राज्यपाल डाॅ.कृष्णकांत पाल ने राजभवन सभागार में मे यूएनडीपी द्वारा ‘‘नैनी झील के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक व तकनीकी उपाय’’ विषय पर आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के सम्बन्ध में मात्र चर्चा, विचार-मंथन व सेमिनार आयोजित करने से ही लक्ष्य प्राप्त नहीं होगे बल्कि इसके लिये सटीक योजना एवं रणनीति से निश्चित टाइमफ्रेम में प्रयास करने होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे प्रयास लक्ष्य आधारित, ठोस व गम्भीर होने चाहिए। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हमें न केवल नैनीताल झील बल्कि राज्य के सभी जल स्रोतों, जिनका जलस्तर कम हो रहा है के विषय पर गम्भीरता से विचार करना होगा।
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा आरम्भ किये देहरादून के रिस्पना व कोसी नदियों के पुनजीर्वीकरण अभियान का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण के लिए एक दिन में ही सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान तथा एक ही दिन में सम्पूर्ण वृक्षारोपण का कार्य पूरा किया जाएगा। उत्तराखण्ड सरकार इस अभियान से अधिकाधिक लोगो विशेषकर युवाओं, छात्र-छात्राओं को जोड़ने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रसन्नता कि बात है कि हाल ही में भारत सरकार ने राज्य के 26000 जल स्रोतों के मैनुयल निरीक्षण का निर्णय लिया है। इस दिशा में केन्द्रीय सरकार का हमारी चिन्ता से जुड़ना शुभ सकेंत है। उन्होंने कहा कि नैनीताल में 50 हजार लोग स्थायी निवास करते है तथा 8 लाख पर्यटक आते है। पर्यटकों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। हमें स्थापित पर्यटक स्थलों तथा उपस्थित अवसंरचना सुविधाओं पर बढ़ती जनसंख्या दबाव पर विभिन्न पहलूओं को ध्यान में रखते हुए विचार करना होगा। हमें नए पर्यटक स्थल विकसित करने होंगे।
राज्य सरकार द्वारा 13 जिले-13 नये पर्यटक स्थल विकसित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि नैनीझील से 18 मिलियन पानी खींचा जा रहा है, साथ ही जल स्रोत भी सीमित होते जा रहे है। निमार्ण कार्यो का प्रभाव भी जल स्रोतों पर पड़ रहा है। हमें पीने के पानी के वैकल्पिक स्रोत खोजने होंगे। नैनीताल की जनता व आम नागरिकों को जलसंरक्षण के प्रयासों से जोड़ना होगा। नागरिकों के आर्थिक-सामाजिक परिस्थितियों को जल-सरंक्षण जोड़ना होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जल स्रोतो व जलाश्यों के सरंक्षण के विषय में अभी विलम्ब नहीं हुआ है। हमें सही समय पर जागे है। जलाश्यों के पुनर्जीवीकरण के अभियान में आम आदमी के अणु प्रयास आवश्यक है। इस दिशा में हमें व्यापक सक्रिय जनभागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। हमें विचार करना होगा कि क्या हमें पीने के पानी के लिए वर्तमान जलाश्यों व जल स्रोतों के आसपास नये बरसाती पानी के बांध या झील विकसित कर सकते है। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा 25 मई को जल संरक्षण अभियान आरम्भ किया गया है। टाॅयलेट के सिस्टर्न में पानी की बोतल डाल कर प्रतिदिन करोड़ों लीटर पानी बचाया जा सकता है। उन्होंने राज्यवासियों से पुनः अपील की कि हमें इसे गम्भीरता से अपनाना चाहिये।