On the holy festival of Bhadrapada Sankranti, Rawal Shri Keshav Namboodiri ji of Shri Badrinath temple performed Annakoot and Yagya-havan in Adi-Kedareshwar temple located at Shri Badrinath Dham as per tradition.
गोपेश्वर,पहाडोंकीगूँज, श्री बद्रीनाथ धाम में आज पहली बार इस वर्ष पट खुलने के बाद रावल मानव रूप में भगवान श्री बदरीविशाल के दर्शन करने का सौभाग्य मिला है हम धन्य हुए।भाद्रपद संक्रांति के पावन पर्व पर श्री बद्रीनाथ मन्दिर के रावल श्री केशव नम्बूदिरी जी परम्परानुसार श्री बदरीनाथ धाम स्थित आदि-केदारेश्वर मन्दिर में अन्नकूट एवं यज्ञ-हवन सम्पन किया ।
उत्तराखंड में मनाया जाने वाला लोकपर्व “घी संक्रांति” त्योहार की पूर्व संरक्षक श्रीबद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति कर्मचारी संघ का प्रयास है कि देश,
दुनिया को भगवान श्री बद्रीनाथ के रूप में मानव प्रतिनिधि श्री प्रातः स्मरणीय रावल जी के दर्शन कराकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त श्रद्धालु करें।
-घी संंक्रांति के
बाद ही अखरोट को खाया जाता है। घी त्योहार को लेकर पौराणिक मान्यता है कि इस दिन घी का सेवन करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव से भी फायदा मिलता है। मुख्यत: कहा जाता है कि इस दिन घी खाने से राहु और केतु का व्यक्ति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। बल्कि व्यक्ति सकारात्मक सोच रखते हुए जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ता है।
भाद्रपद महीने की संक्रांति जिसे सिंह संक्रांति कहते हैं उसी दिन उत्तराखंड में घी संक्रांति का आयोजन किया जाता है। सूर्य देवता कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश कर जाते हैं। इसी को सिंह संक्राति कहा जाता है और उत्तराखंड में इसे घी संक्रांति के रूप में मनाते हैं। इस लोक पर्व के साथ तमाम मान्यताएं भी जुड़ी हैं।
भाद्रपद मास की संक्रान्ति, जिस दिन सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है और जिसे सिंह संक्रांति कहते हैं, यहाँ घी-त्यार के रूप में मनाया जाता है।आज के बाद गाव में बच्चों का
अखरोट। के पेड़ पर अखरोठ तोड़ने की होड़ लग जाती है।
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