नई दिल्ली। कोविड-19 का सहारा लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के साथ ही विभिन्न मंचों पर पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया है। हाल में कश्मीर पर यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में इस्लामाबाद की तरफ से किए गए उसके प्रयासों पर ध्यान तक नहीं दिया गया था। रविवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने उस पत्र को सार्वजनिक किया है जो वहां के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की तरफ से संयुक्त राष्ट्र महासचिव और प्रसिडेंट ऑफ सिक्योरिटी काउंसिल को 9 मार्च को लिखा गया था। इसमें कुरैशी ने जम्मू कश्मीर में मानवीय स्थिति को ‘खौफनाक’ करार दिया है। एक अलग बयान जारी कर भी पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भी कोविड-19 के चलते कश्मीर कैदियों की रिहाई और कश्मीर में लगे प्रतिबंधों को हटाने को कहा है।कुरैशी की तरफ से लिख गए पत्र या उसके बयान को लेकर भारत की तरफ से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। भारत लगातार यह कहता रहा है कि पिछले साल जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जे को खत्म करने का फैसला उसका आंतरिक मसला है। भारत की तरफ से लगातार पाकिस्तान पर आंतरिक मामलों में दखल देने और कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन करने की बात कहता रहा है।
हाल में कोरोना महामारी पर सार्क नेताओं की बैठक के दौरान 15 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कश्मीर मुद्दा उठाने पर भारत ने उसकी कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पाकिस्तान मानवीयता के मुद्दे का राजनीतिकरण करना रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि कुरैशी का यूएन को लिखा गया पत्र कश्मीर में मानवीय स्थिति और लगातार उसके हाइलाइट करने के इस्लामाबाद के प्रयासों के अनुरूप ही है। गौरतलब है कि हाल में ही दिसंबर में यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में पाकिस्तान के कहने पर चीन की तरफ से कश्मीर मुद्दा उठाने के प्रयासों को फ्रांस और अन्य स्थायी सदस्यों ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया था।