प्रधानमंत्री मोदी की बड़ो को लूट की छूट गरीब को जहर खाने की देरहे छूट

Pahado Ki Goonj

देहरादून में बुद्धिजीवीयों बयानों और केंद में बैठे देश के कहजाने वाले शुभचिंतक प्रधानमंत्री मोदी की कार्य शैली एवं उसके परिणाम का अबलोकन करने पर निश्चिय कहा जाने लगा कि प्रधानमंत्री मोदी की बड़ो देरखी है लूट करने की छूट गरीब की खोपड़ी पर मारो सरकारी बूट यही नही उनका भुगतान दे नहीं रहे उनको जहर खाने के लिये मजबूर किया जारहा है।गरीबों को मारने कारण साफ है पेट्रोल एवम शराब के कारोबार मोटी कमाई का धन्दा है उसमें बड़े उद्योगपति की अंधी कमाई है उसे जी यस टी से बाहर करदिया क्यों कि मोटा चंदा आये इनको पहले 110000हजार करोड़ माफ़ कर गरीबों का प्रत्येक नागरिक का 880हजार लूटा दिया दुनिया का चक्कर काटकर यक जापान ने निवेश 80हजार करोड जो दिखाया जारहा 1.50%पर असल मे वह 5%व्याज देना पड़ेगा वह 15 साल में 150 लाख करोड़ होगा।देश का सबसे बड़ा gst से आय का स्रोत तेल, शराब है इसके राजस्व की भरपाई कन्हा से होगी युवा 80%वेरोजगार हैं नोकरी नहीं है स्वास्थ्य सेवा के बुरे हाल हैं 80 प्रतशित युवाओं की कोई इच्छा कैसे पूरी होंगी।देहरादून में 2007 में रिलायंस के सब्जी के 8 मोल खुल रहे थे देहरादून में 2250 ठेलि वाले 3000 टोकरी पर घरके बाहर फड़ लगाकर अपने बच्चों के पेट पाल रहे थे उन्हें हमारी टीम ने जगह जगह जाकर आंकड़े इकट्ठा किया यहाँ जो उन्होंने अपनी आप बीती बताई कि हमारे बच्चों की पालने की जुमेदारी है उसे पूरा करने लिये कुच्छ न कुच्छ करना ही पड़ेगा यानि आधा इनकी आवादी चोरी डाका डालने के लिये मजबूर होती । छोटे पहाड़ों की गूंज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्रिका ने इसका विरोध युद्ध स्तर पर किया ।देहरादून शहर का अमन चैन को बनाये रखने में पत्रकारिता का धर्म निभाने का अल्प प्रयास किया ।आज इनकी संख्या 8000से ऊपर है अब इन्हें मोदी जी स्वयेप मशीन से बिजनेस करने की बात करते हैं ।20लाख के कारोबार करने वाले बड़े व्यपार करने वाले माल नहीं खरीदेंगे।आज धन्दा चौपट होगया ।व्यपारी अपने रुपयों के लिये सरकार से भिखारी जैसे भीख मांगने को ही सही तैयार है पर उत्तराखंड सरकार के पास देने को पैसा नहीं है ।व्यपारी जनता दरवार में जहर खारहा है ।मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत हल्द्वानी के व्यापारी पांडये के भुगतान का हल तो निकाल नहीं ।ग़ैरजुमेदारना बयान “कि जहर खाना फैशन होगया है”देव भूमि उत्तराखंड में इस बयान ने मानवीय मूल्यों को तार तार कर दिया किसी को भी यह बात समझ मे नहीं आरही है कि रुपये के आभाव में प्रदेश के मुखिया अपने संवेदनशील ता को खोते जारहे हैं जितना अकाल मृत्यु प्राप्त पांडे ने पत्राचार मुख्यमंत्री से किये उसके पत्रों पर नकारात्मक कार्यवाही से सरकार ही के हिस्से दोश आरहा है।जनता  सरकार को दोश दे रही है ।कुछ संघटन मुख्यमंत्री के ऊपर कानूनी कार्यवाही करने का मन बना रहे हैं।

 

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