जिस विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक (दावोस समिट) में 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा ले रहे हैं. ओर मोदीजी उन 40 देशो में अपना सबसे बड़ा दल लेकर वर्ल्ड बैंक की इज ऑफ बिज़नेस डूइंग की तीस अंको की उछाल से खुद की पीठ थपथपा रहे हैं
उसी विश्व आर्थिक मंच ने , सम्मेलन से ठीक एक दिन पहले इन्क्लूसिव डेवलपमेंट इंडेक्स यानी ‘समावेशी विकास सूचकांक रिपोर्ट’ पेश की है और इसमें भारत को 62 वे नम्बर का देश बताया गया है गौरतलब हैं कि इसमें पाकिस्तान 47वें स्थान पर है. यानी हम पाकिस्तान से भी भी बहुत पीछे है
आइये समझते हैं कि समावेशी विकास किसे कहते है यह सूचकांक कैसे बनाया जाता है ‘जब किसी विकास की प्रक्रिया में समाज के सभी वर्गों जैसे कि गरीब, अमीर, महिला, सभी जाति और संप्रदाय के लोग शामिल हों तो ऐसे विकास को समावेशी विकास कहते हैं’.इस इंडेक्स में आम आदमी के रहन सहन का स्तर, पर्यावरण की स्थिती और कर्ज के बोझ से संरक्षण आदि पहलुओं को शामिल किया जाता है.
यानी बाबा रामदेव ,बाबा बालकृष्ण,अडानी अम्बानी का विकास इस रिपोर्ट में मायने नही रखेंगा इस तरह के विकास का सीधा संबंध आम आदमी के आर्थिक जीवन से है यह भी जान लीजिए कि 2017 में भारत को 60वें स्थान पर रखा था. और पाकिस्तान 52वें नंबर पर था यानी हम पिछले साल की तुलना में 2 अंक ओर लुढ़क गए हैं और पाकिस्तान ने 5 अंको का सुधार किया है
यह सर्वे यह भी बता रहा है कि भारत उन 6 देशों में शामिल रहा, जिनके प्रति भरोसा बीते साल की तुलना में सबसे ज्यादा गिरा है वैसे आप फिक्र मत कीजिए मोदीजी भी भांति भांति के पकवान खिला कर सारे विश्व के नेताओं को खुश कर देंगे आखिरकार वह अपने साथ भारत से 32 शेफ की टीम और 1,000 किलो मसाले भी दावोस लेकर गए हैं
ओर इस सम्मेलन के खत्म होते होते भारतीय मीडिया मोदीजी का ऐसा आभामंडल रचेगा जिससे कि मोदी की छवि एक विश्वनायक के रूप में बन जाए वैसे आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि इस बार मीडिया को भी भरोसेमंद होने के तराजू पर तोला गया है सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि पहली बार मीडिया सबसे कम भरोसे वाला संस्थान रहा। 28 में से 22 देशों में लोगों ने इसे गैर भरोसेमंद की श्रेणी में रखा हैं गिरीश मालवीय