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वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस में देश-दुनिया के डेलीगेट्स को पसंद आए पहाड़ी भोज्य पदार्थ जानिए अन्य समाचार

Pahado Ki Goonj
  • इजरायल से आई आफरा बोलीं-मंडुवा, झंगोरा वैरी टेस्टी
  • वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस में देश-दुनिया के डेलीगेट्स को पसंद आए पहाड़ी भोज्य पदार्थ
  • डेलीगेट्स बोले-पहाड़ी भोजन में स्वाद व पौष्टिकता दोनों
  • हर दिन मैन्यू के अनुसार ही परोसा जाएगा पहाड़ी भोजन
देहरादून, 12 दिसंबर। इजरायल की आफरा के सर पर उत्तराखंडी टोपी चमक रही है। थाली पर पहाड़ी भोज्य पदार्थ हैं। मंडुवे की रोटी, उसके साथ घर का बना मक्खन, झंगोरे की खीर और गहत की दाल। आफरा हर एक पहाड़ी भोज्य पदार्थ का स्वाद ले रही हैं। पहली प्रतिक्रिया पूछी गई, तो बोलीं-मंडुवा, झंगोरा वैरी टेस्टी।
युद्ध के दौर से गुजर रहे देश इजरायल से खास वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस के लिए आफरा भारत आई हैं। खाने की टेबल पर अपने सहयोगी भगवान स्वरूप वर्मा के साथ बैठी आफरा पूरे आयोजन से संतुष्ट हैं। खाने की खास तारीफ करती हैं। वो भी पहाड़ी भोजन की। कहती हैं-मिलेट्स के फायदे पूरी दुनिया समझ रही है। टूटी-फूटी हिंदी में कहती हैं-पहाड़ी खाने में टेस्ट भी है और ये पौष्टिक भी हैं।
आफरा के साथ इजरायल से आए भगवान स्वरूप वर्मा 35 वर्ष से वहां रहकर आयुर्वेद के प्रचार के लिए काम कर रहे हैं। मूल रूप से आगरा के हैं। कहते हैं-पहाड़ी खाना पहले भी खाया है, लेकिन बार-बार खाने का मन करता है। कानपुर से आए वैद्य पंकज कुमार सिंह ने पहली बार देहरादून में पहाड़ी भोज्य पदार्थ खाया, लेकिन वह इसके मुरीद हो गए हैं। बकौल, पंकज कुमार सिंह-सुना काफी था इस खाने के बारे में, आज खाया, तो अच्छा लगा।
उड़ीसा से आए प्रो ़ब्रहानंदा महापात्रा रिटायर्ड प्राचार्य हैं। उन्होंने पहले भी यह खाना खाया है। उन्हें हमेशा से पहाड़ी खाना पसंद रहा है। इसकी वजह वह ये ही मानते हैं कि ये बहुत पौष्टिक होता है। वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस में भाग लेने के लिए लखनऊ से आए डा जयप्रकाश पांडेय रिटायर्ड आयुर्वेदिक अधिकारी हैं। उनका उत्तराखंड से पुराना नाता रहा है। यूपी के जमाने में वह टिहरी में तैनात रहे हैं। अपने अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा-वह अपनी सेवाकाल के दौरान चंबा का राजमा अपने घर लखनऊ ले जाया करते थे, जिसे सभी बहुत पसंद किया करते थे।

पहाड़ी भोजन के प्रचार पर सरकार का जोर

देहरादून। पहाड़ी भोज्य पदार्थों के प्रमोशन पर सरकार का जोर है। वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस की रूप रेखा तैयार करते वक्त ये विचार सामने आया कि डेलीगेट्स को पहाड़ी भोजन परोसा जाए। इससे पहाड़ी भोजन का व्यापक प्रचार प्रसार होगा। इस पर अंतिम मुहर लगी, तो फिर चार दिनी इस आयोजन के लिए मैन्यू तैयार हो गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का  कहना है कि चाहे वह पहाड़ी भोज्य पदार्थ हों या फिर उत्तराखंड के अन्य उत्पाद, सभी की ब्रांडिंग के लिए कार्य किया जा रहा है।

 

स्थापित करना चाहते हैं तो उन्हें एसडीआरएफ मद से 20 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है। उन्होंने बताया कि जल्द ही विज्ञापन प्रकाशित कर आवेदन मांगे जाएंगे। इसकी प्रक्रिया गतिमान है।

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  • शीतकालीन यात्रा-श्रद्धालुओं को न हो कोई परेशानी-सुमन
  • सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने ली बैठक
  • कहा-ठंड के मौसम में यात्रियों के लिए न हो सुविधाओं की कमी
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास  विनोद कुमार सुमन ने गुरुवार को शीतलहर को लेकर सभी जिलाधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने शीत लहर को लेकर प्रदेशभर में आम जनमानस को राहत पहुंचाने के लिए किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी द्वारा सभी जिलों को शीतलहर से निपटने के लिए धनराशि मुहैया कराई गई है। मा. मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया है कि यदि किसी जनपद को और आवश्यकता है तो उन्हें धनराशि तुरंत दी जाए। उन्होंने कहा कि यदि किसी जनपद को धनराशि की और आवश्यकता है तो वह डिमांड शासन को भेज सकते हैं।
 सचिवालय में वर्चुअल माध्यम से आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि शीतकालीन यात्रा प्रारंभ हो चुकी है। यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को ठंड के मौसम में किसी प्रकार की असुविधा न हो, इस पर खास ध्यान दिया जाए। मौसम तथा सड़कों की स्थिति को देखते हुए यात्रियों को आगे रवाना किया जाए। यदि बर्फबारी के कारण मार्ग बाधित होते हैं तो यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोकने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि जिन स्थानों पर रात के समय आवाजाही रहती है, उन स्थानों पर अनिवार्य रूप से अलाव जलाया जाए। इसकी सूचना उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रारूप में राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में प्रत्येक दिन भेजना सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी अपने स्तर पर सुनिश्चित कर लें कि रैन बसेरों में सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई एनजीओ मदद को आगे आना चाहते हैं तो उनका भी सहयोग लेने की पहल जिलाधिकारी अपने स्तर पर करें। इसके अलावा आम जनमानस को भी गर्म कपड़े और कंबल आदि दान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए ऐसे लोगों को एक प्लेटफार्म प्रदान किया जाए।
उन्होंने कहा कि बेसहारा पशुओं को लेकर भी मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए पशुपालन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर उन्हें ठंड से बचाने की कार्ययोजना बनाई जाए। उन्होंने कहा कि आम जनमानस को शीत लहर से बचाव के लिए क्या-क्या करना चाहिए, इस संबंध में पब्लिक अनाउंसमेंट के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाए। साथ ही प्रचार-प्रसार के अन्य माध्यमों का प्रयोग कर समाज में जागरूकता फैलाई जाए।

गर्भवती महिलाओं का डाटा बेस तैयार रखें
देहरादून। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने कहा कि जिन गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी जनवरी और फरवरी माह में होनी है, उनका डाटाबेस बनाया जाए। बर्फबारी के कारण जो क्षेत्र आवाजाही के वंचित हो जाते हैं, वहां से गर्भवती महिलाओं को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर लाने की योजना बनाई जाए।

बंद होने वाले मार्गों को चिन्हित करें
देहरादून। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने कहा कि बर्फबारी के कारण बंद होने वाले मार्गों को चिन्हित कर वहां जेसीबी मशीन, स्नो कटर मशीन तथा टायर चेन की व्यवस्था की जाए, ताकि जन सामान्य का आवागमन बहुत ज्यादा समय तक प्रभावित न हो। उन्होंने कहा कि पालाग्रस्त क्षेत्रों में सड़कों को भी चिन्हित कर वहां साइन बोर्ड लगाए जाएं ताकि लोग संभलकर ऐसे स्थान पर वाहन चलाएं। वहां चूने और नमक का छिड़काव किया जाए, ताकि सड़क हादसों को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि बर्फबारी के कारण जो क्षेत्र आवागमन से वंचित हो जाते हैं, उन क्षेत्रों में अगले तीन महीने का राशन, ईंधन, रसोई गैस तथा अन्य जरूरी सामान का भंडारण सुनिश्चित किया जाए।

सुरंगों को लेकर बनाई जा रही एसओपी
देहरादून। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने कहा कि सुरंगों को लेकर एसओपी बनाई जा रही है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों से इस पर शीघ्र अपने सुझाव उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।

कम्युनिटी रेडियो पर फोकस
देहरादून। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने कहा कि उत्तराखंड कम्यूनिटी रेडियो को सशक्त किया जाएगा। बताया कि उत्तराखण्ड राज्य में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना हेतु दिनांक 04 जनवरी, 2022 को एक प्रोत्साहन नीति प्रख्यापित की गयी है। इसके लिए यदि कोई कम्यूनिटी रेडियो स्थापित करना चाहते हैं तो उन्हें एसडीआरएफ मद से 20 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है। उन्होंने बताया कि जल्द ही विज्ञापन प्रकाशित कर आवेदन मांगे जाएंगे। इसकी प्रक्रिया गतिमान है।

शीतलहर से न हो किसी की मृत्यु-स्वरूप
देहरादून। अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी-प्रशासन श्री आनंद स्वरूप ने कहा कि एक टीम बनाकर जो लोग खुले में सोने को मजबूर हैं, उन्हें रैन बसेरों में पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा कि कोशिश यह हो कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु शीत लहर से न होने पाए। उन्होंने कहा कि मैदानी क्षेत्रों में कोहरे के कारण होने वाले सड़क हादसों को रोकने के लिए भी जिला स्तर प्रभावी रणनीति बनाने की आवश्यकता है।

आपदा प्रबंधन परियोजना बनाने की प्रक्रिया गतिमान-नेगी
देहरादून। अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी श्री राजकुमार नेगी ने बताया कि राज्य तथा जनपद स्तर पर आपदा प्रबंधन परियोजना बनाने का कार्य गतिमान है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों से तय फॉर्मेट में जल्द से जल्द सूचनाएं भेजने का अनुरोध किया। साथ ही उन्होंने जिलाधिकारियों से अपने-अपने सुझाव भी साझा करने का अनुरोध किया।

रैन बसेरों में साफ सफाई पर ध्यान देना जरूरी-अंसारी
देहरादून। संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो. ओबैदुल्लाह अंसारी ने कहा कि रैन बसेरों में साफ सफाई की उचित व्यवस्था हो तथा वहां महिला और पुरुषों के रुकने के लिए प्रथक व्यवस्था भी की जाए।

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