारों में 20 से 30 गुना अधिक मूल्य मिलता है।

कॉलेज के निदेशक डॉ० प्रहलाद सिंह ने कृषि में नये नये स्व-रोजगार के सम्भावनाओं पर जोर देते हुए कहा कि कृषि में नवाचार का प्रयोग करके किसानों कीआय को दो गुना किया जा सकता है। उन्होंने युवा छात्र-छात्राओं का आवाहन करते हुए कहा कि कृषि उत्पादों का मूल्यवर्धन करके किसानों के उत्पादों को बाजार से जोड़कर उचित मूल्य देकर किसानों की आय को बढाया जा सकता है।

अधिष्ठाता कृषि विभाग के प्रो० (डॉ०) रमेश चन्द्रा ने अपने सम्बोधन में मिट्टी के गुणवत्ता पर जोर देकर कहा कि असंतुलित रासायनिक खादों के निरंतर प्रयोग से मिट्टी की उर्बरकता क्षमता दिनोंदिन कम हो रही है। अतः किसानों को जैविक खाद एवं बर्मी कम्पोस्ट का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए, जिससे न केवल मिट्टी की गुणवत्ता बढेगी पर कृषि उत्पाद की भी गुणवत्ता बढेगी।

  • तीन दिवसीय कृषि प्रदर्शनी एवं कार्यशाला में मुख्य आकर्षण अन्न उत्पाद, मशरूम उत्पादन तकनीकी एवं उत्पाद, मिट्टी रहित खेती की विधि, मधुमक्खी पालन, मछली पालन के साथ साथ माइको इरिगेशन आदि के बारे में विस्तारपूवर्क जानकरी दी गयी। इसमें लगभग 30 से अधिक विभिन्न स्टालों द्वारा अपने अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया। उक्त कार्यशाला में किसानों, वैज्ञानिकों तथा छात्र-छात्राओं द्वारा विस्तार से कृषि में स्वरोजगार तथा जैविक खेती की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई और किसानों द्वारा बताई गयी समस्याओं का निराकरण किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ० सम्भू प्रसाद विजल्वाण ने सभी आगन्तुकों, वैज्ञानिकों, उत्तराण्ड कृषि विभाग के अधिकारियों, किसानों, छात्रों, और विषय विशेषज्ञों का धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किसानों और छात्रों के हित में किया जाता रहेगा। इस अवसर पर डॉ० सुरमधुर पन्त, डॉ० संतोष जोशी, डॉ० सयानतन मुखोपाध्याय के अलावा कृषि विभाग के शिक्षकगण, कर्मचारीगण व छात्र छात्राऐं मौजूद रहे।

 

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