(“मैं ईद नही मनाऊंगा, मैं हिन्दू हूँ”विधान सभा में खुले आम योगी आदित्यनाथ के ढोंगी सेक्युलरो को आईना दिखाते इस बयान पर गर्व करती मेरी नयी कविता)
रचनाकार-कवि गौरव चौहान इटावा उ प्र 7906893211
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*आँखे जिस पल को तरसी थीं,वह दर्श दिखाया योगी ने,
उस सदन बीच खुलकर हिदूं उत्कर्ष दिखाया योगी ने,
निज धर्म,कर्म पर गौरव है,ये सिखा दिया है योगी ने,
जो मोदी नही दिखा पाये,वो दिखा दिया है योगी ने,
बेशर्म जनेऊ धारी थे,जो इफ़्तारो में जाते थे,
हाथों से तिलक मिटा करके जो,टोपी गोल लगाते थे,
वोटों की भूख जिन्हें मस्ज़िद-दरगाहों तक ले जाती थी,
खुद को हिन्दू कहने में जिनकी रूह तलक शर्माती थी,
उन ढोंगी धर्म कपूतों की छाती पर चढ़कर बोल दिया,
क्यों ईद मनाऊँ?हिन्दू हूँ,ऐलान अकड़कर बोल दिया,
जड़ दिया तमाचा,और लिखी इक नयी कहानी योगी ने,
लो डूब मरो,बंटवा डाला,चुल्लू भर पानी योगी ने,
संकेत दिखा है साफ़ साफ़ अब इस महंत की बातों में,
अब होना दर्द ज़रूरी है,आज़म खानों की आंतो में,
पूरे प्रदेश में शांति अमन,गर होना बहुत जरुरी है,
तो फिर गुंडों में योगी का,डर होना बहुत ज़रूरी है,
चौबिस कैरट का बांका वीर दिलेर मिला है यू पी को,
लगता है जैसे पहला बब्बर शेर मिला है यू पी को,
हिन्दू गौरव पर ग्रहण लगा जो,जल्दी हटने वाला है,
जेहादी कुनबा सदमे में अब शीश पटकने वाला है,
वह राजनीति के नव युग में बजरंगी का अवतारी है,
थोड़ा सा बाल ठाकरे है,थोड़ा सा अटल बिहारी है,
दीवाली फिर से चमकी है,होली फिर से मुस्काई है,
शिवरात्रि लगी महकी महकी,हर उत्सव में तरुणाई है,
यह कवि गौरव चौहान कहे,यह स्वाभिमान की बेला है,
हर हिन्दू मिलकर साथ खड़ा,योगी अब नही अकेला है,
आरंभ हुआ है लो प्रचंड,हम दिव्य चमकते बिंदू हैं,
खुलकर के आज सभी बोलो,हम हिन्दू हैं,हम हिन्दू हैं*
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——-कवि गौरव चौहान (हिंदुत्व की चमक और धमक के लिए सभी लोग बिना कांट छाँट या एडिट किये कविता को भरपूर शेयर करें)