अब सेना के स्टेशन वर्कशाप बन्द करना गलत साबित होंगे। पिछले सालों सेना के ट्रकों की बॉडी बनाने का500करोड़ ₹ से ज़्यादा का घुटला अभी ठंडा भी नही हुआ कि सेना के पहले फार्म बंद करदिया ।इससे जँहा रोजगार के अबसर कम हुये वही जवानों को ताजा सब्जी ,आदि का टोटा होना लाजमी है।फार्म में जवान अधिकारी नई नई प्रजाति के सब्जियों को उगाने में मनोयोग से कार्यक्रम बना कर । जँहा तैयार करते थे वहीं जवानों को तनाव मुक्त करने का साधन भी होता था ।अपने फार्म की फसल के उपयोग करने का आनंद ही कुछ ओर होता है। फार्म में काम करने वाले जवनो कृषि, पशुपालन, आदि की जानकारी उसके सेवानिवृत्त के बाद उसके गाँव वासियों को मिलने से गावँ के पलायन रोकने में मदद गार होता है। साथ ही अपने छेत्र में रोजगार अपने सीखे हुयेकार्य से देता है ।लड़ाई के समय वह देश का प्रशिक्षण प्राप्त सैनिक होने के नाते जुमेदारी से सेवा का निर्वहन करता है । देश मे सैनिकों का ज्यादा से ज्यादा लगाव देश सेवाओं में बने रहने के लिये विभिन्न प्रकार के जॉब बनाये रखना देश एवं लोक हित मे है ।स्टेशन वर्कशाप को निजी हतो में जाने से अरबों रुपये का लाभ कंपनी मालिकों को मिलेगा ।सेना में शिक्षा जिस कार्य की मिलती है ।उसमें जनकारी रखने वाला समाज के काम आता है। देश मे ऐशे बहुत 50 से ज़्यादा कारपोरेसन हैं जिनके कर्मचारियों के पास कोई काम भी नही है ।जो घाटे में चल रहे है सरकार उनपर 250 अरव रपये से ज्यादा प्रति वर्ष ख़र्च करती है । इनकी जगह उनको बंद किया जाना देश हित मे है ।सेना में जवानों को ज्यादा से ज्यादा जोड़े रखने के लिये ।पुनः फार्म ,एवं वर्कशाप स्टेशन का नई तकनीक से जोड़ने का प्रयास करने की आवश्यकता है नकि बन्द करने की।
गुण करी तुलसीश्री विष्णु भगवान को
Sun Oct 29 , 2017