देहरादून : प्रदेश में एक अप्रैल से बिजली महंगी हो जाएगी। हालांकि बिजली की नई दरें क्या होंगी, इस पर विद्युत नियामक आयोग 20 से 25 मार्च के बीच निर्णय लेगा। बिजली के तीनों निगमों (ऊर्जा निगम, पावर ट्रांसमिशन कार्पोरेशन लि. उत्तराखंड जलविद्युत निगम लि.) की मंशा पर बात करें तो नए वित्तीय वर्ष से बिजली के दामों में 21.15 फीसद बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया गया है।
इस प्रस्ताव पर आयोग ने जब विभिन्न वर्ग के उपभोक्ताओं को सुनवाई के लिए आमंत्रित किया तो खिलाफत शुरू हो गई। बिजली दर में इजाफा न करने के पक्ष में उपभोक्ताओं ने तमाम आपत्तियां व सुझाव भी आयोग को दिए।
आयोग के कार्यालय में विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने उपभोक्ताओं की सुनवाई की। सबसे पहले इंडस्ट्री व कमर्शियल सेक्टर के उपभोक्ताओं के सुझाव व आपत्तियां मांगी गईं। सभी ने एक स्वर में इस प्रस्ताव की खिलाफत करते हुए कहा कि बिजली निगम अपनी नाकामी से हो रही हानि को पूरा करने के लिए उपभोक्ताओं पर मनमाने दाम थोपना चाहती हैं।
वहीं, शाम के समय घरेलू व सिंचाई से जुड़े बिजली उपभोक्ताओं की सुनवाई की गई। यहां भी उपभोक्ताओं ने प्रस्तावित दर पर जमकर भड़ास उतारी।
निगम कार्मिकों को मुफ्त बिजली की होगी जांच
जनसुनवाई में विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने भी माना कि बिजली दर में 21.15 फीसद बढ़ोतरी का प्रस्ताव बेहद अधिक है। बिजली दर बढ़ाने पर जगह व्यवस्थाओं में सुधार के उपभोक्ताओं के सुझाव पर भी उन्होंने सहमति जताई।
सुनवाई के दौरान आयोग अध्यक्ष सुभाष कुमार ने कहा कि एक ओर उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली का बोझ लादने की तैयारी की जा रही है और दूसरी तरफ ऊर्जा निगम अपने कार्मिकों को मुफ्त बिजली देने से बाज नहीं आ रहा।
उन्होंने कहा कि पूर्व में निगम को आदेश दिए जा चुके हैं कि मुफ्त बिजली की सुविधा न सिर्फ वापस ली जाए, बल्कि सभी कार्मिकों के आवास पर अनिवार्य रूप से मीटर लगाए जाएं। निगम के प्रबंध निदेशक मीटर लगाए जाने का दावा तो कर रहे हैं, मगर इसकी हकीकत क्या है, इसका पता लगाए जाने की जरूरत है।
अब समय आ गया है कि ऊर्जा निगम के कार्मिकों को दी जा रही मुफ्त बिजली की जांच की जाए। इस दिशा में जल्द जांच कराई जाएगी और उसके अनुसार कार्रवाई भी होगी। इसके अलावा बिजली निगमों को लाइन लॉस कम करने, बिजली चोरी रोकने और अन्य व्यवस्थागत सुधार करने को भी बाध्य किया जाएगा।