बीर्थी फाल (मुनस्यारी)पिथौरागढ़।
“ये किसी कवि की कल्पना या साहित्यकार की रचना नहीं बल्कि प्रकृति का एक नायाब,बेमिसाल तोहफा है।
कहा तो यही जाता है कि ऊपर से जो चीज नीचे गिर जाती है, टूट जाती है ,बिखर जाती है।लेकिन प्रकृति की भी क्या शानदार रचना है
जो उचे पर्वतों से गिर कर भी अपना सौंदर्य नहीं खोती,अपितु गिरकर ही लोगों का मनमोह लेती है और झर_झर करते हुए लोगों का मन हरने लगती है।”