हरिद्वार। कनखल के राजा ब्रह्मापुत्र दक्ष को दिया वचन निभाने के लिए भगवान शंकर कैलाश से अपनी ससुराल पहुंच गए हैं। श्रावण मास में अब एक महीने तक वे यहीं निवास करेंगे। 19 जुलाई को शिव चैदस की महारात्रि में चार प्रहर की पूजा की जाएगी।
श्रावण मास के पहले दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और सोमवार का खास योग है। भगवान आशुतोष का जलाभिषेक श्रावण के पहले ही दिन से प्रारंभ गया है। इस मास 19 जुलाई को चतुर्दशी के दिन भगवान शिव पर जल चढ़ाया जाएगा। उसी दिन भगवान शिव के मंदिरों में महारात्रि मनाई जाएगी।भगवान शिव श्रद्धा के देव हैं। उन्हीं की जटाओं से निकली गंगा से उनका अभिषेक सावन के पूरे महीने में किया जाता रहेगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, दक्ष पुत्री सती और शिव का विवाह दक्ष की इच्छा के विपरीत हुआ था।
बाद में दक्ष ने कनखल के जगजीतपुर में विशाल यज्ञ किया, पर पुत्री सती और शिव को नहीं बुलाया। सती जिद करते हुए बिन बुलाए चली आईं। पति का अपमान देखकर अपमान की अग्नि पीते हुए यज्ञकुंड में भस्म हो गईं। पता लगने पर शिव ने वीरभद्र को भेजकर यज्ञ का विध्वंस करा दिया। वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट डाला। बाद में देवताओं की प्रार्थना पर शिव ने आकर दक्ष के कटे धड़ पर बकरे का सिर जोड़ दिया। पुनर्जीवन पाकर दक्ष ने शिव से वचन लिया कि प्रत्येक श्रावण मास में वे दक्षेश्वर बनकर कनखल में विराजमान होंगे। वही वचन निभाने श्रावण की पूर्व संध्या पर शिव अपनी ससुराल कनखल पहुंच जाते हैं। सोमवार से जलाभिषेक प्रारंभ हो गया । कोरोना के कारण कांवड़ यात्रा तो रद्द हो गई, लेकिन देश के तमाम शिवालयों में स्थानीय स्तर पर जलाभिषेक होता रहेगा।
सावन का पहले सोमवार को सजा बाबा केदार का द्वार
Mon Jul 6 , 2020
रुद्रप्रयाग। सावन माह के पहले सोमवार के दिन केदारनाथ में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली। उत्तराखंड के कई जगहों से भक्त बाबा केदार का जलाभिषेक करने पहुंचे। देशव्यापी कोरोना महामारी के चलते भक्त केदारनाथ धाम नहीं आ रहे थे, लेकिन आज सावन माह के पहले सोमवार के दिन भक्तों […]

You May Like
-
सूर्य भगवान का मंदिर के भीतर से उदय
Pahado Ki Goonj February 1, 2018