ज़रा सोचें नोटबंदी को पूरे 507 दिन हो गए हैं।
1. आपके आसपास कितने लोग कैशलेस व्यापार कर रहे हैं?2. क्या कभी किसी को ‘भीम ऐप’ इस्तेमाल करते देखा है?3. क्या सभी पेमेंट कैशलेस हो गयी हैं।मज़दूर, ड्राइवर, नौकर- नौकरानी, रेडी-पटरी वाले, छोटे दुकानसार सब अब चेक से या कार्ड से पेमेंट लेते हैं?4. क्या आप के आसपास भ्रष्टाचार में नोटबंदी से रत्तीभर कोई फ़र्क़ दिखा है?5. क्या अमीरी-ग़रीबी की खाई कम हो गयी है?6. क्या सीमा पर सैनिक पहले से ज़्यादा शहीद नहीं हो रहे हैं?7. क्या नक्सलवाद मिट गया है?
आपका जवाब क्या होगा ?
सच तो यही है कि देश ने *मुंगेरीलाल के हसीन सपने* को देखा था। उस सपने में एक झटके में सब कुछ बदल गया था। लेकिन आँख खुली तो हक़ीक़त वही की वही थी।
1. *पहले से ज़्यादा कैश अब बाज़ार में है*
2. रोज़गार और अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गए हैं।
3. बैंक दिवालियेपन के रास्ते पर दिखते हैं।
4. हर बड़ा बैंक का डिफ़ॉल्टर क़र्ज़ विदेश भाग रहा है। उन्हें आप पकड़ भी लें, तो भी उनसे पैसा वापिस नहीं ले पाएँगे। जनता का पैसा तो गया ही।
देश बातों से और हसीन सपने से नहीं, ज्ञान से चलते हैं।
#मुंगेरीलाल_के_हसीन_सपने
#507_days 0000??