देहरादून : राज्य की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं ने लील ली जच्चा बच्चा की जान। इंदिरा गांधी मार्ग निरंजनपुर निवासी 22 वर्षीय वंदना व उसके गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई।
मृतका का पति बिजली की दुकान में काम करता है। उसके अनुसार दो जनवरी को दून महिला में पत्नी का चेकअप कराया गया। तब हिमोग्लोबिन आठ बताया गया। पांच जनवरी को महिला अस्पताल में एडमिट कराया गया। तब दोबारा जांच होने पर हिमोग्लोबिन 12.5 बताया।
परिजनों ने इस रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह कैसे संभव है कि किसी का हिमोग्लोबिन दो दिन एकाएक बढ जाएगा। उनका कहना है कि भर्ती किये जाने के बाद महिला को बुखार था। उसे सांस लेने में भी दिक्कत थी। उन्होंने डाक्टरों से कहा भी कि वह उसे किसी अन्य अस्पताल ले जाते हैं, लेकिन वह डिलिवरी की बात कहकर इन्कार करते रहे।
बाद में हालत गंभीर होने पर कहा कि हमारे पास आइसीयू नहीं है। मरीज को आइसीयू की जरूरत है। आप इसे श्री महंत इन्दिरेश ले जाइये। रेफर फिर भी नहीं किया। मरीज को श्री महंत इन्दिरेश ले जाया गया तो आइसीयू वहां भी नहीं मिला। वहां कहा गया कि परिजन मरीज को खुद के रिस्क पर एडमिट कर दें।
आइसीयू खाली होते ही वहां शिफ्ट कर देंगे। इसी भागा दौडी में जच्चा बच्चा की मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि यदि सही वक्त पर उपचार मिल जाता तो जच्चा बच्चा की जान बच जाती।