अनिल बलूनी का जन्म 2 सितंबर 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के कंडवालस्यु में हुआ था । केंद्र के भरोसेमंद अनिल बलूनी युवावस्था से राजनीति में सक्रिय रहे। भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री , निशंक सरकार में वन्यजीव बोर्ड में उपाध्यक्ष, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और फिर राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख बने अनिल बलूनी 26 साल की उम्र में सक्रिय चुनावी राजनीति में उतर आए और राज्य के पहले विधानसभा चुनाव 2002 में कोटद्वार सीट से पर्चा भरा था । सीएम अनिल बलोनी लेकिन उनका नामांकन पत्र निरस्त हो गया इसके खिलाफ रिपोर्ट गए थे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2004 में कोटद्वार में उपचुनाव लड़ा लेकिन हार गए । इसके बाद भी वह लगातार पहाड़ में सक्रिय रहे बलूनी पत्रकारिता की पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति में सक्रिय थे और दिल्ली में संघ परिवार के दफ्तरों में मेलजोल बढ़ाते हुए नेताओं के संग घूमते दिखते थे।
सीएम अनिल बलोनी इसी दौरान संघ के जाने-माने नेता सुंदर सिंह भंडारी से उनकी नजदीकियां बढ़ने लगी और सुंदर सिंह भंडारी को जब बिहार का राज्यपाल बनाया गया तो भंडारी अपना ओएसडी यानी अपना ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी बना कर अपने साथ ले गए। इसी के बाद भंडारी को जब गुजरात का राज्यपाल बनाया गया तब बलूनी की कर्मभूमि बनी गुजरात , यही वो दौर था जो बलूनी की किस्मत का भाग्य पलटने वाला साबित हुआ।
उस वक़्त गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे यही वह दौर था जब नरेंद्र मोदी के करीब आकर बलूनी ने अपनी काबिलियत और राजनीतिक रणनीतिकार की कुशलता का परिचय दिया ।सीयम अनिल बलोनी- अनिल बलूनी नरेंद्र मोदी के साथ काम करना शुरू कर दिया और अगले कुछ सालों के भीतर मोदी के भरोसेमंद लोगों की टीम में शामिल हो चुके थे ।
भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने अनिल बलूनी की काबिलियत और महत्वाकांक्षा को गुजरात के दौरान ही भली-भांति समझ लिया था । लिहाजा जब अमित शाह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो उन्होंने अनिल बलूनी को राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी जैसी बड़ी जिम्मेदारी देते हुए यह साबित कर दिया था कि CM Anil Baluni अनिल बलूनी आने वाले दिनों में पार्टी के लिए बड़ा नाम बन सकते हैं। अमित शाह के अध्यक्ष बनने के बाद अनिल बलूनी को पार्टी प्रवक्ता और मीडिया प्रकोष्ठ का प्रमुख बनाया गया । एक तरह से वह अमित शाह के कोर ग्रुप में शामिल हो गए थे। वह मीडिया संबंधी कार्यों को देखते रहे हैं। फिलहाल मोदी के मीडिया संबंधी कार्यक्रमों का प्रबंधन कुशलतापूर्वक करना उनकी बायोडाटा का सबसे प्रमुख हाईलाइटर बन गया।
पार्टी की छवि के खिलाफ कोई बात हो जाने पर अनिल बलूनी स्थिति को संभालने के लिए पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ मंत्रियों को समय-समय पर सलाह भी देते रहे हैं । अनिल बलूनी पीएम मोदी और शाह के करीब बने रहने के लिए तमाम पार्टी हित में प्रयास करते रहे हैं जिसका परिणाम है कि आज सबसे प्रबल दावेदार अनिल बलूनी आज पार्टी की पसंद साबित हो रहे हैं। उन्हें उत्तराखंड जैसे प्रदेश में मुख्यमंत्री का ओहदा देकर उनकी काबिलियत को एक नई पहचान और ऊंचाई दी जा सकती है।
हालांकि ऐसा होता है तो अनिल बलूनी के लिए पहाड़ में पूरे 5 साल एक स्थाई और भरोसेमंद सरकार देना थोड़ा मुश्किल भी हो सकता है । क्योंकि जिस तरह से पार्टी के अंदर वरिष्ठ विधायकों के मन में नेतृत्व करने की ललक समय-समय पर दिखाई देती है, वह यह बताता है कि खेमेबाजी और गुटबाजी सिर्फ प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के अंदर ही नहीं भाजपा के अंदर भी सुलग रही है । ऐसे में सीएम अनिल बलोनी की काबिलियत तब कसौटी पर होगी जब वह असंतुष्ट और खेमे बाजी में फंसे विधायकों और दिग्गज नेताओं को एक साथ बांधे रखने में सफल होते हैं । अगर बलूनी मुख्यमंत्री बनते हैं तो पूरे 5 साल तक मुख्यमंत्री के पद पर बने रहते हुए प्रचंड बहुमत की सरकार चलाते हुए जनता की उम्मीदों को पूरा करना ही अनिल बलूनी के चयन को सही साबित कर सकेगा ।