नई दिल्ली। कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहे देश के लिए यह खबर राहत भरी हो सकती है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने उम्मीद जताई है कि जैसे-जैसे धूप और गर्मी बढ़ेगी हो सकता है कोरोना का प्रकोप भी वैसे-वैसे कम होगा।
वायरस के पनपने की परिस्थितियों के अध्ययन से एमआईटी ने यह निष्कर्ष निकाला है कि तापमान बढ़ने से कोरोना का खतरा घटने की उम्मीद की जानी चाहिए। एमआईटी के अध्ययन के मुताबिक मौसम अगर गरम और नमी भरा होगा तो वायरस फैलने की संभावनाएं काफी क्षीण हो जाएगी। क्योंकि 90 फीसदी कोरोना से प्रभावित देश में तापमान का पारा 3 से 17 डिग्री सेल्सियस के बीच और नमी 4 से 9 ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रही है। जिन देशों में पारा 17 डिग्री से ऊपर और नमी 9 ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा रही, वहां कोरोना के मामले केवल छह फीसदी ही दर्ज हुए। ऐसे में एमआईटी का यह अध्ययन भारत व गर्म देशों के लिए राहत भरा है। मौसम विभाग ने अगले हफ्ते से लगातार पारा चढ़ने और गर्म मौसम होने की संभावना जताई है। वैसे भी देश में 27 मार्च के बाद से तापमान बढ़ने लगता है। पिछले चार सालों का तापमान रिकॉर्ड तो इस ओर इशारा कर रहा है। दिल्ली में समेत पूरे देश में 17 से 26 अप्रैल के मध्य तापमान 40 डिग्री पर पहुंच जाता है। ऐसे में इस साल भी उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में तापमान बढ़ने लगेगा। एमआईटी ने इस अध्ययन को अमेरिका के गर्म और ठंडे इलाके में इसके कहर के हिसाब से किया है। इसके अनुसार अमेरिका के उत्तरी राज्यों में सर्दी अधिक होती है। वहां दक्षिण के गर्म इलाकों के मुकाबले दो गुने मामले दर्ज किए जा रहे हैं। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और अफ्रीका जैसे देशों में कोरोना का कहर उनकी जलवायु के कारण कम हो रहा है। लेकिन इन देशों की स्वास्थ्य सेवाएं और घनी आबादी जरूर उनकी चुनौतियों को बढ़ाते हैं।
कोविड-19 के लक्षण गायब होने पर भी रोगियों के शरीर में रह सकता है कोरोना वायरस: अध्ययन
Sun Mar 29 , 2020