भगवान सूर्य नारायण के कुम्भ राशि से मीन राशि में प्रवेश करने के साथ ही चैत्र मास की संक्रांति की बेला से चैत्र मास प्रकृति में एक नयी ऊर्जा का संचार करते हैं, पेड़ पौधों में नए फूल आ रहे होते है,नयी हरियाली जन्म ले रही होती है,ठण्ड का मौसम लगभग खत्म हो चुका होता है ,सभी जीव जन्तुओ में एक नई ख़ुशी और ऊर्जा का संचार होता है।चैत्र मास से ही हिन्दू नववर्ष,विक्रमी सम्वत भी शुरू होता है,जो कि मातारानी के नवरात्रि के साथ शुरू होता है।हमारे उत्तराखण्ड में चैत्र मास का विशेष महत्व है क्योंकि आज से ही फूलदेई का त्यौहार शुरू होता है,छोटी छोटी लड़कियां ,बच्चे सुबह सुबह घरों की चौखट पर ताजे फूल लेकर ,फूलों से हर दरवाजे को सजाती है,जिससे उनको सम्मान के रूप में लोग दाल ,चावल और नकदी में दक्षिणा देकर उनका उत्साहवर्धन करते हैं, फूलदेई उत्तराखण्ड के पहाडों में खुशहाली के प्रतीक का त्यौहार है,जो कि आज से ही मतलब चैत्र संक्रांति से शुरू होता है,साथ ही इस चैत्र मास में एक पुरानी परम्परा भी पहाडों के गांवो में शुरू होती है जो कि अब लगभग विलुप्ति की कगार पर है ,वो ये है कि शादी शुदा लड़कियों के घरों में उनके मायके के (औजी) ढोलवादक जाकर उसके मायके की खुश खबरी देकर ध्याणी(शादीसुदा) महिला को खुश खबरी देते है साथ ही ढोल दमाऊ से खुशहाली के गीत गाकर उसके परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं, जिससे खुश होकर अपने मायके के औजियों को ध्याणं और उसके ससुराल वाले सम्मान सहित विदा करते है।आज से चैत्र का महीना शुरू हो गया है तो शादीसुदा महिलाओं को अपने मायके की याद अधिक आती है ,प्रसिद्ध लोकगायक श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने इस बारे में एक भावनात्मक गीत भी लिखा है,जो कुछ इस तरह है”घुघुती घुरण लैगी मेरा मैत की,बौड़ि बौड़ि ऐगे ऋतु ऋतू चैता की,मतलब स्प्ष्ट की चैत्र के महीने से सभी को विशेष लगाव है।फूलदेई का त्यौहार जहाँ हमे प्रकृति के विभिन्न रंगों के साथ खुशहाली का संदेश देता है तो ,वहीं शादी शुदा महिला की मायके के प्रति अपनी यादे भी ताजा होती है,आपके सपरिवार की कुशलता की कामना भगवान से करता हूँ,और पुनः आपको प्रकृति के इस खूबसूरत महीने की बधाई देता हूँ,माता शीतला आपके तन मन को शीतल बनाये रखें, प्रकृति का आशीर्वाद हम सभी को अविरल रूप से मिलता रहे,साथ ही आपसे अपने तीज त्योहारों और मान्यताओं को न भूलने की भी गुजारिश करता हैं।,पुन आपको चैत्र मास की बहुत बहुत मंगलकामनाये।
जीतमणि ,चन्द्रशेखर पैन्यूली।