जिनके पोर्टल सूचि वद नही हुए उनके प्रति व्यक्ति 6000 रुपये जहाँ बेकार खर्चा उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है कंगाली के कोड में खाज पैदा की गई है।
जब सब लोग 2013 में पोर्टल को विज्ञापन दिलाने के लिए रूचि नहीं ले रहे थे तो इतने कम समय में कमाई करने के लिए अनुकरणीय उदाहरण देते हुए उत्तराखंड में पत्रकारिता करने के ज़ज्बा देश में प्राथमिकता के लिए भी माना जारहा है।
साथियों भारतीय किसान मजदूरों का अपना देश है। गाँव देश की आत्मा का वास है हम ज्यादातर लोग गाँव के लोग है।आपको रोजगार के अवसर और उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए जुलाई 2013 से मई 2014 तक, संयोजक उत्तराखंड पत्रकार संघठन समन्वय समिति के 1 साल के अनेकों संघर्ष का प्रणाम हैं कि उस समय उत्तराखंड में आज 5 पोर्टल के बाद 1044 पोर्टल सुदूर गाँव से देश के विकास में अपने साधनों से सहयोग करते हैं ,आज विज्ञापन पाने के लिए सरकारी विभागों में काम करने के लिए सूचना विभाग में पंजीकृत करने के लिए पिछले साल से 11 महीने से टेंडर स्वीकृत होने का इंतजार कर रहे हैं ।
हमारे देश के किसानों की समस्याओं को लेकर हमारे प्रयासों से दिल्ली सरकार ने 5000 हजार रुपए फासल छातियों के लिए देना सुरु किया है।
हम चाहते हैं कि देश का गाँव में सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम इसका विकास रुके नही।जिनके पोर्टल सूचि वद नहीं हुए ,उनका दर्द हमे ज्यादा है इसलिए हैं कि हमारी 1 साल के अभिनव सोच को सोच का साथ देने वाले 15 ,16 क्रांति कारी लोग रहे हैं।आप जरा सोचिए कि इस काम को पूरा करने के लिए अपना काम छोडकर पोर्टल को गाँव गाँव पहुंच रखने के लिए श्री राज्यपाल के साक्षात्कार लेने उनके पहाड़ों की गूँज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र में प्रकाशित करने के लिए कारगर कदम उठाकर कर , गाँव में बढ़ावा देने के लिए आवश्यक नेट सुविधा प्रदान करने के लिए श्री राज्यपाल से मुलाकात कर आगे बढ़े। जिन लोगों के पोर्टल youtub है।वहीं प्रदेश, देश की आर्थिक तंगी के बाद भी सालों से सची सेवा करने का कार्य कर रहे हैं।और सूचीकरण नही है।उनकी बैठक रविवार रखना चाहते हैं। सभी अपनी राय, सुझाव देने का कष्ट कीजिएगा । आपके उज्वल भविष्य की योजनाओं की कामनाओं के साथ अच्छा परिणाम निकलेगा।संयोजक jeetmani painul