देहरादून: केदारनाथ धाम पर फ़िल्म के निर्माण के प्रति जनता की भावना ठीक नही है इसके न दिखाये जाने को लेकर साधु संत विरोध कर रहे हैं।उच्चन्यायालय नैनीताल से स्वामी दर्शन भारती ,हरिकृष्ण किमोठी फ़िल्म को न दिखा ने के लिए अपील करने गये हैं। आज पैसा कमाना धर्म होगया है पैसे कमाने के लिए धर्म के प्रति आस्था को समाप्त करने के लिए फिल्मों के माध्यम से यह कार्य किया जा रहा है ।
सरकार ने जन विरोध के कारण केदारनाथ फिल्म पर की जा रही आपत्तियों की समीक्षा करने के लिए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। सचिव गृह नितेश झा, सचिव सूचना दिलीप जावलकर व डीजीपी अनिल रतूङी समिति के सदस्य हैं। समिति केदारनाथ फिल्म को लेकर की जा रही आपत्तियों के संदर्भ में फिल्म का परीक्षण करेगी और अपनी रिपोर्ट देगी। इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड में फिल्म के प्रदर्शन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जाएगा।
फ़िल्म से पैदा हुए आक्रोश से हिन्दू धर्म के प्रति आस्था रखने वाले लोगों की भवना को आघात पहुचाने वाले दृश्य का फ़िल्म से हटा कर ही यह फ़िल्म दिखाई जाने पर कुछ हद तक आक्रोश कम हो सकता है अन्यथा यह भावनात्मक रूप से फ़िल्म का दिखाया जाना उचित नहीं होगा।
श्रीबादरनाथ केदारनाथ मंदिर समिति को सरकार ने भंग करके शासन में सचिव ज्योति खैरवाल को प्रशासक नियुक्त किया है पूर्व समिति ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के गलत निर्णय मान कर बाद दायर कर रखा है । जिससे समिति ।धार्मिक भावना रखने वाले लोगों का पक्ष नहीं रख पा रहे हैं। समिति की के मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता वाली समिति क्या निर्णय करती है जनता
समिति के निर्णय का बेसब्री से इंतजार करही है।