देहरादून : ‘बोए जाते हैं बेटे और उग आती हैं बेटियां, खाद-पानी बेटों में और लहलहाती हैं बेटियां…जीवन तो बेटों का है और मारी जाती हैं बेटियां…।’ नंदकिशोर हटवाल की यह कविता आज के दौर में और प्रासंगिक नजर आती है। इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे कि अभियानों […]