देहरादून। लॉक डाउन के चलते शादियों और अन्य मांगलिक कार्यों का साया माना जाने वाला अक्षय तृतीया पर्व फीका रहा। जिसके चलते वैडिंग पॉइंट संचालक, सराफा बाजार, डीजे, कैटरिंग, बैंड, डेकोरेशन आदि व्यवसाय से जुड़े लोगों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। हालांकि परंपरा के अनुसार कुछ लोगों ने ऑनलाइन ज्वैलरी की बुकिंग जरूर की लेकिन पिछले साल की तुलना में ज्वैलरी खरीद पर लॉक डाउन का असर साफ नजर आया।
डूंगा हाउस वैडिंग पॉइंट के संचालक अनिल चड्ढा ने बताया कि लॉक डाउन के चलते अक्षय तृतीया और अन्य शुभ लग्नों पर विवाह स्थगित होने से इस व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों लोगों की रोजी रोटी पर खतरा पैदा हो गयाा। साल में सबसे अधिक शादियां अक्षय तृतीय पर होती थी, लेकिन इस बार शादियां कैंसिल होने से इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा हैं। शहर में शादी मंडप कारोबार से जुड़े करीब बीस से पच्चीस हजार लोग जुड़े हैं।वहीं लॉक डाउन के बाद भी सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए एक जगह पर बीस से अधिक लोगों के इकट्ठा न होने पर आगे भी काम की संभावना कम हैं।
सर्राफा मंडल देहरादून के मीडिया प्रभारी देवेन्द्र ढिल्लों ने बताया कि कई लोग घर में बरकत के लिए इस दिन सोने या चांदी की लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखते और उसकी नियमित पूजा करते हैं।लेकिन इस बार लॉक डाउन के चलते बाजार बंद है। ऐसे में व्हाट्सअप और ईमेल के माध्यम से लोगों ने आभूषण की बुकिंग करवाई। साथ ही ऑनलाइन माध्यम से एडवांस पेमेंट की। स्थिति सामान्य होने के बाद ज्वैलरी की डिलीवरी की जाएगी। आचर्य डॉक्टर सुशांत राज ने वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हर साल अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है। बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया को विवाह के लिए स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन किये गए शुभ कार्यों से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।अक्षय तृतीया साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त में से एक है। इस दिन को इतना ज्यादा शुभ माना जाता है कि इस दिन बिना ज्योतिषीय परामर्श के भी विवाह संपन्न कराए जाते हैं। आचार्य अमित थपलियाल ने बताया कि भविष्य पुराण में इस बात का जिक्र मिलता है कि अक्षय तृतीया के दिन से ही सतयुग और त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। यही वजह है कि इस दिन को लोग लोग घरों में वैवाहिक कार्यक्रम, धार्मिक अनुष्ठान, ग्रह प्रवेश, पूजा पाठ के लिए चुनते है।
अक्षय तृतीया पर लोगों में घरों में रहकर विधि विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करवाया। इस दौरान कोरोना वायरस से शांति और परिवार की सुख समृद्धि की कामना की गई।