देहरादून : प्रदेश में जून 2013 में आई आपदा के बाद वन विभाग को सौंपे गए करोड़ों रुपये के पुनर्निर्माण कार्यों में भारी गड़बड़ी की बात सामने आई है। महालेखाकार कार्यालय (लेखा परीक्षा) ने प्रदर्शन आधारित ऑडिट रिपोर्ट में ये गड़बड़झाला पकड़ा। इसमें बताया गया है कि कई कार्यों में नियमों की अनदेखी की गई, जबकि कई मामलों में केंद्र से विशेष आयोजनागत सहायता के तहत करोड़ों की राशि मिलने के बावजूद इसे खर्च नहीं किया गया।
यही नहीं, कुछ योजनाओं पर तो मनमाने ढंग से कार्य कराए गए। महालेखाकार की ओर से पुनर्निर्माण कार्यों की निष्पादन लेखा परीक्षा में सामने आए बिंदु शासन को भेजे गए हैं। सचिव आपदा प्रबंधन अमित नेगी के मुताबिक इस सिलसिले में वन विभाग से जवाब मांगा गया है।
7.26 करोड़ के नहीं हुए काम
वन एवं जैव विविधता के तहत पुनर्निर्माण कार्यों के 13 प्रोजेक्ट के लिए राज्य की ओर से 37.97 करोड़ का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया। इसमें केंद्र ने 34.97 करोड़ की स्वीकृति दी। प्रदेश के सात वन प्रभागों में 11 प्रोजेक्ट में से सात के लिए 11.31 करोड़ रुपये जारी किए। ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि इस राशि में भी 7.26 करोड़ के कार्य किए ही नहीं गए।
5.19 करोड़ में से 46 लाख के कार्य
देहरादून के टौंस प्रभाग में 138 पुनर्निर्माण कार्यों को 5.19 करोड़ स्वीकृत हुए थे। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक इसमें से 46 लाख के सिर्फ 14 कार्य किए गए। 62 कार्य शुरू नहीं हो पाए, जबकि 62 के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।
पांच कार्य दो-दो बार
उरत्तकाशी डिवीजन में एसडीआरएफ फंड के तहत 12 आकस्मिक कार्यों के लिए 2013-14 में 72 लाख मंजूर हुए और ये छह माह में होने थे। ऑडिट में बात सामने आई कि पांच कार्यों में दोहराव है, जो 37 लाख के थे। यही नहीं, इसमें सांसद निधि से भी 35 लाख के कार्य हुए।
दो किमी ट्रैक पर खर्च किए 47 लाख
गंगोत्री नेशनल पार्क में 18 किमी लंबे गंगोत्री-गोमुख ट्रैक के लिए 90 लाख मंजूर हुए, मगर 47 लाख की राशि से केवल दो किमी ट्रैक ही सुधारा गया। प्रोजेक्ट में इस हिस्से की लागत 15 लाख थी। नतीजतन, 16 किमी के कार्यों में कटौती कर दी गई। वहीं, हनुमानचट्टी- घांघरिया ट्रैक पर 1.99 करोड़ में से 32 लाख ही खर्च हो पाए।