* हवा लगी पश्चिम की ,
सारे बनकर फूल गए । *
* ईस्वी सन तो याद रहा ,
पर अपना संवत्सर भूल गए ।। *
* चारों तरफ नए साल का ,
ऐसा मचा है हो-हल्ला । *
* बेगानी शादी में नाचे ,
जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।*
* धरती ठिठुर रही सर्दी से ,
घना कुहासा छाया है । *
* कैसा ये नववर्ष है ,
जिससे सूरज भी शरमाया है ।। *
* सूनी है पेड़ों की डालें ,
फूल नहीं हैं उपवन में । *
*पर्वत ढके बर्फ से सारे ,
रंग कहां है जीवन में ।। *
* बाट जोह रही सारी प्रकृति ,
आतुरता से फागुन का । *
* जैसे रस्ता देख रही हो ,
सजनी अपने साजन का ।। *
* अभी ना उल्लासित हो इतने ,
आई अभी बहार नहीं । *
* हम अपना नववर्ष मनाएंगे ,
न्यू ईयर हमें स्वीकार नहीं ।। *
* लिए बहारें आँचल में ,
जब चैत्र प्रतिपदा आएगी । *
* फूलों का श्रृंगार करके ,
धरती दुल्हन बन जाएगी ।। *
* मौसम बड़ा सुहाना होगा ,
दिल सबके खिल जाएँगे । *
* झूमेंगी फसलें खेतों में ,
हम गीत खुशी के गाएँगे ।। *
* उठो खुद को पहचानो ,
यूँ कबतक सोते रहोगे तुम । *
* चिन्ह गुलामी के कंधों पर ,
कबतक ढोते रहोगे तुम ।। *
* अपनी समृद्ध परंपराओं का ,
आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे । *
* आर्यवृत के वासी हैं हम , अपना नववर्ष मनाएंगे ।।
?जय माँ भारती?
भारत रत्न अटल बिहारी जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई
Mon Dec 25 , 2017