श्री बदरीनाथ धाम यात्रा वर्ष 2023
परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर अनन्तश्रीविभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराजगढ़वाल स्काउट के बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु विधि-विधान से बंद हुए।
• श्री बदरीनाथ मंदिर को भब्य रूप से फूलों से सजाया गया।
• सिंह द्वार परिसर में स्थानीय लोकनृत्य एव भजनों का आयोजन
• साढे़ पांच हजार तीर्थयात्री कपाट बंद होने के अवसर पर मौजूद रहे।
• श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय रहे मौजूद कहा ऐतिहासिक रही है इस बार बदरी- केदार यात्रा।
• मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार सहित सदस्य गण मौजूद रहे।
श्री बदरीनाथ धाम:18 नवंबर। विश्वप्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय की उपस्थिति में आज शनिवार अपराह्न तीन बजकर तैतीस मिनट पर पूजा- अर्चना पश्चात कार्तिक शुक्ल षष्ठी श्रवण नक्षत्र में शीतकाल हेतु बंद हो गये है। कुछ दिन पहले हुई बर्फवारी के बाद कपाट बंद होने के दौरान आज मौसम साफ रहा दिन में धूप खिली रही यद्यपि दूर चौटियों पर बर्फ साफ देखी जा सकती है।
कपाट बंद के अवसर पर बदरीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया था तथा सिंह द्वार परिसर में गढ़वाल स्काउट के बैंड की भक्तिमय धुनों से संपूर्ण बदरीनाथ गुंजायमान हो रहा था। जय बदरीविशाल के उदघोष गूंज रहे थे।
कपाट बंद के समय साढ़े पांच हजार से अधिक श्रद्धालुजन तीर्थयात्री कपाट बंद होने के साक्षी बने। बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेष ने मंदिर को फूलों से सजाया। इस अवसर पर दानीदाताओं,भारतीय सेना ने तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे आयोजित किये।
कपाट बंद के पश्चात बदरीनाथ से रविवार 19 नवंबर प्रात: श्री उद्धव जी,श्री कुबेर जी की देव डोली पांडुकेश्वर तथा आदिगुरू शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ प्रस्थान करेगी।
कपाट बंद होने के शुभ अवसर पर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति(बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा- निर्देशन में इस यात्रा वर्ष बदरीनाथ- केदारनाथ यात्रा ऐतिहासिक रही है। इस बार सबसे अधिक अड़तीस लाख रिकार्ड तीर्थयात्री बदरी- केदार पहुंचे है।
जिनमें से आज कपाट बंद तक अठारह लाख चालीस हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है। उन्होंने यात्रा में योगदान करने वाले सभी व्यक्तियों, संस्थानों को बधाई दी है। उल्लेखनीय है कि बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय 15 नवंबर केदारनाथ के कपाट बंद के कार्यक्रम के बाद श्री बदरीनाथ कपाट बंद की तैयारियों हेतु श्री बदरीनाथ धाम पुंहंच गये थे।
मुख्यकार्याधिकारी योगेंद्र सिह ने बताया कि कपाट खुलने की तिथि से 17 नवंबर शुक्रवार देर रात तक 18 लाख 36 हजार 5 19 तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है जोकि पिछले सभी यात्रा वषों
में सबसे अधिक है
कपाट बंद होने की प्रक्रिया 14 नवंबर से शुरू हो गयी थी इस दिन श्री गणेश जी के कपाट बंद हुए, 15 नवंबर को आदि केदारेश्वर तथा आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद हुए, 16नवंबर को खडगपुस्तक पूजन तथा 17 नवंबर को महालक्ष्मी जी की पूजा कढाई भोग संपन्न हुआ 18 नवंबर रोज की तरह प्रात: महाभिषेक के बाद बालभोग लगा दिन में 11 बजे राजभोग लगा उसके बाद मंदिर बंद नहीं हुआ, पोने एक बजे अपराह्न शायंकालीन पूजा शुरू हुई। पौने दो बजे रावल जी ने स्त्री रूप धारण कर लक्ष्मी जी को बदरीनाथ मंदिर गर्भ गृह में विराजमान किया। इससे पहले श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी मंदिर प्रांगण में विराजमान हुए। सवा दो बजे शायंकालीन भोग तथा शयन आरती संपन्न हुई। ढाई बजे से साढ़े तीन बजे तक रावल द्वारा कपाट बंद की रस्म पूरी करते हुए भगवान बदरीविशाल को माणा महिला मंडल द्वारा हाथ से बुना गया ऊंन का घृत कंबल औढा़या।
तीन बजकर तैतीस मिनट पर श्री बदरीनाथ मंदिर गर्भगृह तथा मुख्य सिंह द्वार के कपाट रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी द्वारा शीतकाल हेतु बंद कर दिये गये।
परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर अनन्तश्रीविभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज ने बदरीनाथ मंदिर के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय दर्ज करा दिया है । 247 वर्षों के बाद ज्योतिष पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने की अवसर पर उपस्थित रहे ।
यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 1776 में ज्योर्तिमठ में आचार्य ना होने से टिहरी के तात्कालिक नरेश ने केरल के नंबूदरी ब्राह्मण को बदरीनाथ मंदिर का मुख्य पुजारी नियुक्त कर उसे रावल की उपाधि दी। इसके बाद से ही यहां मुख्य पुजारी के पद पर केरल के नम्बूदरी ब्राह्मण अपनी सेवाएं देते हैं इस बार की पूजा में मुख्यपुजारी के रूप में श्री ईश्वरप्रसाद नम्बूदरी रावल रहे ।
यात्रियों का कहना है कि परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर अनन्तश्रीविभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज के शंकराचार्य बनने के बाद यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है ।
* देश वासियों, चमोली प्रशासन और मंदिर समिति को शुभाशीर्वाद दिया*
शंकराचार्य जी ने कुशल यात्रा प्रबंधन के लिए सभी संबंधित संस्थाओं का आभार व्यक्त किया । उन्होंने इसके लिए बदरी नाथ केदारनाथ मंदिर समिति प्रशासन, जिला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन तथा मंदिर परंपरा से जुड़े सभी लोगो को भी धन्यवाद दिया ।
कपाट बंद करने से पहले मुख्यपुजारी के रूप में श्री बद्रीनाथ के रुप में श्री ईश्वरप्रसाद नम्बूदरी रावल ने
देश में पहली बार 6 जनवरी को हरिद्वार में होने वाले प्रेस महा कुम्भ के सफल आयोजन करने के लिए कुम्भ गंगा जल कलश संयोजक जीत मणि पैन्यूली को सौंप कर शुभाशीर्वाद दिया
ज्योतिष्पीठाधीश्वर अनन्तश्रीविभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज ने प्रेस महा कुम्भ हरिद्वार में होना एतिहासिक बताते हुए देश में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए मीडिया से जुड़े लोगों के लिए उज्वल हेतु शुभाशीष दिया है।अनन्तश्रीविभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज ने कहा है कि संयोजक जीत मणि पैन्यूली सम्पादक पहाड़ों की गूँज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र ने हमेशा देश, समाज के लिए भले कार्य करने में अपना योगदान दिया है ।चाहिए श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति की व्यवस्था का सुधार करने और टिहरी बाँध से प्रभावित परिवारों की समस्या को हमेशा प्रमुख रुप से उठाया है।उत्तराखंड में 2013 केदारनाथ आपदा के बाद न्युज पोर्टल को बढ़ाने के लिए अभूतपूर्व कार्य किया है ।उन्होंने कहा कि प्रेस को मज़बूत करने के लिए य़ह अच्छा कार्य करने में संयोजक जीत मणि पैन्यूली की आने वाली पीढ़ी के छात्रों के भविष्य को देखते हुए कर रहे हैं।इस को सफल बनाने के लिए सभी को आगे आना चाहिए।
रावल जी के साथ बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय तथा साधु संत मंदिर की परिक्रमा के पश्चात विपरीत कदमों से मंदिर सिंह द्रार से बाहर आये इस दौरान माहौल भावुक हो उठा। इसी के साथ ही कुबेर जी रात्रि प्रवास हेतु बामणी गांव प्रस्थान कर गये।
इस दौरान बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी आचार्य राधाकृष्ण थपलियाल तथा वेद पाठी रविंद्र भट्ट द्वारा रावल के साथ पूजा- अर्चना संपन्न की गयी।
उल्लेखनीय है कि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद 18 नवंबर को बदरीनाथ में प्रवास के बाद 19 नवंबर प्रात: श्री उद्धव जी योग बदरी मंदिर पांडुकेश्वर तथा श्री कुबेर जी की देवडोली ने कुबेर मंदिर पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान किया।
श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि बदरीनाथ धाम रावल के साथ आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी ने श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ के लिए प्रस्थान किया। 19 नवंबर को आदिगुरू शंकराचार्य जी की गद्दी एवं रावल योग बदरी पांडुकेश्वर में प्रवास करेंगे। श्री उद्धव जी तथा कुबेर जी पांडुकेश्वर में शीतकाल में प्रवास करेंगे जबकि 20 नवंबर को आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी रावल जी के साथ जोशीमठस्थित श्री नृसिंह मंदिर पहुंचेगी। आदि गुरू शंकराचार्य गद्दी स्थल श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान हो जायेगी इसी के साथ इस वर्ष श्री बदरीनाथ धाम यात्रा का समापन होगा तथा योग बदरी पांडुकेश्वर तथा श्री नृसिंह बदरी जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेंगी।
कपाट बंद होने के अवसर परपूज्य शंकराचार्य जी महाराज के साथ उपस्थित रहे सहजानन्द ब्रह्मचारी, श्रवणानन्द ब्रह्मचारी, मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी, शिवानन्द उनियाल, आत्माराम महाराज , पीठ पुरोहित आनन्द सती, आशुतोष डिमरी, पवन डिमरी , भास्कर डिमरी , विनोद नवानी , कमलेशकान्त कुकरेती आदि एवं मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार,मंदिर समिति सदस्य वीरेंद्र असवाल, भास्कर डिमरी, सदस्य आशुतोष डिमरी, सुभाष डिमरी, पुलिस अधीक्षक रेखा यादव, मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, उपजिलाधिकारी/ डिप्टी सीईओ कुमकुम जोशी,,प्रभारी अधिकारी अनिल ध्यानी, ईओ नगर पंचायत सुनील पुरोहित,मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, थाना प्रभारी लक्ष्मी प्रसाद बिजल्वाण,एई गिरीश देवली मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ आदि मौजूद रहे।