HTML tutorial

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा संवत् 2079 विक्रमी नव संवत्सरोत्सव शंकराचार्य घाट पर आयोजित हुआ

Pahado Ki Goonj

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा संवत् 2079 विक्रमी नव संवत्सरोत्सव शंकराचार्य घाट पर आयोजित हुआ

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा संवत् 2079 विक्रमी
श्रीकाशी

शंकराचार्य घाट पर आयोजित हुआ (नल) नव संवत्सरोत्सव*

*सनातनी पंचांग* एवं *शंकराचार्य दिनदर्शिका का हुआ लोकार्पण*

काशी के केदार क्षेत्र में स्थित शंकराचार्य घाट पर आज प्रातः नव संवत्सरोत्सव का आयोजन हुआ। इस अवसर पर उदित होते हुए भगवान् सूर्य को अर्घ्य प्रदान कर *नल संवत्सर* का स्वागत किया गया।
ज्योतिषाचार्य श्री अमित दीक्षित जी ने नव वर्षफल का श्रवण कराया ।
विद्याश्री धर्मार्थ न्यास द्वारा प्रकाशित एवं चारों वर्तमान पीठों के शंकराचार्य जी महाराज के आशीर्वाद से सम्बोधित *सनातनी पञ्चाङ्ग* का लोकार्पण काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के न्यूरोलाजी विभागाध्यक्ष डाॅ विजयनाथ मिश्र जी ने किया । मिश्र जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि काशी नगरी के लिए पूज्य स्वामिश्रीः पावर हाउस की भांति हैं। भारतीयता का संस्कार हमे अपने बच्चो को देना चाहिए। घर का एक कोना हमे आश्रम जैसा बनाना चाहिए जिससे भावी पीढियों में भी संस्कार सम्प्रेषित होता रहे।

इन्दुटेक कम्पनी के निदेशक डा अभय शंकर तिवारी जी द्वारा प्रकाशित, *शंकराचार्य दिनदर्शिका* का लोकार्पण महामृत्युंजय मन्दिर के महन्थ श्री किशन दीक्षित जी ने किया। श्री किशन जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि काशी में मन्दिरों के विध्वंस से काशीवासी दुखी हैं। इस विषय पर अभियान निरन्तर चलते रहना चाहिए और में सदा इसके लिए तैयार हूॅ।

प्रमुख रूप से ग्लोरियस एकादमी के श्री गिरीश तिवारी जी, विद्याश्री धर्मार्थ न्यास के न्यासी श्री अविनाशचन्द्र जी, वैद्य श्री रवि त्रिवेदी जी, श्री महादेव विनय जी, आरती नायक जी, इन्दुटेक के निदेशक श्री अभय शंकर तिवारी जी, विश्व गंगाधिकार न्यास के अध्यक्ष श्री रमेश उपाध्याय जी, संजय पाण्डेय जी, डा शैलेष जी, प्रमोद माझी जी, किशन जायसवाल जी, श्री पवन मिश्र जी, विजया तिवारी जी, उर्मिला शुक्ल जी, आदि जन उपस्थित रहे।

सुधांशु ओझा, सूरज पाण्डेय, आयुष पाण्डेय जी ने वैदिक मंगलाचरण प्रस्तुत किया । कृष्ण कुमार तिवारी जी ने सुमधुर भजन प्रस्तुत किया ।

संचालन साध्वी पूर्णाम्बा जी ने एवं धन्यवाद ज्ञापन साध्वी शारदाम्बा जी ने किया ।

Next Post

चार सौ वर्ष प्राचीन अप्रकाशित पाण्डुलिपि : रामहनु कथा रास

चार सौ वर्ष प्राचीन अप्रकाशित पाण्डुलिपि : रामहनु कथा रास -डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’ इंदौर,देहरादून, पहाडोंकीगूँज,आचार्य श्री देवनन्दि दिगम्बर जैन स्वाध्याय एवं शोध संस्थान, नैनागिरि में एक लगभग चार सौ वर्ष प्राचीन पाण्डुलिपि (हस्तलिखित ग्रन्थ) ‘राम -हनुकथा रास’ संरक्षित है। मजे की बात यह है कि यह 1681 पद्यों में […]

You May Like