देश में प्रथम प्रेस महा कुम्भ मे आने वाले साथियों और सहयोगियौं का हार्दिक स्वागत करते हैं-संयोजक जीतमणि पैन्यूली
350 से ज्यादा पत्रकारों की कोरो ना काल में बलिदान देने के बाद हरिद्वार में 12 अक्टूबर 2023 को श्राद्ध तर्पण जीतमणि पैन्यूली द्वारा किया गया
जीतमणि पैन्यूली द्वारा प्रेस को संवैधानिक अधिकार देने के लिए 30 मई 2021 से 5 जून तक अपने निवास स्थान लिखवार गाँव प्रतापनगर के पवित्र स्थान धरना प्रदर्शन मोन व्रत लेते हुए किया गया
जीतमणि पैन्यूली द्वारा प्रेस को संवैधानिक अधिकार देने के लिए हरिद्वार में पवित्र स्थान पर गंगा जल कलश महा कुम्भ की पूजा करते हुए श्री बद्रीनाथ के लिए प्रस्थान किया गया
卐ॐ देश में प्रथम प्रेस महा मे आने वाले साथियों का हार्दिक स्वागत करते हैं।प्रेस की समस्याओं को लेकर देश के पत्रकारों का महा कुम्भ हरिद्वार 06 जनवरी 2024 को पंत द्वीप के मैदान में आयोजित होने जा रहा है।य़ह आयोजित होने वाले समागम पत्रकारों की अपनी मांगों के साथ-साथ आपनी खोई हुई प्रतिष्ठा से उभारने के लिए ,आय बढ़ाने में मदद करेगा, कम समय में सभी प्रेस से जुड़े लोगों से बातचीत करने के लिए जुनून पैदा करने के लिए आप आगे आएं और अपने और अपने जिला, प्रदेश के पत्रकार साथियों के मोबाइल no Whatsap no हमे 7983825336 या ईमेल pahadonkigoonj@gmail.com पर भेजे, ताकि महा कुम्भ में आने के लिए आपको निमन्त्रण कार्ड समय से आपके राज्य की राजधानी में,दिया जा सके ।अबतक इस पुण्य कार्यक्रम के आयोजन में आय व्यय की जानकारी प्रत्येक राज्य के पत्रकार वार्ता में दी जाएगी।य़ह पहला पारदर्शिता के साथ होने वाला महानायक कार्यक्रम होगा। आप सौभाग्यशाली है कि आपके उपस्थित संयोग में आने वाली पीढ़ी के लिए यादगार बनाने का प्रयास किया जा रहा है। कार्यक्रम की सफलता के लिए अर्थिक सहयोगात्मक आप paytam no 9456334283
Jeetamani a/c No, 705010110007648,IFSCode:BKID0007050,Bank of India Dehradun. 卐ॐ। संयोजक के नाम से भेजने की कृपा कीजिएगा।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष श्री सोम दत्त शर्मा जी का बहुत बहुत साधुवाद
अबतक इस पुण्य कार्यक्रम बढ़ कर सहयोग करने के लिए भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष श्री सोम दत्त शर्मा जी ने कहा कि देश के मीडिया कर्मियों का महा कुम्भ उत्तराखंड में होना हमारे प्रदेश वासियों के लिये गौरवांवित होने की बात है कि देव भूमि मे प्रेस महा कुम्भ किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि प्रदेश वासियों को इस महा आयोजित के लिए बढ़चढ़कर सहयोग करना चाहिए और इस महा कुम्भ को सफ़ल बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करने चाहिए।उन्होंने कहा कि देश विदेश में प्रेस के माध्यम से प्रदेश की प्रसंसा होने से देश विदेश के पर्यटकों, तीर्थयात्रा पर आने वाले यात्रियों से प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ाने में सहयोग मिलेगा।श्री सोम दत्त शर्मा जी ने कहा कि 06 जनवरी 2024 प्रेस महा कुम्भ मे आने वाले लोगों के लिए भोजन व्यवस्था किसान यूनियन की ओर से की जाएगी। शर्मा जी एवं यूनियन के उज्वल भविष्य की मंगल कामनाएँ उत्तराखंड वेब पोर्टल एसोसिएशन की ओर से श्री बद्रीनाथ केदारनाथ से करते हैं।
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देहरादून दिनांक 08, नवंबर 2023, विकास भवन सभागार में जिला योजना एवं अन्य कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए मुख्य विकास अधिकारी सुश्री झरना कमठान ने अधिकारियों को तय समय के भीतर अवमुक्त धनराशि को व्यय करने एवं विकास कार्यों को गुणवत्ता के साथ जल्द पूर्ण करने के निर्देश दिए।
आज विकास भवन सभागार में आयोजित बैठक में मुख्य विकास अधिकारी ने जिला योजना,राज्य सेक्टर,केन्द्र पोषित, बाह्य सहायतित योजना, टास्क फोर्स एवं बीस व 30 सूत्री कार्यक्रमों, योजनाओं से संबंधित कार्यों की गहनता से समीक्षा की। तथा अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
मुख्य विकास अधिकारी ने विभागवार जिला योजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए अवमुक्त धनराशि के सापेक्ष कम व्यय करने वाले शिक्षा एवं निर्माण खंड विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी को दिए। उन्होंने ऐसे सभी विभागों को भी नोटिस देने की हिदायत दी है जिन्होंने जिला योजना की दूसरी किश्त में 30 प्रतिशत से कम व्यय किया है। मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि विकासात्मक कार्यों के लिए कतई भी धन की कमी नही है इसलिए जिन योजनाओं के लिए धन अवमुक्त हो चुका है उन योजनाओं के निर्माण कार्यों में अपेक्षित तेजी लाते हुए हर हाल में पूर्ण किए जाए। राज्य सेक्टर की समीक्षा करते हुए उन्होंने निर्माण कार्यों में अपेक्षित तेजी लाते हुए आवंटित धनराशि को व्यय करने के निर्देश दिए। साठ फीसदी से कम खर्च करने वाले विभागों को चेतावनी पत्र जारी करने को कहा। बीस सूत्रीय कार्यक्रम की समीक्षा में प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना में सी श्रेणी,प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में डी श्रेणी और बायोगैस में बी श्रेणी वाले विभागों को योजनाओं के कियान्वयन में अपेक्षाकृत सुधार लाने की हिदायद दी।
बैठक में परियोजना निदेशक विक्रम सिंह,जिला विकास अधिकारी सुशील मोहन डोभाल, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी शशिकांत गिरी, मुख्य कृषि अधिकारी लतिका सिंह,वरिष्ठ परियोजना अधिकारी वंदना,जिला कार्यक्रम अधिकारी जितेंद्र कुमार,मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. विद्याधर कापड़ी,ईई सिंचाई डीसी उनियाल, विनय कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजभवन में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी से शिष्टाचार भेंट की और उनका देवभूमि उत्तराखंड में स्वागत किया।
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*राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने किए भगवान बद्री विशाल के दर्शन।*
*बदरीनाथ धाम आगमन पर राष्ट्रपति का हुआ जोरदार स्वागत।*
*उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की राष्ट्रपति अगवानी की।*
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को उत्तराखंड स्थित भू-बैकुंठ धाम पहुंचकर भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए। मंदिर में करीब 25 मिनट तक पूजा करते हुए राष्ट्रपति ने देश की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की। बदरीनाथ धाम आगमन पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति की अगवानी की।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की बीच भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर से बुधवार को सुबह 10ः20 बजे बद्रीनाथ आर्मी हेलीपैड पहुंची हेलीपैड पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय, उपाध्यक्ष किशोर सिंह पॉवरअन्य जनप्रतिनिधियों सहित जिलाधिकारी हिमांशु खुराना एवं पुलिस अधीक्षक रेखा यादव ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। यहां से राष्ट्रपति काफिले के साथ मंदिर पहुंची और मंदिर में बद्री विशाल की वेद पाठ एवं विशेष पूजा की। बद्रीनाथ के मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी एवं तीर्थ पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजा संपन्न की। मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय, उपाध्यक्ष किशोर पंवार एवं अन्य पदाधिकारियों ने राष्ट्रपति को बद्री विशाल का प्रसाद एवं अंग वस्त्र भेंट किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंदिर परिसर में राष्ट्रपति को भोजपत्र पर बनी बद्रीनाथ मंदिर की प्रतिकृति, आरती और स्थानीय उत्पादों की टोकरी भेंट की। भू-बैकुंठ धाम की अलौकिक सुंदरता देख राष्ट्रपति अभिभूत दिखीं। मंदिर में पूजा दर्शन के बाद राष्ट्रपति बद्रीनाथ से श्रीनगर के लिए प्रस्थान किया।
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मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने बुधवार को सचिवालय में प्रदेश के सभी स्थानीय निकायों में ठोस कूड़ा प्रबन्धन के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को ठोस कूड़ा प्रबंधन के लिए कार्य योजना तैयार किए जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी स्थानीय निकायों से 100 प्रतिशत सेग्रीगेशन ऐट सोर्स लागू किया जाए।
मुख्य सचिव ने सभी स्थानीय निकायों में कूड़ा उठाने वाले वाहनों की संख्या की जानकारी माँगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों के लिए आवश्यक वाहनों की शीघ्र व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। कहा कि सड़कों से बड़े डस्टबिन हटाए जाने चाहिए। उन्होंने सभी यूएलबी से आवासीय भवनों, व्यावसायिक भवनों और संस्थानों से श्रेणीवार घर – घर से कूड़ा उठान और कूड़े का स्रोत से पृथक्करण (सेग्रीगेशन एट सोर्स) की रिपोर्ट भी तलब की। उन्होंने इसके लिए रियल टाइम मॉनिटरिंग और थर्ड पार्टी सर्वे की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के भी निर्देश दिये।
मुख्य सचिव ने पेयजल निगम द्वारा संचालित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के सम्बन्ध में भी जानकारी ली। उन्होंने सभी एसटीपी का थर्ड पार्टी सर्वे और रियल टाइम मॉनिटरिंग की व्यवस्था किए जाने के निर्देश दिये गए। मुख्य सचिव ने प्रमुख सचिव शहरी विकास को भी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर अपनी टीम दुरुस्त किए जाने के निर्देश दिये।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव श्री आर के सुधांशु सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने बुधवार को सचिवालय में प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी को बढ़ाये जाने के साथ ही हैलीपैड्स और हेलीपोर्ट्स के निर्माण की प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को पूरे प्रदेश में अधिक से अधिक हेलीपैड बनाए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि इनसे प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों को आपातकालीन परिस्थितियों में बहुत मदद मिलेगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय निवेश को बढ़ाने के लिए राजधानी में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय बनाए जाने हेतु तेज़ी से प्रयास किए जाएं। एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा यदि दिलचस्पी नहीं दिखाई जाती है तो राज्य सरकार को अपने स्तर से भी जौलीग्रांट एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय बनाया जाएगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि इन सभी हेलीपैड्स और हेलीपोर्ट्स को बनाये जाने हेतु डेडिकेटेड टीम लगाई जाए ताकि इन प्रोजैक्ट्स पर प्रतिदिन कार्य हो साथ ही मॉनिटरिंग भी हो सके। उन्होंने कहा कि मसूरी, ऋषिकेश, हरिद्वार और पर्यटन स्थलों पर तेजी से कार्य किया जाए। उन्होंने आईडीपीएल भूमि पर भी एक हैलीपैड तैयार किए जाने के निर्देश दिये।
इस अवसर पर सचिव श्री सचिन कुर्वे एवं अपर सचिव सी. रविशंकर सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
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*राजभवन देहरादून/(चौरास) श्रीनगर, जनपद टिहरी गढ़वाल 08 नवम्बर, 2023*
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय (श्रीनगर) के 11वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग करते हुए कुल 59 दीक्षार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए।
राष्ट्रपति ने उपाधि और मेडल प्राप्त करने वाले सभी दीक्षार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनको राष्ट्र निर्माण और समाज निर्माण में अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करना है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों और संस्थान से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष जुड़े हुए शिक्षकों से अपेक्षा की कि वे शिक्षा को समाज से जोड़ने का काम करें जिससे समाज के अंतिम छोर पर बैठा व्यक्ति भी विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सके। दीक्षार्थियों को उपाधि प्रदान करते समय महामहिम राष्ट्रपति ने सभी दीक्षार्थियों को तीन प्रतिज्ञा लेने का आह्वान किया।
उन्होंने प्रतिज्ञा दिलाई की जीवन में जिनकी बदौलत आप आगे बढ़े हैं उनका उनके योगदान को नहीं भूलना चाहिए। दूसरा, अपने नैतिक मूल्यों से कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए। तीसरा जो भी जीवन में शिक्षा प्राप्त की है उसमें समाज का बड़ा योगदान होता है, इसलिए विकास की मुख्यधारा से जो लोग अभी तक वंचित है उनको भी विकास की मुख्यधारा में शामिल करने में अपना सहयोग प्रदान करें। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने हमेशा ही शिक्षा और ज्ञान को अधिक महत्व दिया है।
राष्ट्रपति ने इस दौरान अपने संबोधन में उत्तराखंड को ज्ञान, विज्ञान, विवेकवान और शौर्य की भूमि बताते हुए कहा कि इस देवभूमि से अनेक प्रेरणास्रोत व्यक्तित्व ने जन्म लिया है जिन्होंने देश-दुनिया का मार्गदर्शन किया। उन्होंने सृष्टि लखेड़ा द्वारा निर्मित एक था गांव डॉक्युमेंट्री को नेशनल सिनेमा अवार्ड प्राप्त करने की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में भी यहां की अनेक विभूतियों ने हिंदी साहित्य को गौरवान्वित किया है। जिसमें सुमित्रानंदन पंत, मंगेश डबराल, शिवानी, भक्तदर्शन आदि लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
राष्ट्रपति ने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक यात्रा में भी उत्तराखंड के योगदान की सराहना की। उन्होंने उत्तराखंड की पर्यावरणीय सेवा और यहां के स्वच्छ जल स्रोत जो मैदानी क्षेत्र के मानव और वन्यजीव सहित वनस्पतियों को जीवन प्रदान करते हैं का महत्व भी बताया। राष्ट्रपति ने स्थानीय सरकार द्वारा रोजगार और स्वरोजगार के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों की भी सराहना की।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने उपाधि और मेडल प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज से वे अपने जीवन के आगे की और बहुत महत्वपूर्ण यात्रा की एक शुरूआत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दीक्षांत पढ़ाई का अंत नहीं है बल्कि सतत शैक्षणिक जीवन की यात्रा का एक पड़ाव है। शिक्षा एक अंतहीन यात्रा के समान है जो जीवन पर्यंत चलती रहती है आप अपना लक्ष्य महान रखिए उमंग, उत्साह और ऊर्जा के स्रोतों से हमेशा जुड़े रहिए और कभी हार मत मानिए सफलता आपको अवश्य मिलेगी।
राज्यपाल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आप ऐसे समय में समाज में अपना योगदान देने जा रहे हैं जब हम आजादी के अमृत काल में विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और विश्वगुरु भारत बनने के महान संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हमारा लक्ष्य वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का है, जिसको प्राप्त करने में आप सभी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार हमारे सभी राजकीय विश्वविद्यालयों में नवाचार और तकनीक के संगम को बढ़ावा देने के साथ-साथ पारदर्शी एवं भ्रष्टाचार मुक्त तंत्र विकसित कर रही है। जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। हमारे सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षण प्रशिक्षण एवं शोध परियोजनाओं पर तेजी से कार्य हो रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के निर्देशन में विश्वविद्यालयों महाविद्यालयों शिक्षण एवं शोध संस्थानों में अतुलनीय कार्य हो रहा है।
विश्वविद्यालय के निर्माण में स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा के योगदान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीनगर की यह धरती एक ऐतिहासिक धरती रही है। यहाँ देवताओं के पवित्र मंदिर है, वीरों की महान गाथाएँ हैं तो साथ ही वर्तमान सदी में यह नगर विद्युत परियोजनाओं के एक बड़े केंद्र होने के साथ साथ एनआईटी और अर्ध सैनिक बलों के प्रशिक्षण का प्रमुख केंद्र भी है। एक प्रकार से श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखण्ड की प्रगति का एक आधार केंद्र बन गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी को हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह और विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में ज्ञान की अविरल गंगा को प्रवाहित करने वाले इस संस्थान में उपस्थित होकर वे स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने हिमालय पुत्र स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा का स्मरण करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय उनकी विकासवादी सोच का परिणाम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष दीक्षांत समारोह की थीम ’’सशक्त महिला, समृद्ध भारत’’ रखी गई है। जिसका स्पष्ट उदाहरण आज इस दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी हैं। उनका जीवन, शुरुआती संघर्ष, समृद्ध सेवा और अनुकरणीय सफलता प्रत्येक भारतीय को प्रेरित करता है। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति की जीवटता और समर्पण शक्ति को नमन करते हुए कहा कि, वे सही अर्थों में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक हैं।
मुख्यमंत्री ने सभी विद्यार्थियों से कहा कि कभी भी जीवन में तनाव न लें। उन्होंने कहा कि जब भी युवाओं के साथ उन्हें संवाद करने का अवसर मिलता है, तो वे राज्य सरकार के ‘’सर्वश्रेष्ठ उत्तराखण्ड‘’ निर्माण के अपने ’‘विकल्प रहित संकल्प‘’ को दोहराते हैं। सभी को सर्वश्रेष्ठ उत्तराखण्ड के निर्माण में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी है। आगामी वर्षों में उत्तराखंड देश का सबसे समृद्धशाली और सशक्त राज्य हो, इस भावना के साथ हम सभी को साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सबके सहयोग से उत्तराखण्ड हर क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होगा।
इस दौरान दीक्षांत समारोह में विधायक देवप्रयाग विनोद कंडारी व विधायक पौड़ी राजकुमार पोरी, कुलाधिपति गढ़वाल विश्वविद्यालय डॉ. योगेंद्र नारायण, कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल सहित उपाधि प्राप्त करने वाले शिक्षार्थी, उनके अभिभावक हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय के शिक्षकगण तथा जनमानस उपस्थित था।
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विरासत में चित्रकला प्रतियोगिता और ट्रेजर हंट कार्यक्रम आयोजित किया गया
विरासत में शिंजिनी कुलकर्णी द्वारा कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया
विरासत में ब्रजेश्वर मुखर्जी द्वारा हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत किया गया
विरासत में विश्व प्रसिद्ध कव्वाल नियाज़ी बंधु ने अपने प्रस्तुति से देहरादून के लोगो का मन मोहा
देहरादून- 08 नवंबर 2023- विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2023 के 13वें दिन के कार्यक्रम की शुरूआत चित्रकला प्रतियोगिता और ट्रेजर हंट कार्यक्रम से हुआ। जिसका संचालन कल्पना शर्मा द्वारा किया गया जहाँ चित्रकला प्रतियोगिता का विषय मेरा शहर मेरी विरासत था, इस दोरान बच्चों के बीच खुशी का माहौल देखा गया। कार्यक्रम मे केन्द्रीय विद्यालय ओएनजीसी, दून प्रेसीडेंसी स्कूल प्रेमनगर ,हिल फाउंडेशन स्कूल ,सन वैली स्कूल ,सेंट ज्यूड्स स्कूल ,दून इंटरनेशनल स्कूल, एसजीआरआर पब्लिक स्कूल बालावाला ,दून सरला अकादमी , टच वुड स्कूल ,व्हिज़किड इंटरनेशनल सीनियर सेकंडरी स्कूल ,आसरा ट्रस्ट, फिलफोट पब्लिक स्कूल, लतिका फाउंडेशन, कोषाध्यक्ष शिकार, हिल फाउंडेशन स्कूल, दून इंटरनेशनल स्कूल, एसजीआरआर पब्लिक स्कूल बालावाला, व्हिज़किड इंटरनेशनल सीनियर सेकंडरी स्कूल से कुल मिलाकर 400 बच्चों ने जोरों शोरो से भाग लिया और कार्यक्रम की समाप्ति के साथ सभी प्रतिभागियों को इनाम एवं प्रमाण पत्र दिया गया
आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभांरंभ राजीव कुमार सिंह, एजी (ए एंड ई), देहरादून एवं रीच विरासत के महासचिव श्री आर.के.सिंह एवं अन्य सदस्यों ने दीप प्रज्वलन के साथ किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में शिंजिनी कुलकर्णी द्वारा कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया। शिंजनी कुलकर्णी जी का प्रदर्शन शिव वंदना से शुरू हुआ फिर पारम्परिक शुद्ध नृत्य 3 ताल और 4 ताल और दादरा के साथ जो उनके घराने की पारंपरिक रचना है जो उनके परदादा पंडित बिंगारी महाराज द्वारा लिखी गई है। उनके साथ शुभ महाराज तबला पर, गायन में ज़ोहेब हसीन, सितार वादन विशाल मिश्रा, बांसुरी वादन समीर खाना का रहा और पढ़ंत में सिया वर्मा ने सहयोग किया।
प्रतिभा, सौंदर्य, समर्पण, अनुग्रह, लालित्य…. सूची चलती रहती है और वास्तव में, आप ऐसे सभी विशेषण पा सकते हैं, लेकिन वह भी उस जादू का वर्णन करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा जो शिंजिनी कुलकर्णी अपने नृत्य प्रदर्शन के साथ मंच पर बुनती है। कालका बिंदादीन वंश की नौवीं पीढ़ी में जन्मी शिंजिनी कुलकर्णी कथक किंवदंती पंडित बिरजू महाराज की पोती हैं। तीन साल की उम्र से, शिंजिनी ने अपने दादा के संरक्षण में कथक का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था, उनके अनुसार, “हमारे घर में सीखना एक संस्कार है“। शिंजिनी की पहली गुरु उनकी चाची ममता महाराज थीं, जिन्होंने परिवार के सभी बच्चों को बुनियादी प्रशिक्षण दिया। बाद में बिरजू महाराज उनके गुरु थे और उनके बाद उनके सबसे बड़े भाई पं. जयकिशन जी महाराज उनके गुरु रहें। वह इस विशाल विरासत का भार खूबसूरती से उठाती हैं, लेकिन वह कहती हैं कि उनकी विरासत एक व्यक्ति के लिए बहुत बड़ी है, पूरा कथक समुदाय उनकी विरासत को संभाल रहा है।
अकादमिक रूप से एक उत्कृष्ट छात्रा, शिंजिनी ने हाल ही में देश के प्रमुख कला कॉलेज, सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास ऑनर्स में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। अपनी पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल करने के साथ-साथ उन्होंने अपना प्रशिक्षण भी पूरी लगन और ईमानदारी के साथ जारी रखा है। उन्होंने खजुराहो नृत्य महोत्सव, संकट मोचन समारोह, ताज महोत्सव, चक्रधर समारोह, कालिदास महोत्सव, कथक महोत्सव आदि जैसे प्रतिष्ठित समारोहों में प्रदर्शन किया है। उन्होंने भारत के विभिन्न शहरों और न्यूयॉर्क जैसे विदेशों में कई एकल प्रदर्शन और समूह शो दिए हैं। , सैन फ्रांसिस्को, ह्यूस्टन, मिनियापोलिस, बैंकॉक, तेहरान आदि कुछ नाम हैं, और उन्हें अपने करियर की छोटी सी अवधि में दर्शकों से स्नेहपूर्ण सराहना और आशीर्वाद मिला है।
उनका बॉलीवुड से जुड़ाव रहा है और अपने नाना की तरह यह भी छोटा रहा है। उन्होंने मुजफ्फर अली की जानिसार, बंगाली फिल्म हर हर ब्योमकेश और रवि किशन के साथ एक भोजपुरी फिल्म में अभिनय किया है। हाल ही में उन्हें बेहद प्रतिष्ठित मंच टेडएक्स पर दो बार बोलने का सौभाग्य मिला, जहां उन्होंने अपने शक्तिशाली विचारों और भाषण से कई लोगों को प्रेरित किया। शिंजिनी नवगठित शुद्ध शास्त्रीय आधारित पर्कशन बैंड – लायाकरी की भी सदस्य हैं। उन्हें अपने दादा की कोरियोग्राफी जैसे नृत्य केली, एडिटिंग, होली उत्सव, कृष्णायन और लोहा का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला है। उनके नाम कई पुरस्कार भी है जिमें मुख्य रूप से 2018 में, उन्हें नई दिल्ली में तराना फाउंडेशन का युवा प्रतिभा पुरस्कार मिला, 2017 में, शिंजिनी को अंतर्राष्ट्रीय कटक नृत्य महोत्सव में नृत्य शिरोमणि की उपाधि से सम्मानित किया गया था, 2017 में, उन्हें संगीत कला निकेतन, जयपुर द्वारा परंपरा सम्मान प्राप्त हुआ। उन्हें प्रतिष्ठित श्रीमती भी प्राप्त हुई। 2015 में क्रिशा हंगल मेमोरियल अवार्ड ने उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य के क्षेत्र में एक उभरती प्रतिभा के रूप में स्वीकार किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की दुसरी प्रस्तुति में ब्रजेश्वर मुखर्जी द्वारा हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत किया गया… जहां उन्होंने राग भूपाली से अपना प्रदर्शन शुरू किया फिर राग कामोद सुनाया और फिर दो ठुमरी जो याद पिया की ऐ, का करूं सजनी पिया ना आये के साथ अपना प्रदर्शन समाप्त करेंगे। ब्रजेश्वर मुखर्जी के साथ पंडित धर्मनाथ झा जी तबले पर, पंडित धर्मनाथ मिश्रा जी हारमोनियम पर और नितिन शर्मा और सलोनी रावत तानपुरे पर सगत दी।
ब्रजेश्वर मुखर्जी कोलकाता, भारत के एक प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक हैं। उन्हें संगीत की शिक्षा उनके माता-पिता ने दी थी और बाद में उन्होंने बिष्णुपुर घराने के असित रॉय के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लेना जारी रखा। वह वर्तमान में प्रख्यात गायक पं. अजय चक्रवर्ती के शिष्य हैं। उन्होंने रेडियो कार्यक्रमों, स्टेज शो और प्रकाशित एल्बमों में बड़े पैमाने पर काम किया है। ब्रजेश्वर मुखर्जी कई पुरस्कारों और सम्मानों के प्राप्तकर्ता हैं, जिनमें संगीत नाटक अकादमी से ’उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार’, कलकत्ता विश्वविद्यालय से ’धनंजय स्मृति पुरस्कार’, श्रुतिनंदन संस्थान से ’श्रुतिनंदन’ पुरस्कार और पुणे से ’गण वर्धन’ शामिल हैं।
ब्रजेश्वर जी ऑल इंडिया रेडियो, कोलकाता के बी-हाई ग्रेड नियमित कलाकार हैं। वह संगीत के बारे में अपना ज्ञान साझा करके कई लोगों के जीवन को प्रभावित करने में सक्षम रहे हैं। वह आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी और श्रुतिनंदन में जूनियर गुरु के रूप में कार्य करते हैं। ये दोनों संस्थान अत्यधिक प्रतिष्ठित हैं और भारत में संगीत के मंदिर माने जाते हैं। वह कई लोगों के दिलों तक पहुंचने के लिए दुनिया भर में यात्रा करके सुंदर सीमाहीन संगीत को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की तीसरी प्रस्तुति में नियाज़ी बंधु द्वारा कव्वाली प्रस्तुत किया गया…… उन्होंने अमीर खुसरो द्वारा लिखित क्वाल प्रस्तुत करके प्रदर्शन शुरू किया, उसके बाद कृपा करो महाराज, सांसों की माला, छाप तिलक, इश्क में तेरे कोहे गम, और फिर आज रंग ह रीमा के साथ प्रदर्शन की सम्पति की । उनके के संगत मे माजिद नियाज़ी, मुकरम नियाज़ी और हामिद नियाज़ी थे जो कोर्स और मुख्य कोर्स में थे, बोसिन जी कीबोर्ड पर, वासिफ जी ढोलक पर और विजय जी तबले पर थे ।
रामपुर घराने के प्रसिद्ध कव्वाल और सूफी गायक, शाहिद नियाज़ी और सामी नियाज़ी (नियाज़ी बंधु), जो अपने संगीत के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हैं,
नियाज़ी ब्रदर्स ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन पूरी ईमानदारी से किया है। नियाजी बंधु बहुमुखी गायन के लिऐ जाने जाते हैं जैसे कव्वाली, नात, ग़ज़ल, भजन, गीत, लोक आदि। वे कव्वाली की रामपुर घराने की 250 साल पुरानी पारिवारिक परंपरा को जारी रख रहे हैं। उस्ताद नियाज़ी ने कव्वाली को “रूह-ए-ग़िज़ा“ (आत्मा के लिए भोजन) के रूप में वर्णित किया है। कव्वाली का निर्माण 13वीं शताब्दी में दिल्ली के चिश्ती संप्रदाय के सूफी संत अमीर खुसरो देहलवी द्वारा भारतीय, फारसी, तुर्की और अरबी संगीत परंपराओं को मिलाकर किया गया था।
तबला वादक शुभ जी का जन्म एक संगीतकार घराने में हुआ था। वह तबला वादक श्री किशन महाराज के पोते हैं। उनके पिता श्री विजय शंकर एक प्रसिद्ध कथक नर्तक हैं, शुभ को संगीत उनके दोनों परिवारों से मिला है। बहुत छोटी उम्र से ही शुभ को अपने नाना पंडित किशन महाराज के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया गया था। वह श्री कंठे महाराज.की पारंपरिक पारिवारिक श्रृंखला में शामिल हो गए। सन 2000 में, 12 साल की उम्र में, शुभ ने एक उभरते हुए तबला वादक के रूप में अपना पहला तबला एकल प्रदर्शन दिया और बाद में उन्होंने प्रदर्शन के लिए पूरे भारत का दौरा भी किया। इसी के साथ उन्हें पद्म विभूषण पंडित के साथ जाने का अवसर भी मिला। शिव कुमार शर्मा और उस्ताद अमजद अली खान. उन्होंने सप्तक (अहमदाबाद), संकट मोचन महोत्सव (वाराणसी), गंगा महोत्सव (वाराणसी), बाबा हरिबल्लभ संगीत महासभा (जालंधर), स्पिक मैके (कोलकाता), और भातखंडे संगीत महाविद्यालय (लखनऊ) जैसे कई प्रतिष्ठित मंचों पर प्रदर्शन किया है।
27 अक्टूबर से 10 नवंबर 2023 तक चलने वाला यह फेस्टिवल लोगों के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के जाने-माने उस्तादों द्वारा कला, संस्कृति और संगीत का बेहद करीब से अनुभव कर सकते हैं। इस फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिये नामचीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इस फेस्टिवल में एक क्राफ्ट्स विलेज, क्विज़ीन स्टॉल्स, एक आर्ट फेयर, फोक म्यूजिक, बॉलीवुड-स्टाइल परफॉर्मेंसेस, हेरिटेज वॉक्स, आदि होंगे। यह फेस्टिवल देश भर के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने का मौका देता है। फेस्टिवल का हर पहलू, जैसे कि आर्ट एक्जिबिशन, म्यूजिकल्स, फूड और हेरिटेज वॉक भारतीय धरोहर से जुड़े पारंपरिक मूल्यों को दर्शाता है।
रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थी, तबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था। विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है।
विरासत 2023 आपको मंत्रमुग्ध करने और एक अविस्मरणीय संगीत और सांस्कृतिक यात्रा पर फिर से ले जाने का वादा करता है।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें – विकास कुमार- 8057409636