फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स के प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जीएसटी की जटिलताओं और कर विसंगतियों मेंसुधार किए जाने का अनुरोध किया है।फेडरेशन ने इस संबंध में जीएसटी के उन प्रावधानों का जिक्र किया है, जिसके चलते न सिर्फ व्यापार पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होरही है।
इसके पूर्व फेडरेशन ने जीएसटी परिषद की 22 वीं बैठक मे कारोबारियों को प्रदान की गयी राहतके लिए व्यापार जगत की ओर सेपीएम मोदी को आभार व्यक्त करते हुए कहा कि फेडरेशन ऑफ़ आल इंडियाव्यापार मंडल आपका कृतज्ञ है। कि फेडरेशन द्वारा अवगत करायी गयी कठिनायों को सरकार ने गंभीरता से लिया और कुछ का समाधान भी किया। फेडरेशन ने लिखा कि चूंकि नई कर प्रणाली जीएसटी सदी का सबसे बड़ाकर सुधार है। अतः इसकी सफलता हेतु17 सुझाव आपके समक्ष रखे जा रहेहैं। जिन पर ध्यान दिए जाने कीआवश्यकता है।
फेडरेशन के राष्ट्रीय महामंत्री वी ०के ०बंसल ने कहा एक राष्ट्र एक कर क़ीभावना का सम्मान करते हुए कारोबारियो पर सी जी यस टी ,यस जी यस टी ,आई जी यस टी के स्थान पर सिर्फ जी यस टी हीलगाया जाय और सरकार जी यस टी नेटवर्क के जरिए केंद्र और राज्य मेंअपने- अपने हिस्से का कर वितरित कर ले। तीन प्रकार के कर होने के कारण कारोबारियों मे बहुत ज्यादा भ्रमक़ी स्थिति है और अक्सर इसमें गलती कर रहे हैं और दंड के भागीदार हो रहे है । इनपुट क्रेडिट लेने में भी बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़रहा है । अग्रिम भुगतान पर लगने वाले जी यस टी में सिर्फ वस्तुओ पर छूट प्रदान क़ी गई है, सेवा क्षेत्र में यह अभी भी लागू है ।अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का लगभग 50% योगदान है अतः अग्रिम परजी यस टी क़ी छूट का फायदा सिर्फ 50% व्यवस्था को ही मिल पा रहा है । एकराष्ट्र एक कर क़ी भावना का सम्मान करते हुए सेवा क्षेत्र को अग्रिम भुगतान पर जी यस टी की छूट प्रदानक़ी जाय।फेडरेशन ने 20 लाख तक काकारोबार करने वाले कोजी यस टी पंजीकरण की छूट दिए का सुझावदिया है। संगठन ने कहा कि सेवा क्षेत्रक़ी इकाई अंतर राज्य लेनदेन करसकती है। जबकि यह प्रावधान वस्तुओ के व्यापार में लागू नहीं है । कारोबार / करदाता के तीनो स्वरुप यानी क़ि उत्पादक, व्यापार एवं सेवा क्षेत्र को एक ही समकक्ष मा ना जाय और जी यस टी सभी प्रावधान समान रूप से इनतीनो स्वरुप पर लागू हो । जी यस टी केअंतर्गत 28 % क़ी दर विलासिता वालीवस्तुओ पर लगाने का प्रावधान था ।वर्तमान में बहुत सी आवश्यक वस्तु जैसे घरो में सुरक्षा हेतु यम सी बी पर द्वारा पंप में उपयोग होने बाल बियरिंग पर जी यस टी दर 28 % है। भारत जैसे देश में जहां अभी भी बहुत गरीबी है, कोई भी उपभोक्ता 28 % कर देने में संकोच करता है। और कर बचाने का प्रयास करता है।
फेडरेशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेश्वरपैन्युली ने कहा कि ऐसे बहुत से उदाहरण है ।कि एक दुकान पर उपलब्ध विभिन्न प्रकार की एक समानवस्तुओं पर जी यस टी की दरें अलग-अलग लागू हैं। मसलन वैरिंग, कापी-किताब सहित कई अन्य वस्तुएं ऐसी हैं जिन पर जीएसटी की दरें दो से तीनतरह की लागू हैं। अब अगर वैरिंग का दुकानदार बिल बनाता है तो उसे हरतरह के वैरिंग पर अलग-अलग जीएसटी को याद रखना मुश्किल है। बिल बनाते समय जीएसटी लगानेपर गलती होना भी स्वाभाविक है।अतः इस प्रकार के मामले में एक राष्ट्र,एक व्यापार एक कर वाले सिद्धांत कोअपनाना चाहिये । इसी प्रकार सभी प्रकार के कर दाताओं को त्रैमासिकविवरणी दाखिल करने का प्रावधानहोना चाहिये । बड़े कर दाता अपना कर प्रति माह जमा करे और माध्यम एवं छोटे करदाता त्रैमासिक के आधार पर टैक्स जमा करे ।इसी प्रकार अन्य सुझावो में केप्रावधान क़ी तरह ही व्यापारी अपनी गणना के अनुसार इनपुट टैक्स परक्रेडिट आई टी सी लेते हुए अपना कर जमा करने, यच यस यन कोड सिर्फ बी2बी लेनदेन में लिखना अनिवार्य होनाचाहिये वह भी सिर्फ उत्पादक स्तर परथोक और खुदरा व्यापारियो कोअपने इंवाहिस में यच यस यन के रूप में बाध्य भीराज्यो को 20 लाख तक की छूट दिएजाने के साथ ही कुछ राज्यों मेंकम्पोज़िट पंजीकरणके लिए 1 करोड़ रूपए की सीमा हैऔर कुछ राज्यों में 50 लाख रूपए।एक राष्ट्र एक कर के सिद्धांत को मानतेहुए सभी राज्यों मेकरदाता हेतु पंजीकरण की सीमा 1 करोड़ रूपए किये जाने की भीमांग की है।