विमर्श हेतु जारी
दोस्तों: बहुत से गंभीर मुद्दों पर अक्सर हम गंभीर चर्चा नहीं करते हैं| अभी हाल ही में सऊदी अरब के राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान जब भारत आए तो भारत ने सऊदी अरब को एक द्विपक्षीय समझौता के तहत उसकी उड़ान कोटा को 40% तक बढ़ा दिया है ; जो कि 01 अप्रैल से लागू हो जाएगा| 5000 किलोमीटर की दूरी वाले राष्ट्रों में सऊदी अरब एक मात्र राष्ट्र है जिसे यह अधिकार दिया गया है| इस अधिकार के प्राप्त होने से सऊदी अरब प्रति सप्ताह 28000 यात्रियों की आवाजाही कर सकेगा| किसी भी देश के लिए यह सबसे बड़ी छूट भारत सरकार ने प्रदान की है| विदित हो कि सऊदी अरब के साथ-साथ कई अन्य राष्ट्र जिनमें चीन, सिंगापुर, दुबई, मलेशिया, कतर आदि हैं भी अपने उड़ान के अधिकारों पर वृद्धि की मांग करते रहे हैं, परंतु इन सब की दावेदारी को खारिज कर दिया गया है| याद करें कि सऊदी अरब के राजकुमार अपने पाकिस्तान दौरे में बीस बिलियन डॉलर ($20 billion) निवेश के बाद, भारत में भी 100 बिलियन डॉलर $100 billion) निवेश की घोषणा कर चुके हैं| सूत्र बताते हैं कि सऊदी अरब ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुस्लिम संगठन Organisation of Muslim States) की बैठक में भारत के अतिथि सदस्य पर पूर्ण समर्थन किया था| और इसके साथ में सऊदी अरब भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच बैक डुवर डिप्लोमेसी (back door diplomacy) के तहत तनाव कम करवाने की भूमिका में भी था| यह भी सुनने में आया है कि भारतीय वायुसेना के मिग 21 के पायलट अभिनंदन वर्थमान की रिहाई में भी सऊदी अरब ने बड़ी भूमिका अदा की थी| परंतु सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि यह भी एक बड़ा सच है कि सऊदी अरब ही वह राष्ट्र है जो कि मदरसों को वित्तीय मददगार रहा है फिर चाहे वह भारत हो बांग्लादेश हो अथवा पाकिस्तान| सऊदी अरब अन्य मुस्लिम राष्ट्रों में भी मुस्लिम संस्थानों को वित्तीय मदद देता रहता है| कई रक्षा विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं कि इन सब मदरसा फैक्ट्रियों से ही मुस्लिम कट्टरपंथ की विचारधारा पनप रही है और विश्व तनाव की गिरफ्त में आ रहा है| तो क्या भारत में $100 बिलियन का निवेश और इस प्रकार से सऊदी अरब को 40% उड़ान का अधिकार में वृद्धि एक कुशल नीति कहलाएगी? क्या दीर्घकाल में हम किसी बडे भंवर जाल की गिरफ्त में तो नहीं फंस जाएंगे? क्या रिश्तों की गर्माहट पाने के लिए देश के दरवाजों को खोलने की नीति सही पटरी पर उतर रही है।