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साइंटिफिक-एनालिसिस
नौकरीयों के साक्षात्कार में मच रही भगदड़ों का गुनहगार राष्ट्रपति-सचिवालय
भारत यानि इंडिया, इंडिया यानि भारत में चल रहे अमृतकाल के अन्दर जैसे ही शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, सरकारी प्रक्रियाओं से त्रस्त गरीब व बेरोजगार लोगों के लिए अमृत की एक नगण्य मात्र सी बूंद जब नौकरी के रूप में टपकाने की खबर आती हैं तो साक्षात्कार के रूप में हजारों की भीड़ पहुंच जाती हैं और उस अमृत बूंद को हासिल करने नहीं सिर्फ देखने भर के चक्कर से पहले भगदड़ मच जाती हैं और प्रसाद के रूप में शरीर पर चोटे मीलती हैं व खुशकिस्मत होने पर अस्पताल में भर्ती कराने का तीन दिन और दो रात जैसा ईनाम दिया जाता हैं | गुजरात के भरूच की घटना व मुम्बई में एयर इंडिया की नौकरीयों के लिए कई गुना बेरोजगारों का पहुंचना सबसे ज्वलंत उदाहरण हैं |
( फोटो -शैलेन्द्र कुमार बिराणी युवा वैज्ञानिक)
इसी तरह यह सिलसिला आगे बढ़ता गया तो आने वाले समय में दुखद दुर्घटना घटने की सम्भावना बढ़ जायेगी | इसके बाद जो गिने-चुने लोग नौकरीयां दे रहे है वो गायब होंगे लगेंगे क्योंकि सरकारी तन्त्र उन पर कई शर्तें साक्षात्कार से पहले पुरा करने का नियम आर्थिक शुल्क के साथ बना देगा | इसके अतिरिक्त भाई-भतीजावाद और एजेन्टों के जरिये अभ्यर्थियों को ही लूटने का दौर शुरु हो जायेगा | बेरोजगारों में इस तरह की भगदड़ व छोटे स्तर की नौकरियों के लिए भी इस तरह की मारामारी व आने वाले समय में उनकी मौंत जो हत्या कहलायेगी उसकी साजिश राष्ट्रपति-सचिवालय के अधिकारियों ने करी हैं।
यदि राष्ट्रपति-सचिवालय ने साजिश न रची होती और राष्ट्रपति इतने योग्य व जिम्मेदारियों के प्रति समर्पित होते तो वे अपने नाक के निचे ऐसी साजिश होने ही नहीं देते | राष्ट्रपति यह सभी जानकारी होने के बाद स्वयं पर्दें के पीछे से ऐसा करवा रहे होंगे इसकी सम्भावना कम लगती हैं क्योंकि सचिवालय के कर्मचारियों ने जिस फाईल को दबानै, छुपाने व खत्म करने की साजिश रची उसी से जुडा मामला एक राष्ट्रपति के मौत का कारण बन गया | इस फाईल पर फैसला ले लिया होता तो अभी देश में नई नौकरियों की बाढ़ आ रही होती और काम करने के लिए खाली बैठे लोग नहीं मिलते |
यहाँ बात हो रही हैं साढे तीन किलोग्राम वाली फाईल की जिसमें दुनियाभर के दस्तावेज प्रमाणों के रूप में लगे थे | अनुरोध वाली यह फाईल एक आविष्कार से जुडी हैं जिसका पेटेंट पहले ही हो चुका था व आविष्कारक ने दुनियाभर से मिले अरबों-खरबों के आर्थिक प्रस्ताव भी राष्ट्रपति को यह लिखकर भेज दिया कि सबकुछ भारत सरकार के अधीन रहे कोई एक कम्पनी या आदमी भगवान न बन सके क्योंकि यह एक मिनिट में मर रहे एक ईंसान को बचाने का मामला हैं | भारतीय संविधान व भारत सरकार के अनुसार एक आविष्कारक को जितना मिलना चाहे उतना दे दे ताकि वो भी समाज व देश में जीवनयापन कर सके बस इतनी सी शर्त रखी थी | समय की बर्बादी को देखते हुए आगे पत्र द्वारा सुचित करा कि यदि योजना व आविष्कार समझने में समस्या हो तो उन्हें मिलने का समय दे | इस पूरे मामले को धरातल पर कैसे सच्चाई में बदलना हैं उसकी भी योजना का प्रारूप भी भेज दिया था |
इस आविष्कार से जुडें उत्पाद को लेने के लिए चालीस से ज्यादा देशों की कम्पनीयों ने प्रस्ताव दिये थे वो भी उनके नाम, पते व आधिकारिक सम्पर्क माध्यम के साथ फाईल में भेजे थे | भारत को तो अपने जमीन पर सिर्फ़ बनाकर भेजना था वो भी प्रतिदिन पच्चीस फीसदी ग्रोथ रेट के साथ | उत्पाद यूज एंड थ्रो केटेगरी का था इसलिए जो डिमांड आज हैं वो अगले दिन उससे भी ज्यादा रहने वाली हैं। इस उत्पाद को बनाने के लिए पैसा कहां से आयेगा, मशीने व सेट-अप इत्यादि-इत्यादि की दुनियाभर की जानकारी प्रमाणित दस्तावेज के साथ दी क्योंकि करिबन पांच हजार नई कम्पनीयां खुलती | यह सबकुछ 2011 में भेज दिया गया था व अन्तिम फैसले के लिए राष्ट्रपति अधिकृत कर दिये गये थे तब भी राष्ट्रपति-सचिवालय के अधिकारियों ने फाईल को कभी इस टेबल तो कभी उस टेबल पर भेज-भेज कर राष्ट्र व उसकी जनता को विनाश की दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया | इसमें सबसे बडी बात फाईल कानूनी रूप से राष्ट्रपति के नाम पर गई और रिसिव भी करी गई |
सन 2011 से लेकर आजतक समय-समय पर रिमांइडर जा रहे हैं परन्तु सबकुछ राष्ट्रपति के संज्ञान में लाये बिना इधर-उधर भेजकर कच्चें के डिब्बे में फेंका जा रहा हैं। मीडिया भी लगातार सामने ला रही हैं, उन सभी की हार्डकॉपी को भी राष्ट्रपति भवन भेजा व बाद में जन सूचना आधिकार (आर.टी.आई.) के माध्यम से भी जवाब मांगा तब भी राष्ट्रपति-सचिवालय ने घुमा फिरा कर कचरे के ढेंर में फेक दिया व भारतीय जनता, मीडिया व दुनिया की अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएं जिन्होंने इस आविष्कार पर अपनी प्रतिक्रिया व बधाईयां दी उन्हें लोकतन्त्र व भारतीय संविधान का इसलिए चेहरा दिखा दिया |
राष्ट्रपति-सचिवालय के अधिकारियों ने एक आविष्कार को खत्म नहीं किया बल्कि एक आविष्कार के माध्यम से पूरी दुनिया में लागू करने व अरबों-खरबों के आर्थिक तन्त्र को नये समय व परिस्थितियों के अनुरूप कैसे स्थापित करना हैं उस पालिसी की भ्रूण हत्या कर दी | कार्य के आधार पर आज हजारों क्षेत्रों में काम हो रहा हैं व हर क्षेत्र में रोज नये-नये आविष्कार सामने आ रहे हैं जब एक आविष्कार से लाखों नौकरीया पैदा होती तो इतने सारे आविष्कारों से करोडों नौकरीया व अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होना निश्चित है |देश एवं विश्व हित में आविष्कारों को करने वाले डॉ शैलेन्द्र कुमार बिराणी युवा वैज्ञानिक
देश हित में ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजियेगा।