फेडरेशन आफ आल इंडिया व्यापार मंडल ने जीएसटी पोर्टल की विफलता के लिए इंफोसिस को दोषी ठहराने वाले कैट के बयान पर आश्चर्य जताते हुए कंपनी के विरूद्ध सीबीआई जांच को पूर्णत: गैर जिम्मेदाराना एवं राजनीति से प्रेरित और कारोबारियों को भ्रमित करने वाला बताया है। फेडरेशन ने कहा कि यह सर्वविदित है कि किसी भी साफ्टवेयर के व्यवसायिक उपयोग से पहले उसे व्यापक रूप से परीक्षण किया जाता है तथा कुछ समय तक उस साफ्टवेयर की कई पैमानो पर निगरानी भी की जाती है। चूंकि सरकार जीएसटी को लागू करने की जल्दी मे थी और भविष्य में कारोबारियो को होने वाली कठिनाईयो से अनजान थी। इसलिए सरकार ने बिना किसी परीक्षण के ही साफ्टवेयर को कारोबारियों की विवरणी दाखिल करने हेतु सौंप दिया और हालत यह है कि चार माह बीतने के पश्चात भी कारोबारियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल पा रहा है। यही नहीं इसके चलते कारोबारियों की क्रियाशील पूंजी सरकार के पास जीएसटी के रूप में फंसी हुई है।
फेडरेशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता सीए राजेश्वर पैन्युली ने कहा कि कैट ने इंफोसिस के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की है, इससे पहले कैट को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उनका इशारा सरकारी तंत्र की तरफ है और क्या कैट सीबीआई की जांच जीएसटीएन के अधिकारियों की कराना चाहता है? या फिर देश भर के कारोबारियों का ध्यान जीएसटी में सरकार की विफलताओं से हटाकर इंफोसिस की तरफ मो़ड़कर सरकार का बचाव करना चाहता है। पैन्युली ने कहा कि फेडरेशन यह भी बहुत दुर्भाग्य पूर्ण मानती है कि एक कारोबारी संगठन एक कारोबारी को ही कठघरे में खड़ा कर रहा है, वो भी इस कारोबारी को जो विश्व स्तर के साफ्टवेयर बनाने के लिए भारत की शान समझी जाती है। कैट की यह मांग इंफोसिस की साख पर धब्बा लगाने के साथ ही लाखो लोगो के रोजगार को प्रभावित कर सकता है जबकि हकीकत मे इसके लिए यानि जीएसटीएन की विफलता सरकारी तंत्र की नासमझी और अदूरदर्शिता का परिणाम है।
दरअसल 27 जून 2017 को एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में प्रकाशित जीएसटी नेटवर्क के चेयरमैन नवीन कुमार ने स्वयं माना था कि साफ्टवेयर को पूरी तरह से काम करने में तीन से चार माह का समय लगेगा। यह सरकार की कारोबारियों के प्रति असंवेदनशीलता है कि साफ्टवेयर के स्टेबल होने से पहले ही उसे कारोबारियों के गले में बांध दिया गया। आज कारोबारियों की स्थिति यह है कि जैसे बिना तैराकी जानने वाले को नदी में फेंक दिया गया हो।
पैन्यूली ने कहा कि फेडरेशन, कैट के बयान की भर्त्सना करता है। सरकार से मांग करता है कि जब तक साफ्टवेयर पूरी तरह से स्टेबल नहीं हो जाता और पूरी तरह से टेस्ट नहीं हो जाता, जीएसटी विवरणी को पेपर फार्म के रूप में स्वीकार्य किया जाए, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार वैट में विवरणी दाखिल की जाती रही है