‘गैरसैंण राजधानी घोषित करो या गद्दी छोड़ो’
गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए संघर्ष की रजत जयंती पर संसद के समीप प्रेस क्लब में आयोजित गोष्ठी में आंदोलनकारियों ने लिया राजधानी गैरसैंण निर्माण का संकल्प
नई दिल्ली।13 जनवरी 2018
आज 13 जनवरी को देश की संसद के समीप, भारत के सबसे प्रतिष्ठित प्रेस क्लब ‘प्रेस क्लब आफ इंडिया में उत्तराखण्ड गठन के 17 साल बाद भी प्रदेश की राजधानी गैरसैंण को घोषित न किये जाने से आक्रोशित राज्य गठन आंदोलनकारियों ने राजधानी गैरसैंण निर्माण के लिए राज्य गठन की तर्ज पर निर्णायक जनांदोलन छेड़ने का संकल्प लिया। प्रदेश के जनविरोधी नेताओं द्वारा गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने को राव मुलायम की तरह उत्तराखण्डद्रोही व शहीदों की शहादत को रौंदने वाला षडयंत्र बता कर सिरे से नकारते हुए चेतावनी दी कि ग्रीष्मकालीन की आड में यह उत्तराखण्ड के हितों व देश की सुरक्षा से खिलवाड करने वाले देहरादून में राजधानी थोपने वाला धृर्णित कृत्य को जनता रौंद देगी। अब छात्र, युवा, महिलायें व पूर्व सैनिक राज्य गठन आंदोलन की तर्ज पर जनांदोलन चला कर हर हाल में राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए सरकार को मजबूर कर देगी।
गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान दिल्ली द्वारा 13नवरी को 3 बजे दिल्ली के प्रेस क्लब में आहुत
राजधानी गैरसैंण निर्माण, संकल्प गोष्ठी में पधारे सभी आंदोलनकारियों का इस गोष्ठी के आयोजक देवसिंह रावत, अवतार नेगी व अनिल पंत ने हार्दिक स्वागत किया। इस गोष्ठी में भाग लेने वालों में उक्रांद नेता के शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी, भाकपा नेता समर भण्डारी, गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के रघुवीर बिष्ट, उपपा के महामंत्री प्रभात ध्यानी, सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत , गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के पीसी थपलियाल, छात्र नेता सचिन थपलियाल, पत्रकार प्रदीप सत्ती , मोहिनी रोतेला , धीरेंद्र प्रताप, सतीश धौलाखण्डी ,सहित बडी संख्या में वरिष्ठ लोगों ने भाग लिया।
इस अवसर पर आयोजित संकल्प गोष्ठी में सम्मलित सभी वक्ताओं ने राजधानी गैरसैंण के 25वीं वर्षगांठ पर बाबा मोहन उत्तराखण्डी सहित सभी उत्तराखण्डी शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए राज्य गठन जनांदोलन के सभी समर्पित आंदोलकारियों के संघर्ष को नमन किया। उत्तराखण्ड सरकार व विपक्ष को तुरंत राजधानी गैरसैंण घोषित करने की मांग करते हुए दो टूक चेतावनी दी कि अगर बजट सत्र से पहले उत्तराखण्ड सरकार ने जनभावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश की राजधानी गैरसैंण को घोषित नहीं की तो बजट सत्र में देहरादून में ‘गैरसैंण राजधानी घोषित करो या गद्दी छोड़ो’के नारे के साथ विधानसभा का घेराव करके जनांदोलन का शंखनाद किया जायेगा।
दिल्ली में गैरसैंण राजधानी उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसैंण के निर्माण के लिए राजधानी गैरसैंण निर्माण संकल्प गोष्ठी का आयोजन कर प्रदेश गठन के बाद की 17 साल की सरकारों पर उत्तराखण्ड राज्य गठन की जनांकांक्षाओं, राज्य गठन आंदोलनकारियों व शहीदों के सपनों, लोकशाही, देश की रक्षा व चहंुमुखी विकास से खिलवाड़ करने का गुनाहगार बताया।
गोष्ठी में वक्ताओं ने इस बात पर आक्रोश प्रकट किया कि प्रदेश गठन के 17 साल बाद भी राज्य गठन जनांदोलन से पहले ही जनता व पूर्व उप्र सरकार द्वारा चयनित राजधानी गैरसैंण को विधिवत प्रदेश की राजधानी घोषित न करके प्रदेश के वर्तमान व भविष्य के साथ गंभीर खिलवाड कर दिया है। जबकि तेलंगाना राज्य गठन के तीन चार साल में ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती को घोषित करने का सराहनीय कार्य किया। परन्तु उत्तराखण्ड बनने के 17 साल बाद भी जनभावनाओं व शहीदों के सपनों की निर्विवाद राजधानी गैरसैंण को घोषित करने की सुध प्रदेश की सरकारों में नहीं रही।
सबसे हैरानी की बात है गैरसैंण में जनता, आंदोलनकारियों, पूर्व उप्र सरकार की पंसद की राजधानी गैरसैण में ही जनता के भारी दवाब के बाद पूर्व सरकार ने प्रदेश का एकमात्र विधानसभा भवन बनाया है। विधायक व सचिवालय आदि का भी निर्माण गैरसैंण के भराड़ीसैण में हो चूका हैं। गैरसैंण में न केवल ग्रीष्मकालीन सत्र के साथ साथ शीतकालीन सत्र में सूचारू रूप से संचालित किया जा चूका है। सरकार ही इच्छा शक्ति के अभाव व देहरादून में पंचतारा मोह के कारण प्रदेश की जनभावनाओं को बैशर्मी से रौंदा जा रहा हैं ।
यह जनांकांक्षाओं, शहीदों की शहादत, राज्य की लोकशाही के साथ साथ चहंुमुखी विकास व देश की सुरक्षा का गला घोंटने के समान कृत्य है। इस कारण देश के इस सीमान्त प्रदेश उत्तराखण्ड के उन सभी पर्वतीय जनपदों का विकास अवरूद्ध हो गया है। वह उत्तराखण्ड जिसने अपने विकास व सम्मान की रक्षा के लिए सरकारों के तमाम दमन सह कर भी उत्तराखण्ड राज्य का गठन के लिए दशकों का लम्बा सफल संघर्ष किया, अनैक बलिदान दिये। वह उत्तराखण्ड, गैरसैंण के बजाय देहरादून से बलात राज चलाने के कारण शिक्षा, रोजगार, शासन की उपेक्षा से पलायन के दंश से उजड़ रहा है।
13 जनवरी को दिल्ली में उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन की तर्ज पर राजधानी गैरसैंण को जनांदोलन बनाने के लिए प्रमुख आंदोलनकारी एकजूट हो रहे है। यह संयोग भी है कि राजधानी गैरसैंण को घोषित करने की 25वीं साल की पूर्व संध्या पर संसद के समीप भारतीय संसद के समीप देश के सबसे प्रतिष्ठित प्रेस क्लब में दोपहर 3 बजे राजधानी गैरसैंण निर्माण करने का संकल्प लेगे।
राजधानी गैरसैंण निर्माण अभियान से जुडे वरिष्ठ आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने बताया कि 25 साल पहले उत्तराखंड क्रांति दल द्वारा 14 जनवरी 1992 को बागेश्वर के उत्तरायणी मेला में जारी उत्तराखंड राज्य व इसकी राजधानी गैरसैंण(चन्द्रनगर) का ऐलान किया था। यह भी संयोग ही है कि दिल्ली में राजधानी गैरसैंण निर्माण के लिए दिल्ली में 13 जनवरी को आहुत संकल्प गोष्ठी में भी 14 जनवरी 1992 को बागेश्वर में राजधानी गैरसैंण का संकल्प लेने वालों में प्रमुख रहे उक्रांद के शीर्ष नेता काशीसिंह ऐरी भी सम्मलित हुए।
सभा की अध्यक्षता अवतार नेगी ने की और संचालन देवसिंह रावत ने किया। संकल्प गोष्ठी में जनगीतों का सामुहिक गायन किया गया। इसमें सम्मलित होने वालों में राज्य आंदोलनकारी खुशहाल सिंह बिष्ट, प्रताप शाही, डा बिहारी लाल जलन्धरी,डीडी जोशी, महेश मठपाल, नंदन सिंह बिष्ट, सुरेश नौटियाल, संजय नौडियाल, दलवीर रावत,प्रेम सुंदरियाल,व्योमेश जुगरान,हरीश लखेड़ा, रोशन गौड़, गौड़, सतेंद्र रावत, संजय चौहान,कमल किशोर नौटियाल, किशोर रावत, सुषमा जुगरान, सतेंद्र प्रयासी, खुशाल जीना, किशोर नैथानी,सीडी तिवारी, मदनमोहन ढौंडियाल,, बिलाल हुसैन, आंनद जोशी, मनोज आर्य,हरीश आर्य, आदि सम्मिलित थे।
देवसिंह रावत /अनिल पंत