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मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने देहरादून में विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के कार्यक्रम में मुख्य अथिति के रूप में प्रतिभाग किया जानिए सभी खबर

Pahado Ki Goonj

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने देहरादून में विदेश मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तराखण्ड सरकार के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित विदेश सम्पर्क-स्टेट आउटरीच कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया

विदेश मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा देहरादून में विदेश सम्पर्क-स्टेट आउटरीच कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए आभार व्यक्त करते हुए मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने कहा कि इस पहल से राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों व हितधारकों को केन्द्र सरकार द्वारा प्रवासियों के हित में किये जा रहे प्रयासों की जानकारी मिलेगी । इस प्रयास से विभिन्न देशों में रहने वाले उत्तराखण्ड के प्रवासियों की विभिन्न समस्याओं के समाधान में भी सहायता मिलेगी।

सीएस श्रीमती रतूड़ी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड के प्रवासियों की सुविधा के लिए उत्तराखण्ड प्रवासी प्रकोष्ठ बनाया गया है। मा0 मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर विदेशों में रह रहे उत्तराखण्ड के मूल निवासियों की शिकायतों के समाधान और उनके हितों की रक्षा के लिए एक प्रवासी बोर्ड गठित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के सन्दर्भ में विदेशों में शिक्षा के लिए जाने वाले विद्यार्थियों के लिए प्रक्रियाओं, प्लेसमेंट एजेंसियों के सेंसटाइजेशन, सुरक्षित व कानूनी माइग्रेशन, वैवाहिक विवाद, मृतकों के पार्थिव अवशेषों की वापसी की प्रक्रियाओं की जानकारी, प्रवासियों के सम्बन्ध में डेटा शेयरिंग का विशेष महत्व है। हमारे लिए अन्य राज्यों द्वारा अपने प्रवासियों की सुविधा और कल्याण के लिए अपनाये जा रही बेस्ट प्रैक्टिसेज की जानकारी भी जरूरी है। विद्यार्थियों तथा काम करने वालों के पंजीकरण की प्रक्रियाओं की जानकारी होनी भी आवश्यक है। हमारे समक्ष साइबर क्राइम भी एक बड़ी चुनौती है।

कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्रालय से सचिव (सीपीवी एण्ड ओआईए) श्री अरूण कुमार चटर्जी ने कहा कि विदेश सम्पर्क प्रोग्राम विदेश मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य प्रवासी भारतीयों के साथ संबंधों को गहरा करना तथा उनसे संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए राज्य सरकारों के साथ साझेदारी करना है। वर्ष 2017 से अब तक पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, केरल, गुजरात, मध्य प्रदेश और कर्नाटक की राज्य सरकारों के साथ आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं।

संयुक्त सचिव (डीई) विदेश मंत्रालय श्री अंकन बनर्जी ने प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ जुड़ाव, विदेश में भारतीय महिलाओं से संबन्धित मुद्दे, भारतीय छात्रों से संबन्धित मुद्दे, एनआरआई/पीआईओ के अधिकार व कानूनी मुद्दे, राज्यों में एनआरआई संस्थान, प्रवासी भारतीयों के लिए विदेश मंत्रालय की योजनाओं तथा डेटा का संग्रह जैसे विषयों पर चर्चा की।

सयुंक्त सचिव (सीपीवी) विदेश मंत्रालय, श्री बिनॉय जॉर्ज ने विदेश में मरने वाले भारतीय नागरिकों के पार्थिव अवशेषों के परिवहन, काउंसलर शिकायत निवारण पोर्टल, उत्तराखण्ड में राज्य स्तर पर काउंसलर एक्सेस की प्रक्रिया, राष्ट्रीयता सत्यापन, विदेशियों तक काउंसलर एक्सेस व सजायाफता व्यक्तियों का स्थानांतरण जैसे विषयों पर चर्चा की।

अनु सचिव (ईडी) विदेश मंत्रालय श्री रशेल गर्ग ने व्यापार व निवेश के अवसरों व चुनौतियों के सम्बन्ध में चर्चा की ।

शुक्रवार को देहरादून में आयोजित विदेश सम्पर्क-स्टेट आउटरीच कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विदेश मंत्रालय ने उत्तराखण्ड सरकार के हितधारकों और अधिकारियों को वाणिज्य दूतावास और पासपोर्ट सेवाओं के लिए मंत्रालय द्वारा प्रवासी भारतीयों के साथ संबंधों को बढ़ावा देने तथा उनके कल्याण और संरक्षण के लिए उठाए गए कार्यक्रमों, योजनाओं और पहलों से अवगत कराया। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड सरकार और विदेश मंत्रालय ने प्रवासियों से सम्बन्धित मुद्दों और समस्याओं के समाधान के लिए आपसी सहयोग को मजबूत करने पर मंथन किया।

बैठक में उत्तराखण्ड महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती कुसुम कण्डवाल, अपर मुख्य सचिव श्री आन्नद बर्धन, सभी विभागीय सचिव, सभी जनपदों के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व विदेश मंत्रालय के अधिकारी मौजूद रहे।आगे पढ़ें  

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को “श्री गणेश चतुर्थी“ के पावन पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। सनातन परम्परा में किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व सर्वप्रथम भगवान गणेश के आह्वान का विधान है। भगवान गणेश को प्रथम आराध्य एवं विघ्नहर्ता बताते हुए इस पावन पर्व पर मुख्यमंत्री ने सभी के जीवन में सुख-समृद्धि तथा आरोग्यता की कामना की है।आगे पढ़ें

श्री केदारनाथ धाम यात्रा ने पकड़ी रफ्तार*

*मानसून सीजन के बाद दोबारा शुरू हुई केदारनाथ यात्रा*

केदार घाटी में बारिश कम होने बाद श्री केदारनाथ धाम यात्रा पटरी पर लौटने लगी है। यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। केदार बाबा के दर्शन कर अभिभूत हो रहे श्रद्धालु यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर संतुष्ट नजर आ रहे हैं और अपने सुखद अनुभव साझा कर रहे हैं।
गुहाटी से बाबा केदारनाथ धाम के दर्शनों को पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि पैदल रास्ता अब दुरुस्त हो गया है एवं लगातार यात्रा चल रही है। पैदल मार्ग पर पानी, बिजली, खाना, शौचालय सहित अन्य सभी प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। दर्शन भी बहुत अच्छे हो रहे हैं। राजकोट गुजरात से पहुंचे प्रफुल्ल ने बताया कि पैदल यात्रा मार्ग यात्रा के लिए सुरक्षित एवं सुचारू है। यात्रा मार्ग पर सभी सुविधाएं भी हैं एवं प्रशासन और पुलिस द्वारा पूरी मदद भी की जा रही है।
उप जिलाधिकारी ऊखीमठ अनिल शुक्ला ने बताया कि बीती 31 जुलाई को अतिवृष्टि के कारण कुछ दिनों तक जरूर पैदल यात्रा प्रभावित रही। लेकिन पिछले दो हफ्तों से पैदल यात्रा लगातार बढ़ रही है। देश दुनिया से श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के दर्शन को पहुंच रहे हैं। यात्रा को सुखद एवं सुगम बनाने के लिए जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच वाश आउट हुई सड़क भी तीन से चार दिन के भीतर छोटे वाहनों की आवाजाही के लिए खुल जाएगा।
उधर, इंस्पेक्टर सोनप्रयाग देवेन्द्र असवाल ने बताया कि पिछले 10 दिनों में औसतन तीन हजार श्रद्धालु पैदल यात्रा मार्ग से केदारनाथ के लिए जा रहे हैं। बारिश कम होने के साथ ही लगातार यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है।आगे पढ़ें 

 मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने माध्यमिक शिक्षा के अन्तर्गत कार्यरत अतिथि शिक्षिकाओं को प्रसूती/मातृत्व अवकाश की सुविधा उपलब्ध कराये जाने को महिला कल्याण एवं महिला सशक्तिकरण के साथ शिक्षिकाओं के व्यापक हित में बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अतिथि शिक्षिकाओं की इससे संबंधित मांग पर कैबिनेट द्वारा निर्णय लेकर अब इसका शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी इसे अतिथि शिक्षिकाओं के हित में लिया गया निर्णय बताया है।

अतिथि शिक्षिकाओं को प्रसूती/मातृत्व अवकाश की सुविधा प्रदान किये जाने के संबंध में सचिव शिक्षा श्री रविनाथ रमन द्वारा आदेश जारी किया गया है। महानिदेशक शिक्षा को संबोधित पत्र में सचिव शिक्षा द्वारा स्पष्ट किया गया है कि राज्य सरकार के नियत्रणाधीन विभागों / सस्थानों में विभागीय / बाह्य स्रोत के माध्यम से संविदा/तदर्थ/नियत वेतन पर नियोजित महिला सेवकों को प्रसूति अवकाश अनुमन्य किये जाने के सम्बन्ध में माध्यनिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत नियत वेतन पर कार्ययोजित अतिथि शिक्षिकाओं को 180 दिनों का प्रतुति अवकाश अनुमन्य किये जाने की स्वीकृति शासन द्वारा प्रदान की गयी है।आगे पढ़ें 

मीडिया प्रभारी बीकेटीसी हरीश गौड़ ने अवगत कराया है कि मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के क्रम में पंचकेदारों में से द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम को विकसित किया जाएगा।

*इसके साथ केदारनाथ धाम के अंतिम मोटर पड़ाव गौरीकुंड स्थित मां गौरी के मंदिर का सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा।*

उन्होंने बताया कि शासन के धर्मस्व व संस्कृति विभाग के अनु सचिव रमेश सिंह रावत द्वारा इस संबंध में संस्कृति विभाग के निदेशक को अलग-अलग आदेश जारी किये गए हैं। आदेशों में मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में मद्महेश्वर धाम के विकास और गौरीकुंड स्थित मां गौरी मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए कार्यदायी संस्था से विस्तृत परियोजना आख्या (डीपीआर) तैयार करने के निर्देश जारी किए गए हैं। आदेश में लोक निर्माण विभाग को कार्यदायी संस्था नामित करते हुए श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) से समन्वय स्थापित करते हुए डीपीआर तैयार करने को कहा गया है।
उधर, बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने मद्महेश्वर धाम के विकास और मां गौरी मंदिर के सौंदर्यीकरण की योजना को स्वीकृति देने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा की मद्महेश्वर धाम के विकास की योजना से वहां श्रद्धालुओं व तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी। इससे क्षेत्रीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
उल्लेखनीय है कि 3,497 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मद्महेश्वर धाम रुद्रप्रयाग जनपद के ऊखीमठ विकास खंड में स्थित है। मद्महेश्वर पहुंचने के लिए श्रद्वालुओं को करीब 14 किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। पंच केदारों में से द्वितीय केदार के रूप में मद्महेश्वर धाम की मान्यता है। यहां भगवन शिव के नाभि रूप की पूजा होती है। मंदिर का प्रबंधन बीकेटीसी देखती है।
इसी प्रकार मां गौरी का मंदिर केदारनाथ धाम के अंतिम मोटर स्टेशन गौरीकुंड में स्थित है। केदारनाथ धाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्वालु मां गौरी के दर्शनों के बाद अपनी यात्रा पर निकलते हैं। इसका प्रबंधन भी बीकेटीसी के पास है।आगे पढ़ें 

अल्मोड़ा जेल में निरुद्ध प्रकाश पांडे उर्फ पीपी को जेल में कतिपय व्यक्तियों द्वारा महंत पद की दीक्षा दिए जाने के प्रकरण में विशेष सचिव रिद्धिम अग्रवाल ने अपर महानिरीक्षक, कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग यशवंत चौहान को जांच अधिकारी नामित किया है। प्रकरण में जेल के अंदर दीक्षा दिए जाने के संबंध में आवश्यक जांच कर एक सप्ताह में जांच आख्या शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।आगे पढ़ें

 मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को वर्चुअल माध्यम से नैनीताल में आयोजित माँ नन्दा-सुनन्दा महोत्सव-2024 के शुभारम्भ अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित किया।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी को नन्दा महोत्सव-2024 की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि माँ नन्दा-सुनन्दा सभी श्रद्धालुओं एवं प्रदेशवासियों की मनोकामनाओं को पूर्ण करें तथा सदैव कृपा बनाये रखें। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पारंपरिक मेले हमें हमारी संस्कृति के साथ अपनी जड़ों से जोड़ने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार प्रदेश के पौराणिक मेलों का संरक्षण करते हुए नए आयामों को जोड़कर भव्यता प्रदान कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार धार्मिक आस्था का सम्मान करते हुए विकास कर रही है।

उन्होंने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ की भूमि कहा था कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक होगा। जिस पर राज्य सरकार निरन्तर कार्य कर रही है।आगे पढ़ें

ट्रकिंग ट्रैक्शन सेंटर होम स्टे अनुदान योजना से स्थानीय युवाओं को मिल रहा लाभ*

*उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देना में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की महत्वपूर्ण पहल*

देहरादून, 8 सितंबर 2024!

अपने लुभावने परिदृश्यों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड भारत में पर्यटन के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य के रूप में उभरा है। मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में, पर्यटन के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और स्थानीय जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलों को लागू किया गया है, जिससे क्षेत्र में सतत विकास सुनिश्चित हो सके। ऐसी ही एक पहल है “ट्रैकिंग ट्रैक्शन सेंटर होम स्टे अनुदान योजना”, पर्यटन में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण योजना है।

ट्रैकिंग ट्रैक्शन सेंटर होम स्टे अनुदान योजना पर्यटन क्षेत्र में स्थानीय भागीदारी के महत्व पर जोर देती है। पहचाने गए ट्रेकिंग केंद्रों के 2 किलोमीटर के दायरे में ग्रामीणों को वित्तीय सहायता प्रदान करके, सरकार का उद्देश्य होम स्टे के निर्माण और सुधार को प्रोत्साहित करना है। यह पहल पर्यटन और स्थानीय समुदायों के बीच एक सहजीवी संबंध बनाने में महत्वपूर्ण है, यह सुनिश्चित करते हुए कि पर्यटन के आर्थिक लाभ जमीनी स्तर तक पहुँचें।

इस योजना के तहत, राज्य सरकार विभिन्न उद्देश्यों के लिए वित्तीय अनुदान आवंटित करती है। ग्रामीणों को नए भवनों के निर्माण के लिए प्रति कमरा 60,000 रुपये तक मिल सकते हैं, जिसमें शौचालय जैसी आवश्यक सुविधाएँ शामिल हैं। जिन लोगों के पास पहले से ही बने हुए कमरे हैं, उन्हें सरकार पर्यटकों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इन स्थानों को सुसज्जित करने के लिए 25,000 रुपये प्रदान करती है। यह वित्तीय सहायता न केवल होम स्टे विकास को प्रोत्साहित करती है, बल्कि पारंपरिक पहाड़ी शैली की इमारतों सहित स्थानीय स्थापत्य शैलियों के पालन को भी बढ़ावा देती है, जो पर्यटकों के अनुभव की सौंदर्य अपील और प्रामाणिकता को बढ़ा सकती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह योजना वास्तव में उत्तराखंड के निवासियों को लाभान्वित करती है, इसमें विशिष्ट पात्रता मानदंड शामिल हैं। ट्रेकिंग केंद्रों के पास रहने वाले मूल ग्रामीणों को वरीयता दी जाती है। यह शर्त आगंतुकों के लिए समृद्ध अनुभव प्रदान करने में स्थानीय ज्ञान और आतिथ्य के महत्व को पुष्ट करती है। इसके अलावा, होम स्टे संचालकों के लिए अपने परिवारों के साथ परिसर में रहने की आवश्यकता एक स्वागत योग्य वातावरण को बढ़ावा देती है जहाँ पर्यटक वास्तविक स्थानीय संस्कृति और गर्मजोशी का अनुभव कर सकते हैं। होम स्टे पंजीकरण के लिए अनिवार्यता इस पहल का एक और महत्वपूर्ण पहलू है। यह न केवल पर्यटकों के लिए सेवा और सुरक्षा के मानकों को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि सरकार को इस उभरते क्षेत्र के विकास की निगरानी और समर्थन करने की भी अनुमति देता है। होम स्टे को औपचारिक रूप देकर, सरकार यह सुनिश्चित कर सकती है कि पर्यटन का अनुभव उत्तराखंड के मूल्यों के अनुरूप हो और साथ ही स्थानीय परिवारों के लिए महत्वपूर्ण राजस्व प्रदान करे।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की इच्छशक्ति के तहत, ट्रैकिंग ट्रैक्शन सेंटर होम स्टे अनुदान योजना के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास सतत पर्यटन विकास के लिए एक उल्लेखनीय दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं। स्थानीय भागीदारी को प्राथमिकता देकर, पारंपरिक वास्तुकला को संरक्षित करके और वित्तीय सहायता प्रदान करके, उत्तराखंड सरकार एक ऐसा मॉडल बना रही है जो न केवल आगंतुकों के अनुभव को बढ़ाता है बल्कि स्थानीय समुदायों का उत्थान भी करता है। ये पहल एक संपन्न पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता का उदाहरण है, जबकि यह सुनिश्चित करता है कि इस तरह के विकास का लाभ उत्तराखंड के लोगों के बीच समान रूप से साझा किया जाए।

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धामी सरकार खोल रही नौकरी का पिटारा, 4400 पदों पर इसी माह से भर्ती*

*-16 हजार से ज्यादा युवाओं को धामी सरकार में अब तक मिल चुकी रिकॉर्ड नौकरी*

*-आयोग 11 विभागों में रिक्त पदों के लिए 15 सितंबर से शुरू करेगा भर्ती प्रकिया*

*-पुलिस, वन आरक्षी समेत इंटर और स्नातक स्तरीय पदों पर मिलेगी नौकरी*

*-आवेदन से लेकर परीक्षा और परिणाम जारी करने के शेड्यूल बनाने में जुटा है आयोग*

*देहरादून।* उत्तराखंड में सरकारी नौकरी की राह देख रहे युवाओं के लिए खुशखबरी है। सरकार 11 विभागों में रिक्त समूह ग के 4405 पदों पर इसी माह भर्ती प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। इसके लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) ने 15 सितंबर से आवेदन से लेकर परीक्षा और परिणाम का शेड्यूल जारी करने का निर्णय लिया है। इधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार अब तक 16 हजार से ज्यादा नौकरी देने का भी रिकॉर्ड बना चुकी है।

राज्य में बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने में पुष्कर सिंह धामी सरकार सबसे धाकड़ साबित हो रही है। सरकार ने महज तीन साल के भीतर 16 हजार युवाओं को विभिन्न विभागों में नौकरी देने का रिकॉर्ड बनाया है। यह आंकड़ा राज्य बनने के 23 साल में किसी सरकार में युवाओं को सबसे ज्यादा नौकरी मिलने में बड़ा है। नौकरी में पारदर्शिता रहे, इसके लिए खुद मुख्यमंत्री ने युवाओं को नियुक्ति पत्र देकर सम्मानित किया है। अभी भी सरकार यूकेएसएसएससी, यूकेपीएससी, चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड आदि के मार्फत नौकरी दिलाने की प्रक्रिया में जुटी है। इसमें पुलिस दरोगा समेत शिक्षकों के सैकड़ों पदों पर वर्तमान में भर्ती प्रक्रिया गतिमान है। इसी क्रम में धामी सरकार ने राज्य के करीब 11 विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती करने का सिलसिला जारी रखने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूकेएसएसएससी के द्वारा स्वीकृत अधियाचन वाले पदों पर पारदर्शिता और समय सीमा के भीतर भर्ती करने के निर्देश दिए हैं। आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया ने बताया कि 11 विभागों से करीब 4405 रिक्त पदों पर भर्ती के अधियाचन स्वीकृत हुए हैं। आयोग ने इन रिक्त पदों के सापेक्ष भर्ती की तैयारी पूरी कर ली है। इस माह के 15 सितंबर से आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगा। साथ ही परीक्षा तिथि से लेकर परिणाम का शेड्यूल भी जारी कर दिया जाएगा। आयोग के अध्यक्ष मर्तोलिया ने कहा कि आयोग द्वारा संपादित की जा चुकी भर्ती तय शेड्यूल से रिकॉर्ड समय में संपन्न हुई हैं। आयोग का प्रयास रहता कि परीक्षा से लेकर परिणाम समय पर जारी हो। आगे भी पारदर्शिता और समय सीमा पर रिक्त पदों की भर्ती कराई जाएगी।

 

*युवाओं को इन पदों पर मिलेगी नौकरी*

आयोग के अनुसार 15 सितंबर से पुलिस आरक्षी के 2000, वन आरक्षी के 700, इंटर स्तरीय सींचपाल, कनिष्ठ सहायक, राजस्व सहायक, मेट, कार्य पर्यवेक्षक के 1200, वैयक्तिक सहायक के 280, वैज्ञानिक सहायक के 50, स्नातक स्तरीय 50, सहायक विकास अधिकारी के 40, वाहन चालक 25, लाइब्रेरियन के 10, प्राईमरी शिक्षक एसटी के 15, आईटीआई विभिन्न ट्रेड के 35 पदों पर भर्ती होनी है।

 

“राज्य गठन के 23 सालों के भीतर युवाओं को समय पर रिकॉर्ड नौकरी मिली हैं। करीब 16 हजार युवाओं को अब तक नौकरी मिल चुकी हैं। खुद मेरे द्वारा युवाओं को नियुक्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया है। हमारी सरकार द्वारा राज्य में देश का सबसे सख्त नकलरोधी कानून बनाने के बाद प्रतिभावान युवाओं को चार-चार नौकरी मिल रहीं हैं। पहले नकल माफियाओं द्वारा नौकरी का सौदा कर दिए जाने से एक ही परिवार के सदस्यों को चार-चार नौकरी मिलती थी। हमने संकल्प लिया कि उत्तराखंड के हितों और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। “

*पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड।*

08 सितंबर, 2024 देहरादून । आर्थिक आमदनी के बिना उत्तराखण्डी सिनेमा उद्योग का विकास संभव नहीं है । प्रादेशिक फिल्मों में जब तक रीजनल कंटेंट, एडवांस टैक्नोलाॅजी एवं प्रोफेशनल्जिम नहीं आएगा तब तक उन फिल्मों को देखने दर्शक हाॅल में नहीं उमड़ेंगे । इस अवसर पर ग्राफिक एरा के छात्रों द्धारा उत्तराखंडी फिल्म उद्योग पर बनाई गई एक शार्ट फिल्म दिखाई गई जिसकी खूब सराहना हुई तथा फिल्म निर्माण करने वाले बच्चों को सम्मानित भी किया गया।
उक्त विचार आज यहाॅ ‘उत्तराखण्डी सिनेमा दिशा, दशा एवं भविष्य तथा समस्या और समाधान’ विषय पर आयोजित सेमिनार में सामुहिक रूप से उभर कर आए । यह कार्यक्रम आज यहाॅ दून पुस्तकालय प्रेक्षागृह में ‘’द्वारा आयोजित किया गया था । सेमिनार में जुटे प्रदेश के वरिष्ठ फिल्म निर्माता, निर्देशक, तकनीशियन, वरिष्ठ कलाकारों एवं समीक्षकों द्वारा बहुत तथ्यात्मक ढ़ंग से 42 साल के उत्तराखण्डी सिनेमा के अविकसित व्यवसायिक पक्ष पर विस्तार पूर्वक अपने तर्क रखे गए ।
इस अवसर पर सेमिनार के मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद के नोडल अधिकारी एवं संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. नितिन उपाध्याय ने कहा कि फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा फिल्म नीति 2024 लागू की गई है, जिसकी देशभर के फिल्म निर्माता एवं निर्देशक सराहना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनेक फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों की शूटिंग उत्तराखण्ड में कर रहे है, जबकि उत्तराखण्ड की भाषा बोली के फिल्म निर्माण में बहुत तेजी आयी है। उत्तराखंड की गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी भाषा की फिल्मों को 50 प्रतिशत अनुदान, जो अधिकतम 2 करोड़ रुपए की धनराशि दी जा रही है। इससे बड़ी संख्या में स्थानीय फ़िल्म निर्माता फिल्में बना रहे है। उन्होंने कहा कि फ़िल्म विकास परिषद द्वारा फ़िल्म रिसोर्स डायरेक्टरी तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि नई फिल्म नीति को उद्योग के नजरिये से लागू किया गया है, ताकि राज्य में फ़िल्म उद्योग का वातावरण बन सके।
इससे पूर्व प्रदेश में अच्छी फिल्मनीति लागू करने पर सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर मुख्य अतिथि श्री उपाध्याय का शाल ओढ़कर व स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया । इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक प्रदीप भण्डारी द्वारा फिल्म इंडस्ट्री की ओर से श्री उपाध्याय को तीन सूत्रीय मांग पत्र भी सौंपा गया । जिसमें फिल्म अवार्ड शीघ्र प्रदान करने, फिल्म सिटी योजना को क्रियावन्वित करने तथा फिल्म कलाकार कल्याण कोष भी फिल्म नीति में जोड़ने की मांग की गई ।
सेमिनार में सभी वक्ताओं की एक राय साफ उभर कर आयी कि फिल्म निर्माताओं के योगदान एवं सरकार के सकारात्मक रूख से आज प्रदेश में आंचलिक फिल्म निर्माण का बेहतरीन वातावरण तैयार हुआ है । पर्वतीय राज्य उत्तराखण्ड की संस्कृति और भाषा बोली को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाने की दिशा में यह एक सुखद पहलू है। मगर बड़ी संख्या में आंचलिक फिल्मों के बनने के बावजूद उत्तराखण्डी सिनेमा की सेहत अन्य राज्यों के सिनेमा उद्योग की तुलना में व्यावसायिक रूप से दशा अच्छी नहीं है । क्योंकि शूरू की 2-4 फिल्मों को छोड़कर बाद का प्रादेशिक सिनेमा बाक्स आॅफिस पर कभी कमाल नहीं दिखा पाया। टिकट खिड़की पर लोगों की कतारें न दिखायी दी जिसका यही कारण रहा कि फिल्में दर्शकों को रिझा नहीं पायी। दर्शक धीरे धीरे सिनेमा से दूर होते चले गए । दर्शकों का फिल्मों से मोह भंग का कारण फिल्मों में मूल विषय सामग्री, उन्नत तकनीकि, उत्कृष्ट निर्देशन, प्रतिभाशाली कलाकार और व्यवसायिकता का बड़ा अभाव होना प्रमुख कारण रहा है । 90 के दशक में जहाॅ फिल्मों के छः सौ से अधिक दर्शक क्षमता वाले सिनेमा हाॅल में 4 शो हाउसफुल चलते थे, वहीं आज 100 से 200 तक के दर्शक क्षमता वाले मल्टीप्लेक्स हाल में मात्र एक शो चलता है और उस शो को भरने के लिए भी निर्माता निर्देशकांे को भारी पापड़ बेलने पड़ते हैं ।
सेमिनार में फिल्म निर्देशक प्रदीप भण्डारी, सुदर्शन शाह, गोपाल थापा, विजय भारती, ऋषि परमार, वैभव गोयल, कान्ता प्रसाद, बेचेन कण्डियाल, जय कृष्ण नौटियाल, देबू रावत, गोविंद नेगी, विनय चानना, डाo वीरेंद्र बर्तवाल, दीपक नौटियाल, गंभीर जयाडा, बद्रीश छाबड़ा, रवि मंमगाई, मोहित घिल्डियाल, मेघा खुगसाल, सुरेश भट्ट, अनामिका राज, मनशा कुकरेती, मुकेश शर्मा, आशीष पंत समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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