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हिमालय की ईको पर्यटन विकास समिति तुंगनाथ चोपता ने उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने में अनुकरणीय कार्य किया है
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड में स्वच्छ तीर्थाटन, ,पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उच्च हिमालय स्थित
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रुद्रप्रयाग जनपद के 12000 फिट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित छेत्र में ईको पर्यटन विकास समिति तुंगनाथ चोपता , व्यापार संघ व जीप टैक्सी यूनियन के सयुंक्त तत्वावधान में चोपता – तुंगनाथ पैदल मार्ग के यात्रा पड़ावों सहित तुंगनाथ धाम से आगे चन्द्र शिला तक स्वच्छता अभियान चलाकर प्लास्टिक व कूड़ा एकत्रित किया। इस उन्होंने दौरान तुंगनाथ धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों व सैलानियों से आग्रह किया कि प्लास्टिक की खाली बैग, बोतलों को सुरक्षित स्थानों पर रखा जाय। जिससे तुंगनाथ घाटी के सुरम्य मखमली बुग्यालों की सुन्दरता कायम रह सके।
ईको पर्यटन विकास समिति के पदाधिकारियों ने तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों के व्यापारियों से कहा कि वे तुंगनाथ धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों व सैलानियों को सलाह दे कि व प्लास्टिक व कचरे को उचित स्थानो पर फेंके। ईको पर्यटन विकास समिति के अध्यक्ष भूपेन्द्र मैठाणी ने बताया कि ईको पर्यटन विकास समिति चोपता तुंगनाथ, व्यापार संघ व जीप टैक्सी यूनियन के सयुंक्त तत्वावधान से चोपता – तुंगनाथ पैदल मार्ग सहित तुंगनाथ धाम तक स्वच्छता अभियान चलाकर कई कुन्तल प्लास्टिक व अन्य सामाग्री एकत्रित कर निस्तारण के लिए चोपता भेजी गयी है। उन्होंने बताया कि तुंगनाथ धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों व सैलानियों द्वारा लगातार प्लास्टिक की बोतलों व अन्य कूड़े को खुले में छोड़ना चिन्ता का विषय बना हुआ था इससे सुरम्य मखमली बुग्यालों की सुन्दरता धीरे – धीरे गायब हो रही है।
उन्होंने कहा कि ईको पर्यटन विकास समिति द्वारा आगामी समय में चोपता – तुंगनाथ पैदल मार्ग सहित चन्द्र शिला तक भोज पत्र के पौधों को रोपित कर तुंगनाथ घाटी के प्राकृतिक सौन्दर्य को सजारने व संवारने की सामूहिक पहल की जायेगी।
मैठाणी न बताया कि कुछ तीर्थ यात्रियों व सैलानियों द्वारा पैदल मार्ग के बजाय सुरम्य मखमली बुग्यालों से आवाजाही करने के कारण बुग्यालों की सुन्दरता धीरे – धीरे गायब हो रही है व भविष्य में बुग्यालों में भूस्खलन होने की सम्भावना बनी हुई है। इसलिए वन निदेशालय व शासन से चोपता – चन्द्रशिला पैदल मार्ग के दोनों तरफ जाली व घेरबाड करने की मांग की गई है !पत्रव्यवहार गतिमान है। मैठाणी ने कहा कि पैदल मार्ग पर शौचालयों व प्रतिक्षालयो का निर्माण न होने से तीर्थ यात्रियों व सैलानियों को परेशानी हो रही है, यात्रियों की परेशानी दूर करने के लिए व स्वच्छता को देखते हुए चोपता – तुंगनाथ धाम तक शौचालयों व प्रतिक्षालयो के निर्माण के लिए शासन से संज्ञान लेने के लिए की कार्यवाही की जायेगी।हिमालय की रक्षा के लिए ईको पर्यटन विकास समिति तुंगनाथ चोपता ने उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने में अनुकरणीय
कार्य कर सभी प्रदेश एवं देश वासियों को श्री राम की तप स्थली राम शीला से सन्देश किया है इस अभियान से जहां प्रदूषण रुकेकगा वहीं प्रदेश की जैव विधिता सुरक्षित रखने का कार्य किया गया है। ये सब प्रकृति प्रेमियों की साधना है जो अगस्त की वर्षात और घने कुहारे में वर्षात की फिसलन में अपनी जान जोखिम कर वर्षा औऱ धूप की परवाह किये बगैर प्रकृति को बचाये रखने की भावनाओं को साधना बनाने में दृढ़ इच्छाशक्ति से पूर्ण कर रहे हैं। इनके जैसे जुजरु लोगों के स्वभाव को बचाने के लिए बाहरी लोगों को उत्तराखंड में व्यवसाई कर इनके अनुकरण करने के लिए पहली शर्त सरकार को भूमि , मकान, लीज पर देने से पहले रखनी चाहिए।
इस मौके पर , दिनेश भण्डारी,यशपाल सिंह नेगी, अरविन्द मैठाणी,देवेन्द्र नेगी,कुंवर सिंह राणा,विनोद मैठाणी, भरत सिंह राणा,विनोद प्रसाद, केवलानन्द,शिव प्रसाद मैठाणी, ,अशोक चौहान, सुमित भण्डारी, दिलवर सिंह , प्रमोद चौहान, कमल सिंह चौहान, कुंवर सिंह रावत, मुकेश बर्त्वाल, प्रदीप सिंह चौहान सहित ईको पर्यटन विकास समिति, जीप टैक्सी यूनियन, व्यापार संघ के पदाधिकारी, सदस्य व घोड़े – खच्चर संचालक मौजूद थे।