रुद्रप्रयाग। चारधाम यात्रा में ई-पास की बाध्यता को खत्म करने और यात्रा को पूरी तरह से खोलने की मांग को लेकर केदारनाथ समेत केदारघाटी के सभी बाजार बंद रहे। इस दौरान होटल, घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी संचालक समेत केदारघाटी की जनता ने केदारनाथ यात्रा पड़ावों पर जगह-जगह प्रदर्शन किया। केदारनाथ और यात्रा पड़ाव के बाजारों के बंद रहने से यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं यात्रियों को गौरीकुंड-केदारनाथ 18 किमी पैदल मार्ग समेत केदारघाटी में चाय-पानी तक नहीं मिल पायी। वहीं, बाजार बंद रहने से यात्रियों में काफी आक्रोश देखा गया।
गौर हो कि बीते 16 सितंबर को नैनीताल हाईकोर्ट ने चारधाम और हेमकुंड साहिब यात्रा को सशर्त खोलने की अनुमति दी थी। जिसके बाद 18 सितंबर से प्रदेश में चारधाम यात्रा का आगाज हो चुका है। केदारनाथ धाम में एक दिन में मात्र 800 यात्रियों को जाने की अनुमति है। यात्रियों को केदारनाथ जाने के लिए पहले देवस्थानम बोर्ड की साइट पर जाकर ई-पास बनाना होगा। बिना ई-पास वाले यात्री को केदारनाथ नहीं भेजा जा रहा है। अभी से अक्टूबर तक के ई-पास पूरी तरह से बुक हो चुके हैं। ऐसे में कई यात्री केदारनाथ धाम की यात्रा नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें आधे रास्ते से वापस लौटाया जा रहा है। ऐसे में केदारनाथ समेत यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग, गौरीकुंड, गुप्तकाशी, फाटा, रामपुर, सीतापुर आदि बाजारों के व्यापारियों, पैदल मार्ग पर संचालित होने वाले घोड़े-खच्चर, डंडी-कंडी संचालकों ने आज केदारघाटी को बंद रखा. व्यापारियों और मजदूरों ने केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग में प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। व्यापारियों और तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि केदारनाथ धाम आने के लिए ई-पास की व्यवस्था को खत्म कर देना चाहिए और यात्रा को पूर्ण रूप से खोल देना चाहिए। उनका कहना है कि यात्री बिना ई-पास के वापस लौट रहे हैं। इसका असर स्थानीय जनता पर भी पड़ रहा है। पहले ही दो साल से कोरोना की मार पड़ी हुई है और अब ई-पास का नियम लागू होने से दिक्कतें बढ़ गई है। बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। कई बेरोजगारों के सामने आज भुखमरी की समस्या पैदा हो गई है। इससे अच्छा होता कि यात्रा को खोला ही नहीं जाता। केदारघाटी के बाजार बंद रहने से केदारनाथ जाने वाले यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कुंड से लेकर केदारनाथ धाम तक यात्रियों को कहीं भी पानी और चाय तक नहीं मिल पाई. यात्री पैदल मार्ग पर भूखे-प्यासे ही यात्रा करते रहे। यात्रियों का भी कहना था कि स्थानीय लोगों की मांग को मान लेना चाहिए और ई-पास की बाध्यता को खत्म कर यात्रा को पूर्ण रूप से खोल देना चाहिए।