चुनाव खत्म -जी यस टी चालू की तैैयारी
E-way बिल आखिर है क्या ?
अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को ई-वे बिल जनरेट करना होगा। यह भी समझें कि सप्लायर के लिए यह बिल उन वस्तुओं के ट्रांजिट के लिए भी बनाना जरूरी होगा जो जीएसटी के दायरे में नहीं आती हैं या जीरो % टैक्स है जैसे कि चावल , दाल , गेहूँ ,आदि l
नई व्यवस्था में 50,000 रुपये से अधिक मूल्य सामान लाने और ले जाने के लिए ई-वे बिल की जरूरत होगी। किसी एक राज्य के भीतर 10 किलोमीटर के दायरे में माल भेजने पर आपूर्तिकर्ता को जीएसटी पोर्टल पर उसका ब्योरा डालने की जरूरत नहीं होगीl
ई-वे बिल का ट्रायल 16 जनवरी से शुरू होगा। जीएसटी व्यवस्था में ई-वे बिल की शुरुआत 1 जून 2018 से राज्य का सामान राज्य के अंदर और 1फरवरी ,2018 से एक राज्य का सामान दुसरे राज्य में भेजने के लिए ई-वे बिल का अनिवार्य रूप से अनुपालन करना होगा। जिस व्हीकल(Truck / Tempo etc ) से सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंचाया जा रहा है वह अगर किसी दुर्घटना का शिकार होता है तो इस सूरत में आपको सामान दूसरे व्हीकल में ट्रांसफर करने के बाद एक नया E-Way बिल जनरेट करना होगा।
जब आप (विक्रेता) ई-वे बिल को जीएसटीएन पोर्टल पर अपलोड करेंगे तो एक यूनीक ई-वे नंबर (ईबीएन) जनरेट होगा। यह सप्लायर, ट्रांसपोर्ट और ग्राही (Recipients) तीनों के लिए होगा।
मान लीजिए अगर किसी एक ट्रक में कई कंपनियों का सामान जा रहा है तो ट्रांसपोर्टर को एक कंसालिडेटेड E-Way बिल बनाना होगा। इस बिल के अंदर सारी कंपनियों के सामान की अलग–अलग डिटेल होनी चाहिए।
E -way बिल की समय सीमा भी है 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 1 दिन और अगले हर 100 किलोमीटर की दूरी के लिए 1 दिन के हिसाब से होगा l
देखने में तो बहुत सीधा सा सिस्टम लगता है पर दिक्कतें कहाँ आने वाली है ये समझे …
1. ये 100 किलोमीटर कैसे माना जायेगा .. जिस रोड से माल जायेगा वो रोड की सबसे कम दुरी ?
2. रास्ते बंद होने कि दशा में E- Way बिल दुबारा बनाने में कितने ट्रक ड्राईवर सक्षम हैं ?? क्या वो सब प्रशिक्षित कीए जायेंगे ?
3. दिल्ली से लोग रोज़ गुडगाँव या नोइडा जाते हैं शायद 10 किलोमीटर से कम होगा वो क्या करें ??
4. पहले तो एक स्टेट से दूसरे स्टेट जाने के रास्ते में चैक्क पोस्ट होता था अब तो हर जिले में होगा ..यह पता करने के लिए कि 10 किलोमीटर से ज्यादा दूर तो नहीं चला गया सामान बिना E -Way बिल के ?? मतलब की GST अधिकारी को ऊगाही का एक रास्ता और l
4. E -Way बिल पोर्टल से बनाना है – कितने छोटे दुकानदार हैं जो ये कर पायेंगे ?? नहीं किया तो फिर ?और किया तो उसकी लागत का कौन भूगतान करेगा ??
5. Rs. 50000 का सामान तो रिक्से या स्कुटर में भी आ जायेगा ..तो क्या वो भी पंजीकृत होगा जैसे transporters होते हैं ??
6. जो लोग अपने घर का सामान खरीद कर ले जा रहे चाहे शादी का या अपने गावं में , वो क्या करें ?? उन्हे भी E -Way Bill चाहिए क्या ?? यदि नहीं तो फिर सब बस या ट्रैन से सामान ले जा लेंगे ? यदि हाँ तो घरेलू आदमी क्या करे ??
7. ये क्या मजाक नहीं एक देश एक टैक्स का ?? यदि नहीं तो फिर ज़रूरत क्या है E Way बिल की ??
एसे बहुत से प्रशन्न हैं l
दर असल बड़ी कम्पनियां तो खुश हैं इससे क्यूंकी उनका
व्यापार तो बढ़ जायेगा ,पर नुकसान छोटे व्यपारियो और आम नागरिक को l
सरकार अपनी ड्यूटी व्यापारियो और आम आदमी के ऊपर डाल रही है l
जबकी होना ये चाहिए कि सरकार अपने सिस्टम पर भरोसा करे l हर सामान का बिल हो बस l कौन सामान कहाँ जा रहा यह कोई मतलब नहीं एक देश एक टैक्स में l
जहां बिना बिल का माल पकडे वहां कार्यवाही करे , ना कि अपनी परेशानी से बचने के लिए जनता और व्यापारियों को परेसान करे l
दरसल एसा लगता है कि सरकार खुद ही भूलभूलिया में फसी हुई है lउसे खुद ही नहीं पता कि करना क्या है l GST ले तो आये हैं पर इस्तेमाल कैसे करना है वो पता नहीं l क्यूँकी उसे एसे वकिल साहब ने बनाया है जिन्हे बने हुवे कानून पर बहस करना तो आता है कोर्ट में, पर कानून बनाया कैसे जाता है वो नहीं आता ,
और उसी अाधी अधुरी जानकारी का नुकसान जनता और व्यापारी भूगत रहे हैं l
रोज़ एक नया संसोधन ले कर आ जाते हैं ,अरे भाई एक बार आराम से 1-2 साल लगा कर प्रकिछन
कर लो फिर लाओ कानून l किस बात की जल्दी है ?? ये एसा है जैसे की एटम बम बनाते कैसे हैं ये भौतिक
के 11-12 क्लास में भी पढ़ा दिया जाता है पर वास्त्विक एटम बम बनाना दुनिया की शायद 10-12 देशों को ही आता है l वैसे ही सरकार ने जी यस टी पढ तो लिया पर कानून बनता कैसे है यह पता ही नहीं है