देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव जीतने के लिए संगठन को मजबूत करने के बजाय सरकार की गलतियों के आधार पर जीतने का दावा कर रही है। उत्तराखंड में चल रहे पंचायत चुनाव 2022 से पहले होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले होने वाले अंतिम चुनाव हैं। मतलब यह चुनाव उत्तराखंड के राजनीतिक दलों के लिए अपने-अपने संगठन की ताकत परखने का मौका भी है। बीजेपी का संगठन इन चुनावों को भी गंभीरता से लड़ने में जुटा हुआ है तो कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत करने के बजाय सरकार की कमियों और गलतियों के भरोसे चुनावी मैदान में उतर रही है। कांग्रेस में अलग-अलग गुटों के सवाल पर लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी में शामिल होने वाले और पौड़ी से कांग्रेस प्रत्याशी रहे मनीष खंडूड़ी कहते हैं कि कांग्रेस बहुत बड़ी और पुरानी पार्टी है इसलिए इसमें अलग-अलग विचार हैं। पंचायत चुनाव में पार्टी की जीत की संभावनाओं पर मनीष कहते हैं कि बीजेपी से लोग नाराज हैं, आक्रोशित हैं और इसलिए वह कांग्रेस को वोट देंगे।
उत्तराखंड में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल पहले कांग्रेसी हुआ करते थे। 2016 में हरीश रावत से बगावत कर बीजेपी में शामिल होने वाले 9 नेताओं में वह भी थे। अब उन्हें लगता है कि कांग्रेस की प्रासंगिकता ही देश में खत्म हो गई है। उनियाल कहते हैं कि अपरिपक्व और नाकारा नेतृत्व, युवाओं के कांग्रेस से मोहभंग की वजह से नेताओं का मनोबल टूटा हुआ है। सुबोध उनियाल कहते हैं कि जो दूसरे की गलतियों के इंतजार में रहता है, उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है और कांग्रेस के साथ यही हो रहा है. वह इंतजार कर रहे हैं कि बीजेपी सरकारें कोई गलती करेंगी लेकिन ऐसा होने वाला नहीं है।
उत्तराखंड कांग्रेस के लिए एक बात राहत की हो सकती है कि हरीश रावत स्टिंग केस की हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान लंबे समय बाद प्रदेश के सभी कांग्रेसी दिग्गज एक साथ नजर आए थे। लेकिन प्रदेश की राजनीति में लंबे अरसे बाद हुए इस घटनाक्रम का असर अभी पार्टी संगठन पर नजर नहीं आ रहा है और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में यह बात पार्टी के लिए अच्छी नहीं है।