देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सभी राजनीतिक पार्टियां अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए रैलियों के साथ ही हर वर्ग को रिझाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही हैं। किसान आंदोलन ख़त्म होने के बाद अब बीजेपी-कांग्रेस और आम आदमी पार्टी किसान वोट बैंक को अपने पक्ष में करने में जुट गई हैं। किसान किस पार्टी के पक्ष में जाएंेगे यह अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है।
प्रदेश के तराई क्षेत्रों की विधानसभा सीटों में किसानों का बड़ा वोट बैंक है। कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल तक चले आंदोलन में तराई के किसान बेहद सक्रिय रहे थे और बीजेपी से खुले तौर पर नाराज भी थे। हालांकि अब आंदोलन खत्म होने के बाद भाजपा किसानों को अपने पक्ष में करने की कोशिशों में जुटी है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी किसानों को अपने पक्ष में लाने में पूरी ताकत लगा रही हैं। दोनों ही पार्टियां किसानों के मुद्दों को मुखरता से उठा रही हैं। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष वहीं किसान आंदोलन खत्म होने से उत्साहित भाजपा अब किसान वोट बैंक खिसकने नहीं देने के लिए पूरा जोर लगा रही है। दूसरी ओर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी आंदोलन में किसानों की शहादत सहित तमाम मुद्दों के जरिये किसानों को साधने की कोशिश कर रही है। अब देखना है कि किसान वोट बैंक को कौन सी पार्टी अपने पाले में खींचने में सफल होती है।