देहरादून, । आॅवलाघाट पेयजल पम्पिंग योजना के निर्माण एवं संचालन में लापरवाही/अनियमितता बरतने की प्राप्त हो रही शिकायतों को दृष्टिगत रखते हुये उत्तराखण्ड के पेयजल मंत्री प्रकाश पन्त ने जिलाधिकारी, पिथौरागढ़ को स्थलीय निरीक्षण कर वस्तुस्थिति की जानकारी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये थे। जिलाधिकारी, पिथौरागढ़ द्वारा निरीक्षण के दौरान पाई गई खामियों की प्रेषित की गई विस्तृत रिपोर्ट पर सख्त कदम उठाते हुये पेयजल मंत्री प्रकाश पन्त ने प्रथम दृष्टया दोषी पाये जाने पर योगेश कुमार, अधिशासी अभियन्ता, यांत्रिक शाखा, उत्तराखण्ड पेयजल निगम, अल्मोड़ा एवं थान सिंह रौतेला, सहायक अभियंता, यांत्रिक शाखा, उत्तराखण्ड पेयजल निगम, अल्मोड़ा को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करने के निर्देश दिये गये। प्राप्त निर्देशों के क्रम में पेयजल मुख्यालय द्वारा सम्बन्धित अधिकारियों को निलम्बित किया जा चुका है। योगेश कुमार, अधिशासी अभियंता को पेयजल निगम मुख्यालय, देहरादून तथा थान सिंह रौतेला, सहायक अभियंता को मुख्य अभियंता (कु0) पेयजल निगम कार्यालय, हल्द्वानी से सम्बद्ध कर दिया गया है। विभागीय कार्यों के संचालन हेतु प्रणय पुरोहित, अधिशासी अभियंता (यांत्रिक), प्रधान कार्यालय, उत्तराखण्ड पेयजल निगम, देहरादून को यांत्रिक शाखा, उत्तराखण्ड पेयजल निगम, अल्मोड़ा स्थानांतरित किया गया है।
गम्भीर पेयजल संकट से जूझ रहे पिथौरागढ़ शहर एवं आस-पास के क्षेत्रों को राहत प्रदान करने हेतु आॅवलाघाट पम्पिंग पेयजल योजना का निर्माण प्रस्तावित किया गया था। वर्ष 2007 में पेयजल मंत्री श्री प्रकाश पन्त द्वारा ही इस योजना को अमलीजामा पहनाने हेतु प्रयास प्रारम्भ किये गये थे। उक्त बहुप्रतीक्षित योजना वर्ष 2018 में पूर्ण होकर धरातल पर उतरी, परन्तु लापरवाही एवं बेहद खराब कांट्रैक्ट मैनेजमेंट/आॅपरेशन के कारण इसमें कमियाँ परिलक्षित हुई हैं। प्रकाश पन्त ने अवगत कराया कि सरकारी योजनाओं का जनता को उचित लाभ मिले तथा स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके, इसके लिये सरकार कटिबद्ध है। यदि इसमें किसी भी अधिकारी/कर्मचारी द्वारा लापरवाही बरती जायेगी तो उसे किसी भी कीमत पर बक्शा नहीं जायेगा, यह कार्यवाही उसका ताजा उदाहरण है।